दिल्ली-NCR में लो-स्पीड वाले वाहन कैसे बन रहे सड़क हादसे की वजह?
दिल्ली-NCR में जब लो-स्पीड वाले वाहन आए तो रोजगार के अवसर बढ़े लेकिन इसके साथ ही सड़क हादसों के मामले भी बढ़ते चले गए। आखिर लो-स्पीड वाले वाहन कैसे बन रहे सड़क हादसों की वजह, यहां समझिए।

लो-स्पीड वाले वाहन, Photo Credit: AI Generated
दिल्ली-NCR की सड़कों पर लो-स्पीड वाले वाहन जैसे ई-रिक्शा और इलेक्ट्रिक स्कूटी की वजह से जाम लगना आम बात है। कार में बैठे लोगों की गालियां अक्सर इनके लिए ही निकलती हैं क्योंकि या तो ऐसे वाहन आपका रास्ता रोके हुए दिखेंगे या रोड ब्लॉक करते नजर आएंगे। हालांकि, दिल्ली-NCR में लो-स्पीड वाहनों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और इसी वजह से ये कई तरह की समस्याओं और सड़क हादसों की वजह बन रहे हैं। ऐसे में आइये समझते हैं कि लो-स्पीड वाहन के कारण होने वाली समस्याएं आखिर हैं क्या और इनके समाधान क्या हो सकते हैं?
दिल्ली-NCR में चलने वाले लो-स्पीड वाहन
दिल्ली और आसपास के इलाकों में कई तरह के लो-स्पीड वाहन सड़कों पर देखने को मिलते हैं, जैसे:
ई-रिक्शा
सस्ती और सुलभ पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन सेवा प्रदान करता हैं।
अनियमित संचालन और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी से ई-रिक्शा से सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती है।
तिपहिया (ऑटो-रिक्शा और लोडर)
संकरी गलियों और कम दूरी के सफर के लिए उपयोगी।
ओवरलोडिंग और गलत लेन में चलने के कारण ट्रैफिक बाधित होता है।
ट्रैक्टर-ट्रॉली और धीमी गति वाले मालवाहक वाहन
निर्माण कार्यों और कृषि से जुड़े कार्यों में सहायक।
तेज रफ्तार ट्रैफिक के बीच चलने से एक्सीडेंट की संभावना बढ़ती है।
साइकिल और बैटरी-ऑपरेटेड स्कूटर
पर्यावरण के अनुकूल और सस्ते परिवहन साधन।
हाईवे और मुख्य सड़कों पर चलने से हादसों का खतरा रहता है।
कैसे बनते है सड़क हादसों की वजह?
स्पीड अंतर (Speed Mismatch): हाई-स्पीड और लो-स्पीड वाहनों के एक ही सड़क पर चलने से दुर्घटना की संभावना अधिक होती है।
गलत लेन में चलना: ई-रिक्शा और ऑटो कई बार तेज स्पीड वाले लेन में चलते हैं, जिससे ट्रैफिक बाधित होता है।
सड़क नियमों की अनदेखी: ट्रैफिक सिग्नल तोड़ना, अचानक मुड़ना और ओवरलोडिंग जैसी लापरवाहियां हादसों को बढ़ावा देती हैं।
रात्रि में दृश्यता की समस्या: कई लो-स्पीड वाहनों में लाइट और रिफ्लेक्टिव टेप नहीं होते, जिससे एक्सीडेंट की संभावना बढ़ जाती है।
अनियंत्रित पार्किंग: ई-रिक्शा और ऑटो सड़क किनारे गलत ढंग से खड़े होते हैं, जिससे ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाएं होती हैं।
लो-स्पीड वाहनों पर अक्सर ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के बावजूद कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती। इसके पीछे कई कारण होते हैं जैसे स्पष्ट कानूनों की कमी, लाइसेंस की समस्या समेत वसूली लेना। इसे विस्तार से समझें...
