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बरेली के बाद महाराष्ट्र में भड़की हिंसा, लाठीचार्ज, 30 लोग गिरफ्तार

'आई लव मोहम्मद' को लेकर यूपी से शुरू हुआ बवाल अब अहिल्यानगर तक पहुंच चुका है। इस मामले में पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

Ahilyanagar Screengrab। Photo Credit: PTI

अहिल्यानगर हिंसा स्क्रीनग्रैब । Photo Credit: PTI

उत्तर प्रदेश के कानपुर में शुरू हुआ ‘I Love Mohammed’ का बवाल अब बढ़ते बढ़ते महाराष्ट्र पहुंच गया है। अभी बरेली में हुई हिंसा और झड़प की आग शांत भी नहीं हुई थी कि अब महाराष्ट्र के अहिल्यानगर में भी हिंसा शुरू हो गई है। मामले की शुरुआत शहर के मालीवाड़ा इलाके में हुई, जहां कुछ अज्ञात लोगों ने एक रंगोली बनाकर कथित तौर पर उस पर कुछ विवादित शब्द लिख दिए।

 

जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो लोग सड़कों पर उतर आए और बड़ी संख्या में कोतवाली थाने के बाहर इकट्ठा होकर विरोध जताने लगे। देखते ही देखते मामला हिंसक हो गया और पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। खबरों के मुताबिक अब तक 30 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है।

बारा तोटी का मामला

पुलिस ने कहा, 'बारा तोटी एरिया में रंगोली बनाकर मुस्लिम धर्म के लोगों की भावना को ठेस पहुंचाने की कोशिश की। इस मामले में दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इनमें से एक आरोपी को कब्जे में लेकर पूछताछ की जा रही है।'

 

यह विवाद सुबह 7 बजे शुरू हुआ जब नवरात्रि कि सजावट के दौरान धार्मिक रूप से कुछ आपत्तिजनक पैटर्न बनाया गया। इसके बाद कुछ लोगों ने पुलिस थाने में जाकर मामला दर्ज कराया। हालांकि, भीड़ इससे संतुष्ट नहीं हुई और पत्थरबाजी शुरू हो गई। जब पुलिस को लगा कि स्थिति पर काबू नहीं पाया जा सकता तो उन्होंने लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया।

 

 

क्या बोले सीएम?

देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यह भी देखना पड़ेगा कि क्या इसमें कोई साजिश है, क्या कोई महाराष्ट्र के ताने-बाने को उधेड़ने की कोशिश कर रहा है। आगे उन्होंने कहा, 'जिस प्रकार से पोलराइजेशन का प्रयास महाराष्ट्र में हुआ था उसी प्रकार से कोई कुछ कर रहा है। सभी को अपने धर्म का अवलंबन करने का अधिकार है लेकिन लोगों के बीच तनाव पैदा हो इस प्रकार से कोई करता है तो यह उचित नहीं है।'

 

यूपी से शुरू हुआ विवाद

दरअसल, यह विवाद उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ जब बारावफात के जुलूस के दौरान सार्वजनिक स्थान पर एक पोस्टर लगा दिया गया जिस पर बवाल हो गया। इसके बाद इस मामले में 9 नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इस पर हिंदू संगठनों ने विरोध दर्ज कराया और आरोप लगाया कि यह जानबूझकर उकसाने वाला कदम हैं।

 

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