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मनमोहन सिंह की वह भविष्यवाणी, जो उनके जाते ही सच हो गई

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नहीं रहे। दुनिया उनके आर्थिक सुधारों की वजह से उन्हें याद करती है। उनकी एक भविष्यवाणी सच हुई है।

Manmohan Singh

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह। (तस्वीर-PTI)

देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह नहीं रहे। साल 2004 से 2014 तक वह लगातार दो बार प्रधानमंत्री रहे। उनके कार्यकाल पर विपक्ष ने जमकर सवाल उठाए। उन्हें 'कठपुतली' तक कहा गया। विपक्ष ने आरोप लगाए कि वह तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इशारे पर काम करते हैं। मनमोहन सिंह ने अपनी आलोचनाओं पर कहा था कि इतिहास उनके प्रति दयालु होगा।

डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके धुर विरोधी भी उन्हें बेहतरीन इंसान और प्रशासक बता रहे हैं। साल 2014 में प्रधानमंत्री पद से हटने से कुछ महीने पहले मनमोहन सिंह ने कहा था कि उनका नेतृत्व कमजोर नहीं है। इतिहास उनके प्रति मीडिया की ओर से लिखी गई बातों से कहीं अधिक दयालु होगा।

मनमोहन सिंह ने क्या कहा था?
मनमोहन सिंह ने जनवरी 2014 में दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, 'मैं यह नहीं मानता कि मैं एक कमजोर प्रधानमंत्री रहा हूं। मैं ईमानदारी से यह मानता हूं कि इतिहास मेरे प्रति समकालीन मीडिया या संसद में विपक्ष की तुलना में अधिक दयालु होगा। राजनीतिक मजबूरियों के बीच मैंने अपनी बेहतर कोशिश की है।'

मनमोहन सिंह से एक पत्रकार ने सवाल किया था कि आप अपने कार्यकाल को कैसे देखते हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा था, 'परिस्थितियों के अनुसार मैं जितना कर सकता था, उतना किया है। यह इतिहास को तय करना है कि मैंने क्या किया है या क्या नहीं किया है।'

धुर विरोधी रहे पीएम मोदी ने भी की तारीफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, 'भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक मना रहा है। साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वे एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने। उन्होंने वित्त मंत्री सहित विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया और वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर अपनी गहरी छाप छोड़ी। संसद में उनके हस्तक्षेप भी बहुत ही व्यावहारिक थे। हमारे प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए।'

 

भविष्यवाणी जो सच हो गई
मनमोहन सिंह के नेतृत्व, उनकी कार्य क्षमता और निर्णय शक्ति को लेकर लोग सवाल उठाते रहे। उनके निधन के बाद लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। उन्हें अर्थव्यवस्था के जानकार लोग उदारीकरण का जनक कहते हैं। उनके निधन पर उनके धुर विरोधी रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तारीफ में कसीदे पढ़े हैं।

मनमोहन सिंह के धुर आलोचक भी कह रहे हैं कि वह काम करने वाले प्रधानमंत्री थे और उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने में जी जान झोक दी थी। मनमोहन सिंह ने अपने अंतिम प्रेस कॉन्फ्रेंस में नरेंद्र मोदी के खिलाफ कहा था मुख्यमंत्री के रूप में मोदी के कार्यकाल में 2002 में हुए गुजरात दंगे हुए थे। बीजेपी ने तब नरेंद्र मोदी को एक मजबूत नेता के रूप में पेश किया था, जबकि लोकसभा चुनावों से पहले कमजोर नेतृत्व के मुद्दे पर सिंह पर निशाना साधा था। अब उसी बीजेपी के नेताओं ने मनमोहन सिंह को श्रद्धा से याद किया है और उनके कार्यकाल की तारीफ की है। 

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