कानूनों की कमी
कई लो-स्पीड वाहन, खासतौर पर ई-रिक्शा और साइकिल, को लेकर ट्रैफिक कानून स्पष्ट नहीं हैं। ई-रिक्शा का संचालन 2014 में कानूनी रूप से मान्यता मिली लेकिन उनके लिए सख्त ट्रैफिक नियम और दंड प्रक्रिया पूरी तरह लागू नहीं की गई है।
रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस की समस्या
अधिकांश ई-रिक्शा और साइकिल जैसे वाहन रजिस्टर्ड नहीं होते हैं, इसलिए ट्रैफिक पुलिस उन पर कार्रवाई नहीं कर पाती। बता दें कि ऐसे वाहनों के चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती, जिससे कानून लागू करना मुश्किल हो जाता है।
ट्रैफिक पुलिस की प्राथमिकता
पुलिस आमतौर पर तेज रफ्तार वाहनों, ओवरलोडिंग, ड्रंक ड्राइविंग जैसी बड़ी यातायात उल्लंघनों पर ज्यादा ध्यान देती है। ऐसे में लो-स्पीड वाहन छोटे हादसों की वजह बनते हैं लेकिन उन पर ज्यादा सख्त कार्रवाई नहीं होती। इसके अलावा ई-रिक्शा, ठेले और साइकिल चालक आमतौर पर निम्न आय वर्ग से आते हैं। सरकारें और पुलिस उन पर सख्ती नहीं करना चाहतीं, क्योंकि इससे रोजगार पर असर पड़ सकता है और विरोध प्रदर्शन होने की आशंका रहती है।
ट्रैकिंग और फाइन वसूली की समस्या
कारों और बाइक पर ई-चालान आसानी से किया जाता है लेकिन ई-रिक्शा, ठेले और साइकिल चालकों के पास न रजिस्ट्रेशन नंबर होता है और न ही डिजिटल भुगतान का सिस्टम, जिससे चालान वसूलना मुश्किल होता है।
बिना परमिट के गाड़ी चलना
दिल्ली-NCR में हजारों अनियमित ई-रिक्शा और अन्य लो-स्पीड वाहन बिना परमिट चल रहे हैं। इन पर कार्रवाई करने के लिए सरकारी एजेंसियों के बीच कॉर्डिनेशन की कमी है।
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अमेरिका और बाकी अन्य देशों में लो-स्पीड वाहन को लेकर क्या नियम?
अमेरिका और अन्य विकसित देशों में लो-स्पीड वाहनों को लेकर सख्त नियम और गाइडलाइंस लागू हैं। इन देशों में लो-स्पीड वाहनों को नियंत्रित करने के लिए खास कानून, लाइसेंसिंग, और सुरक्षा मानक तय किए गए हैं। आइए देखें कि अमेरिका और अन्य प्रमुख देशों में लो-स्पीड वाहनों के लिए क्या नियम हैं।
अमेरिका में लो-स्पीड वाहन के लिए नियम
अमेरिकी नेशनल हाईवे ट्रैफिक सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन (NHTSA) के अनुसार, LSV वे वाहन होते हैं जिनकी अधिकतम गति 20-25 मील प्रति घंटा (32-40 किमी/घंटा) होती है। ये मुख्य रूप से गोल्फ कार्ट, इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV), और अन्य हल्के वाहन होते हैं। इन्हें सिर्फ गति सीमा 35 मील प्रति घंटे (56 किमी/घंटा) से कम वाली सड़कों पर ही चलाने की अनुमति होती है।
- सुरक्षा मानक
LSV में हेडलाइट, टेल लाइट, टर्न सिग्नल, ब्रेक लाइट, रियर व्यू मिरर, और सीट बेल्ट अनिवार्य हैं।
इन वाहनों को FMVSS (Federal Motor Vehicle Safety Standards) के अनुरूप बनाया जाता है।
बिना उचित सुरक्षा उपकरणों के LSV को पब्लिक रोड पर अनुमति नहीं दी जाती।
- लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन
अमेरिका के अधिकतर राज्यों में LSV को ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण (Registration) की जरूरत होती है।
कुछ राज्यों में इन्हें बीमा (Insurance) और नंबर प्लेट के साथ ही चलाने की अनुमति है।
