गर्भवती महिला को होने वाली समस्याओं के चलते अगर उसकी मौत हो जाती है तो इसे मैटरनल डेथ कहा जाता है। कर्नाटक में इस साल नवंबर के महीने तक मैटरनल डेथ के 348 मामले सामने आए हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि इसमें से ज्यादातर महिलाओं की मौत सरकारी अस्पतालों में हुई है। इस तरह का डेटा सामने आने के बाद कर्नाटक की स्वास्थ्य सुविधाएं सवालों के घेरे में आ गई हैं। पिछले कुछ सालों में यह देखा गया है कि कर्नाटक में मैटनरल डेथ के आंकड़ों में कमी आई है। इस साल के आंकड़ों के मुताबिक, कर्नाटक का मैटरनल मोर्टैलिटी रेशियो (MMR) एक लाख जन्म पर 64 है। बेल्लारी अस्पताल में हो रही मौतों की जांच के लिए अब कर्नाटक सरकार ने चार सदस्यों का एक पैनल भी बनाया है।
आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त से नवंबर के बीच कर्नाटक में 217 मैटरनल डेथ हो चुकी हैं। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह देखा गया है कि सरकारी अस्पतालों में मैटनरल डेथ के मामलों में बढ़ोतरी है। सरकारी अस्पतालों में पिछले 179 और प्राइवेट अस्पतालों में 38 महिलाओं की मौत हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, बेल्लारी में पहले हुई मौतों की वजह रिजंर्स लैक्टेट को माना गया था लेकिन अब कई अन्य वजहें भी सामने आई हैं। हर महीने औसतन 50 महिलाओं की मौत होने की वजह से चिंता और बढ़ गई है। इस तरह के मामले सामने आने के बाद रिंजर्स लैक्टेट को लेकर भी सवाल खड़े हुए थे।
क्यों हो जाती है मौत?
गर्भवती महिलाओं को गर्भ से लेकर डिलीवरी तक के दौरान कई तरह की समस्याएं होती हैं। ये समस्याएं डिलीवरी के बाद भी हो सकती हैं। पोस्टपार्टम हैमरेज (PPH) और एमनिओटिक फ्लुइड इम्बलिज्म (AFE) भी ऐसी समस्याएं है जिनकी वजह से महिलाओं की जान चली जाती है। ऐसे कारणों के चलते कर्नाटक में पिछले 5 साल में 3350 मौतें हुई हैं। सरकार का कहना है कि पिछले 5 साल में इन आंकड़ों में कमी आई है। बता दें कि यह मामला तब चर्चा में आया जब कर्नाटक के बेल्लारी जिले में मैटरनल डेथ के कई मामले सामने आए। डेटा के मुताबिक, 2019-2020 में 662, 2021-22 में 595, 2022-23 में 527 मौतें और 2023-24 में 518 मौतें दर्ज की गई थीं। वहीं, इस साल अब तक 348 महिलाओं की मौत हो चुकी है।
क्या है मैटरनल मोर्टैलिटी रेट?
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई तरह की समस्याएं होती हैं। प्रसव के दौरान खून बह जाने, इन्फेक्शन हो जाने, हाई बीपी हो जाने और असुरक्षित प्रसव इन महिलाओं की मौत का कारण बनता है। गरीब इलाकों में प्रसव कराने का इंतजाम पर्याप्त न होने के चलते इस तरह की समस्याएं खूब होती हैं। ये समस्याएं गंभीर हो जाने पर महिलाओं की मौत भी हो जाती हैं। WHO के डेटा के मुताबिक, साल 2020 में दुनियाभर में 2.87 लाख महिलाओं की मौत हुई। इसमें से 95 पर्सेंट महिलाएं गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों की थीं। मैटनरल मोट्रैटिलिटी रेट 1 लाख जन्म पर गिना जाता है। यानी अगर 1 लाख महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया और उसमें से 100 महिलाओं की मौत हो गई तो मैटरनल मोर्टैलिटी रेट (MMR) 100 गिना जाएगा।
WHO के मुताबिक, साल 2020 में यह MMR 223 था। वहीं, 2030 तक इसे 70 लाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके हिसाब से देखें तो कर्नाटक का हाल बहुत बुरा है। भारत का MMR साल 2014 से 16 के बीच 130 था। 2015-17 में 122 हुआ और 2016-18 के दौरान 113 हो गया। 2017-19 में 103 हुआ और 2018-20 में घटकर 97 पहुंच गया।