logo

ट्रेंडिंग:

नागपुर हिंसा की एक-एक बात जो आप जानना चाहते हैं

नागपुर में हिंसा भड़काने का आरोप फहीम खान पर लगा है। वह माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी का सदस्य है। पढ़ें नागपुर हिंसा की पूरी कहानी।

Nagpur Violence

नागपुर हिंसा के दौरान कई गाड़ियों में आग लगा दी गई थी। (Photo Credit: PTI)

नागपुर हिंसा अब थम चुकी है। महाराष्ट्र पुलिस का कहना है कि अब नागपुर में स्थितियां नियंत्रण में हैं। सोमवार रात को भड़की हिंसा के बाद से ही इलाके में कर्फ्यू लागू है। शहर के कई इलाकों में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। पुलिस कमिश्नर रवींद्र कुमार सिंघल कानून व्यवस्था का जायजा लेने सड़कों पर उतरे हैं। 

2000 से ज्यादा से जवानों को संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया है। क्विक रेस्पॉन्स टीम और रॉयट कंट्रोल पुलिस की भी तैनाती कई इलाकों में की गई है। सोमवार शाम करीब 7.30 पर आंदोलन के दौरान हिंसा भड़की। पहली बार लोग टिटनिस पार्क इलाके में हिंसा पर उतरे, दूसरी बार रात 10.30 पर एक और जगह हिंसा भड़की। शुक्रवारी तालाब रोड पर भी हंगामा बरपा। दंगाइयों ने कई गाड़ियों में आग लगाई, घरों में पत्थर फेंका। 

हिंसा पर लोगों ने क्या कहा है, कैसे तनाव बढ़ा, क्या है विवाद की पूरी कहानी, पढ़ें एक-एक बात।

यह भी पढ़ें: औरंगजेब मकबरा विवाद: नागपुर में भड़की हिंसा; पथराव, वाहनों को लगाई आग

हिंसा क्यों भड़की है?
विकी कौशल की फिल्म छावा की रिलीज के बाद से ही औरंगजेब पर एक बार फिर देश में चर्चा शुरू हो गई है। उसकी गिनती इतिहास के सबसे क्रूर शासकों में होती है। महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर खुल्दाबाद में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र है। साल 1707 में अहिल्यानगर के पास उसकी मौत हो गई थी। वहां से उसकी लाश लाकर खुल्दाबाद में दफनाई गई थी। 

विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की मांग है कि यहां से कब्र हटा दी जाए। हिंदूवादी संगठनों का कहना है कि औरंगजेब मराठाओं पर जुल्म ढाता था, संभाजी महाराज की यातनापूर्ण हत्या की थी, इसलिए औरंगजेब की कब्र हटा दी जानी चाहिए। कब्र हटाने को लेकर ही हंगामा बरपा, जिसकी वजह से हिंसा भी भड़की।

यह भी पढ़ें- औरंगजेब की कब्र का बाबरी जैसा हश्र करने की धमकी, महाराष्ट्र में अलर्ट

 

नागपुर हिंसा के बाद के हालात। (Photo Credit: PTI)

दक्षिणपंथी संगठनों ने मराठवाड़ा में प्रदर्शन किया, तभी अफवाह फैली की लोगों ने इस्लामिक धर्मग्रंथ जलाए हैं। ऐसे शोर मचा कि स्थितियां अभी तक तनावपूर्ण हैं। पुलिस अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। नागपुर में कब-कब क्या हुआ, आइए जानते हैं-
 

औरंगजेब की प्रशंसा से शुरू हुई सियासत
3 मार्च को अबू आजमी ने 'छावा' फिल्म को खराब बताते हुए कहा, 'इतिहास को गलत दिखाया जा रहा है। औरंगजेब ने कई मंदिरों का निर्माण कराया था। मुझे नहीं लगता कि वह क्रूर प्रशासक था। औरंगजेब के शासनकाल में बर्मा और अफगानिस्तान तक भारत की सीमाएं फैली थीं, तब देश को सोने की चिड़िया कहा जाता है।'

अबू आजमी के बयान पर ऐसे बरपा हंगामा
अबू आजमी के बयान की महायुति सरकार ने आलोचना की।  डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे समेत महायुति नेताओं ने मांग की थी कि अबू आजमी को निलंबित किया जाए। उन्होंने कहा कि औरगंजेब गद्दार था, अबू आजमी का निलंबन होना चाहिए। यह तब हुआ, जब महाराष्ट्र में बजट सत्र चल रहा था। अबू आजमी पूरे सत्र के लिए सस्पेंड कर दिए गए।

यह भी पढ़ें: 'प्री-प्लान्ड अटैक, छावा और बवाल', नागपुर हिंसा पर क्या बोले फडणवीस


महाराष्ट्र से यूपी तक सियासत
5 मार्च को सीएम योगी ने कहा था कि विवादित बयान देने वाले अबू आजमी को समाजवादी पार्टी से बाहर निकाल देना चाहिए। उन्होंने कहा था कि जिन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत पर शर्म आती है, वे औरंगजेब को पूजते हैं। क्या उन्हें हमारे देश में रहने का हक है? यूपी विधानसभा में भी अबू आजमी के बयान पर हंगामा हुआ था। 