गोल्फ कार्ट जैसे वाहन, जो LSV नहीं हैं, उन्हें आमतौर पर गेटेड कम्युनिटी या प्राइवेट सड़कों तक सीमित रखा जाता है।
- लेन और ट्रैफिक नियम
LSV को मुख्य हाईवे और फ्रीवे पर चलने की अनुमति नहीं होती।
कुछ शहरों में लो-स्पीड वाहनों के लिए अलग ट्रैक्स और लेन बनाए गए हैं।
कई स्थानों पर इन्हें साइकिल लेन या फुटपाथ पर चलाने की अनुमति नहीं है।
यूरोप में लो-स्पीड वाहनों के नियम
यूनाइटेड किंगडम (UK)
UK में लो-स्पीड वाहनों को Quadracycles की कैटगरी में रखा जाता है।
अधिकतम गति 45 किमी/घंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए।
वाहन का इंश्योरेंस, MOT टेस्ट (सुरक्षा जांच), और रोड टैक्स अनिवार्य होता है।
इन्हें मुख्य राजमार्गों पर चलाने की अनुमति नहीं है।
जर्मनी
जर्मनी में लो-स्पीड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (e-Kleinfahrzeuge) के लिए स्पेशल लाइसेंस और सुरक्षा मानक तय किए गए हैं।
20 किमी/घंटा से तेज वाहनों के लिए इंश्योरेंस और लाइसेंस प्लेट जरूरी होती है।
विशेष लेन और ट्रैफिक नियम बनाए गए हैं ताकि ये वाहन मुख्य सड़कों पर ट्रैफिक को बाधित न करें।
फ्रांस
फ्रांस में 'Voiture Sans Permis' यानी बिना लाइसेंस वाले लो-स्पीड वाहनों की अनुमति है।
इन्हें अधिकतम 45 किमी/घंटा की स्पीड तक चलाया जा सकता है, लेकिन इनका रजिस्ट्रेशन और बीमा अनिवार्य है।
हाईवे और तेज रफ्तार सड़कों पर इन्हें चलाने की मनाही है।
चीन और जापान में लो-स्पीड वाहन नियम
चीन
चीन में इलेक्ट्रिक लो-स्पीड वाहनों की संख्या बहुत अधिक है, खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में।
हाल ही में सरकार ने ई-रिक्शा और अन्य लो-स्पीड वाहनों के लिए पंजीकरण और ड्राइवर लाइसेंस अनिवार्य कर दिया है।
बिना रजिस्ट्रेशन वाले वाहन चलाने पर भारी जुर्माने का प्रावधान है।
जापान
जापान में लो-स्पीड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को 'Mini Vehicles' की कैटगरी में रखा जाता है।
इन्हें विशेष रूप से अलग लेन और लो-स्पीड जोन में ही चलाने की अनुमति होती है।
सुरक्षा मानकों को लेकर बेहद सख्ती है – सभी लो-स्पीड वाहनों में सुरक्षा बेल्ट, इंडिकेटर, और लाइट्स का होना अनिवार्य है।
भारत और दिल्ली-NCR में क्या बदलाव जरूरी हैं?
दिल्ली-NCR में लो-स्पीड वाहनों को लेकर अभी भी सख्त नियमों की जरूरत है। अन्य देशों के नियमों को देखकर कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। जैसे, पंजीकरण और लाइसेंसिंग लागू हो जिससे ई-रिक्शा और अन्य लो-स्पीड वाहनों का उचित रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाए। वहीं, सुरक्षा मानक तय किए जाएं ताकि सभी वाहनों में सीट बेल्ट, इंडिकेटर, और लाइटिंग की अनिवार्यता हो।
इसके अलावा अलग ट्रैक्स बनाए जाएं और बीमा अनिवार्य किया जाए जिससे दुर्घटनाओं की स्थिति में उचित मुआवजा दिया जा सके। वहीं, स्पीड-गवर्नर (Speed Governor) लागू किया जाए ताकि ये वाहन तय गति सीमा से अधिक तेज न चलें। अगर भारत में भी अमेरिका, यूरोप, और चीन-जापान जैसे देशों की तरह सख्त नियम लागू किए जाएं, तो सड़क सुरक्षा में बड़ा सुधार हो सकता है और हादसों को रोका जा सकता है।
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