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तमिलनाडु: मदुरै टंगस्टन प्रोजेक्ट के खिलाफ भड़के क्यों ग्रामीण?

तमिलनाडु के मदुरै टंगस्टन माइनिंग को लेकर लोग बेहद गुस्से में हैं। लोगों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट को किसी भी कीमत पर मंजूरी नहीं मिलनी चाहिए। वजह क्या है, हंगामा क्यों बरपा है, विस्तार से समझिए।

Protest against Tungsten Mining projects

मदुरै के टंगस्टन प्रोजेक्ट के खिलाफ सड़क पर उतरे 20 गांव के लोग। (Photo Credit: X, ThengaChutneyy)

तमिल के मदुरै में ग्रामीण टंगस्टन माइनिंग प्रोजेक्ट के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। हजारों की संख्या में लोग इस प्रोजेक्ट के खिलाफ उतरे हैं और इस प्रोजेक्ट के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। लोग मदुरै के नरसिंघमपट्टी गांव से लेकर मदुरै के डाकघर तक सड़कों पर पैदल ही उतर आए हैं। लोगों के हाथों में तख्तियां हैं, वे नारेबाजी कर रहे हैं।

ग्रामीणों की मांग है कि टंगस्टन माइनिंग प्रोजेक्ट का गंभीर असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ेगा। इस प्रोजेक्ट से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचेगा। ग्रामीणों की मांग है कि स्थानीय अधिकारी उनका सहयोग करें और इस प्रोजेक्ट को रद्द करने के लिए उनकी मदद करें। मदुरै के करीब 20 गांव इस प्रोजेक्ट के खिलाफ सड़कों पर आए हैं। उनका कहना है कि यह प्रोजेक्ट तत्काल रद्द कर दिया जाए। 

टंगस्टन माइनिंग प्रोजेक्ट का विरोध सिर्फ ग्रामीण ही नहीं कर रहे हैं, आसपास के व्यवसायी भी इस प्रोजेक्ट के विरोध में उतर आए हैं। दुकानें बंद हैं। आखिर इस प्रोजेक्ट में ऐसा क्या है कि ग्रामीण विरोध कर रहे हैं, आइए विस्तार से समझते हैं।

क्यों विरोध हो रहा है?
केंद्र सरकार ने हाल ही में टंगस्टन माइनिंग प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। प्रोजेक्ट की शुरुआत नायकरपट्टी से होने वाली थी। ग्रामीणों का कहना है कि यह योजना पर्यावरण के खिलाफ है, लोगों के स्वास्थ्य पर इसका गंभीर असर होगा, इससे सरकार तत्काल रद्द कर दे। यह कृषि के लिए भी घातक साबित होगा।

स्थानीय लोगों की मांग है कि हर हाल में टंगस्टन प्रोजेक्ट रद्द हो। (Photo Credit: X, rajanjourno

राज्य सरकार का रुख क्या है?
राज्य सरकार ने टंगस्टन माइनिंग प्रोजेक्ट के खिलाफ एक रिजोल्यूशन लेकर आई थी। 25 गांवों के बीच एक पंचायत हुई, सबने एक सुर में इस प्रोजेक्ट के खिलाफ आवाज उठाई है। केसमपट्टी गांव की महिलाएं भी 29 दिसंबर से ही विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। 



टंगस्टन धातु का इस्तेमाल क्या है?
टंगस्टन एक दुर्लभ धातु है जो इस इलाके में बहुतायत है। यह धातु ऑटोमोबाइल, रक्षा उद्योगों और ग्रीन एनर्जी टेक्नोलॉजी में इस्तेमाल होता है। जहां प्रोजेक्ट शुरू होगा वहां घने जंगल और पहाड़ियां हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हमारी कला, धर्म, भोजन, संस्कृति और परंपरा इससे प्रभावित होगी। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपनी जमीन के बिना नहीं रह सकते हैं। यह प्रोजेक्ट उनके हकों को छीनने का साधन है। 

टंगस्टन प्रोजेक्ट के खिलाफ कई दिनों से प्रदर्शन हो रहा है। (Photo Credit: X, rajanjourno

किसे मिली है खनन की जिम्मेदारी?
खनन मंत्रालय ने ऐलान किया था कि 5000 एकड़ में फैले 8 ब्लॉक में टंगस्टन खनन की डील हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को दिया गया है। यह कंपनी वेदांता लिमिटेड की सहायक कंपनी है। खनन के लिए प्रस्तावित मेलूर इलाके में अरिट्टापट्टी और नायकरपट्टी के कई गांव हैं। यहां टंगस्टन और स्केलाइट से धातुएं पाई जाती हैं। यहां ऐतिहासिक धरोहर भी हैं। 

तमिलनाडु सरकार ने क्या कहा है?
तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार से अपील की है कि मदुरै में टंगस्टन प्लांट डील को रद्द कर दिया जाए। वह ऐसा नहीं होने देंगे क्योंकि स्थानीय लोग इसके खिलाफ हैं। पहले इसी इलाके में ग्रेनाइट खनन के टेंडर जारी किए गए थे, जिसे स्थानीय लोगों के विरोध के बाद रोक दिया गया था। 

इस इलाके की विरासत क्या है?
टंगस्टन प्लांट की एक पत्थर पर 2300 साल पुराने ब्राह्मी पत्थर के शिलालेख हैं। सातवीं और आठवीं सदी के चट्टान काटकर तैयार किए गए मंदिर बनाए गए हैं, ऐतिहासिक मूर्तियां हैं, जिनका संरक्षण जरूरी है। स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह इलाका बेहद हराभरा है। यहां 200 प्राकृतिक झरने, तालाब और पक्षियों की 250 प्रजातियां रहती हैं। इतिहास के कई निशान इस क्षेत्र में हैं, जिन्हें लेकर ग्रामीण भावनात्मक तौर पर जुड़े हैं।

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