कई साल से हिंसा प्रभावित चल रहे मणिपुर में फिर से गोलीबारी की घटना हुई है। इंफाल ईस्ट के सानासाबी और थमनापोकपी में हुई हिंसा के बाद सीएम एन बिरेन सिंह ने आरोप लगाए हैं कि यह गोलीबारी 'कुकी उग्रवादियों' की ओर से की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस हमले में आम नागरिकों के साथ-साथ सुरक्षाबलों के जवान भी घायल हुए हैं। सीएम बिरेन सिंह ने कहा है कि राज्य की पुलिस और केंद्रीय बलों को आपस में बेहतर समझ और सहयोग रखना चाहिए। बताया गया है कि पहले उग्रवादियों की ओर से गोलीबारी की गई और बम चलाए गए जिसके बाद सुरक्षाबलों ने पलटवार किया। जहां पर यह घटना हुई उस गांव को खाली करा लिया गया है।
शुक्रवार को सानासाबी और थमनापोकपी में सुबह के लगभग 9:30 बजे गोली और बम से चलाए गए। इसी तरह के हमले कुछ अन्य इलाकों में हुए। मणिपुर में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और अन्य एजेंसियों ने पलटवार करने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को वहां से सुरक्षित निकाला। इस हमले में एक सुरक्षाकर्मी को गोली लगी है और उन्हें जवाहरलाल नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (JNIMS) में भर्ती करवाया गया है। एक और शख्स इस हमले में घायल हुआ है, फिलहाल वह खतरे से बाहर है।
क्या बोले सीएम बिरेन सिंह?
सीएम बिरेन सिंह ने अपने X पोस्ट में लिखा है, 'इंफाल ईस्ट के सानासाबी और थमनापोकपी में कुकी उग्रवादियों की ओर से की गई अंधाधुंध फायरिंग की मैं कड़ी निंदा करता हूं। उकसाने के लिए निर्दोषों पर किया गया यह कायराना हमला शांति और सद्भाव पर हमला है। प्रभावित इलाकों में पर्याप्त सुरक्षाकर्मी भेजे गए हैं। घायलों को इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है। सरकार शांति की अपील करती है और यह भी चाहती है कि ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए सब एकजुट हों। केंद्रीय सुरक्षाबलों और राज्य की पुलिस को चाहिए था कि वे ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्तय समन्वय रखें।'
मणिपुर के लिए यह हमला चिंता की बात है क्योंकि पिछले कुछ दिनों से शांति का माहौल बन रहा था। ऐसे में नए सिरे से हिंसा होना और कुकी गुट पर इसका आरोप लगना एक बार फिर से विवाद से और भड़का सकता है। यह सब तब हो रहा है जब हाल ही में पूर्व गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को मणिपुर का राज्यपाल बनाया गया है।
बता दें कि मणिपुर में ज्यादातर मेइती गांव घाटी में हैं और कुकी पहाड़ियों पर रहते हैं। पिछले लगभग डेढ़ साल से मणिपुर में चल रही हिंसा में अभी तक 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 50 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए हैं। हजारों परिवार ऐसे हैं जो अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए और आज तक अपने घरों की ओर नहीं लौट पाए हैं।