प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक नई किताब आई है। यह किताब आपातकाल में पीएम मोदी की भूमिका पर आधारित है। किताब का नाम 'द इमरजेंसी डायरीज- इयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर' है। ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने यह किताब तैयार की है। किताब की प्रस्तावना को पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने लिखा है। बुधवार को केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने लोकार्पण किया।
पुस्तक के लोकार्पण के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'विधाता भी न्याय करता है तो कैसे करता है? जिस 25 साल के युवा ने कांग्रेस पार्टी की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के तानाशाही विचारों का विरोध किया। घर-घर, गांव-गांव और शहर में जाकर प्रचार किया। आज उसी व्यक्ति ने 2014 में पूरे परिवारवाद को देश से उखाड़कर फेंक दिया।' किताब का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह पुस्तक पांच अध्यायों में मीडिया की सेंसरशिप, सरकार का दमन, संघवाद और जनसंघ का संघर्ष, आपातकाल के पीड़ितों की पीड़ा का वर्णन और आपातकाल से जनभागीदारी तक की यात्रा का वर्णन है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने देश के युवाओं से पुस्तक को पढ़ने की खास अपील की। उन्होंने कहा, 'एक बार इस पुस्तक को जरूर पढ़िए। आपकी आयु के ही एक युवा ने अपने शुरुआती दिनों में जिस तरह से तानाशाही के खिलाफ संघर्ष किया, वही युवा इस देश में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने वाला आज का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है।'
19 महीने पीएम मोदी ने भूमिगत किया काम
अमित शाह ने कहा कि यह किताब पीएम मोदी के आपातकाल के दौरान युवा प्रचारक के तौर पर भूमिगत रहकर 19 महीने के आंदोलन के बारे में है। पीएम मोदी ने मीसा बंदियों के घर जाकर उनके इलाज की व्यवस्था की। उस समय बहुत सारे गुप्त अखबार निकलते थे। पीएम मोदी ने उन अखबारों को बाजारों, छात्रों और महिलाओं के बीच बांटा और 24-25 साल की उम्र में गुजरात में संघर्ष का नेतृत्व किया। आंदोलन की पूरी कहानी इस किताब में समाहित है। आपातकाल में पीएम मोदी ने साधु, सरदारजी, हिप्पी, अगरबत्ती या अखबार विक्रेता के रूप में जमीन पर काम किया।
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पीएम मोदी ने लड़ी लोकतंत्र की लड़ाई
ब्लूक्राफ्ट ने अपने एक्स अकाउंट में लिखा कि एक नई किताब प्रस्तुत करते हुए सम्मानित महसूस हो रहा है। 'द इमरजेंसी डायरीज़ - इयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर।' यह किताब आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में पीएम मोदी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालती है। तब वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के युवा प्रचारक थे। यह किताब लोकतंत्र के आदर्शों के लिए लड़ते हुए नरेंद्र मोदी की एक स्पष्ट तस्वीर पेश करती है, कैसे उन्होंने अपने पूरे जीवन में इसे संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए काम किया। किताब में मोदी के साथ काम करने वाले सहयोगियों के किस्से और अन्य अभिलेखीय सामग्री का इस्तेमाल किया गया है।
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पीएम मोदी ने अपनी किताब पर क्या कहा?
ब्लूक्राफ्ट के पोस्ट को पीएम मोदी ने साझा किया। उन्होंने कहा कि आपातकाल के वक्त मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था। आपातकाल विरोधी आंदोलन मेरे लिए सीखने का एक अनुभव था। इसने हमारे लोकतांत्रिक ढांचे को बचाए रखने की अहमियत को मजबूत किया। मुझे राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सभी लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे खुशी है कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने उन अनुभवों में से कुछ को एक किताब के रूप में संकलित किया है। इसका प्रस्तावना एचडी देवेगौड़ा जी ने लिखी है। वह खुद आपातकाल विरोधी आंदोलन के एक दिग्गज थे।