नागपुर हिंसा के बाद के हालात। (Photo Credit: PTI)

कैसे सुलगा बवाल?
7 मार्च को सतारा से बीजेपी सांसद उदयनराजे भोंसले ने कहा कि औरंगजेब की कब्र तोड़ देनी चाहिए, उसके मकबरे का काम क्या है। उन्होंने कहा, 'जेसीबी मशीन लाओ और मकबरे को ध्वस्त कर दो। उसके महिमामंडन की जरूरत क्या है। जो लोग मकबरा आते हैं, प्रार्थना करते हैं, वे इसे लेकर घर जाएं। क्या वे उनके वंशज हैं? उदयनराजे भोंसले खुद को छत्रपति शिवाजी का वंशज बताते हैं। 

फडणवीस ने क्या कहा था?
देवेंद्र फडणवीस ने 10 मार्च को उदयनराज भोंसले के बयान का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था, 'हम सब ऐसा सोचते हैं लेकिन सब कुच तय नियम कानूनों को हिसाब से ही हो सकता है। पुरानी कांग्रेस सरकार ने इसे भारतीय पुरातत्व विभाग के आधीन कर दिया था।' 

यह भी पढ़ें: 'पुलिस नहीं थी, सब प्लानिंग के साथ हुआ', नागपुर हिंसा पर बोले BJP MLA

 

नितेश राणे ने क्या कहा था?
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में शामिल बीजेपी नेता नितेश राणे ने भी कहा कि कब्र को उखाड़ फेंकना चाहिए। उन्होंने कहा, 'हम कब्र उखाड़ने के लिए तैयार हैं। यह सब कुछ ऐसा होगा, जिससे किसी को कोई खबर न लगे। पत्रकारों को यह तब पता चले, जब यह पूरा हो चुका हो। जैसे हम लोग छत्रपति शिवाजी महाराज के किले से अतिक्रमण हटाते हैं। हम यही इस कब्र के साथ करेंगे। जब यह होगा,तब यह ब्रेकिंग न्यूज बन जाएगा। हम सरकार में हैं, हमें डरने की जरूरत नहीं है।'

नागपुर हिंसा के बाद के हालात। (Photo Credit: PTI)

नहीं काम आई अजित पवार की अपील
अजित पवार अल्पसंख्यक हितों की बात करते हैं। महायुति नेताओं से उलट, उनकी पार्टी को अल्पसंख्यक राजनीति भी करती है। उन्होंने हंगामे को शांत करने की कोशिश की लेकिन असफल रहे। उन्होंने अबू आजमी विवाद पर कहा, 'महाराष्ट्र के सत्ताधारी दल और विपक्ष के कुछ नेताओं के बयान, महाराष्ट्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए खतरनाक हैं। सांप्रदायिक सद्भाव और सह अस्तित्व की भावना, हर समुदाय में होनी चाहिए।'

संजय राउत ने क्या कहा?
शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने 13 मार्च को कहा, 'औरंगजेब की कब्र, मराठाओं के शौर्य की प्रतीक है। वह कभी टूटनी नहीं चाहिे। छत्रपति शिवाजी ने औरंगजेब से बड़ी जंग लड़ी, उनके बाद भी 25 साल तक लड़ता रहा लेकिन जीत नहीं सका।'


14 मार्च को फिर बिगड़े संजय राउत के बोल
14 मार्च को संजय राउत ने कहा, '400 साल हो गए हैं, औरंगजेब को दफनाए हुए। उसे भूल जाओ। महाराष्ट्र में किसान क्या औरंगजेब की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं, वे आपकी वजह से आत्महत्या कर रहे हैं। बीजेपी का शासनकाल औरंगजेब से भी बुरा है।' 

रामदास आठवले ने क्या कहा?
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (A) के प्रमुख रामदास आठवले ने कहा, 'कब्र हटाने से कोई मकसद नहीं पूरा होगा। औऱंगजेब की कब्र महाराष्ट्र में सदियों से है। अब इसे फिर से खोलने की कोई जरूरत नहीं है। कब्र औरंगजेब के कुकर्मों की याद दिलाती है। इसे हटाने से कोई मकसद पूरा नहीं होगा।'

इन बयानों की वजह से भी बरपा हंगामा
17 मार्च को शिवसेना प्रवक्ता संजय शिरसाठ ने कहा, 'हमें औरंगजेब की कब्र की जरूरत नहीं है। हमारी पार्टी का मकसद इस मामले में साफ है। हम कब्र देखते हैं तो आपा खो देते हैं। एक बादशाह आता है, हमारे मंदिर तोड़ देता है, महिलाओं पर अत्याचार करता है, संभाजी महाराज की हत्या करता है, हमें उसकी कब्र क्यों चाहिए।' 

विकी कौशल की फिल्म 'छावा' का एक सीन। 

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि औरंगजेब की प्रशंसा नहीं की जानी चाहिए, यह कब्र ASI की ओर से संरक्षित इलाका है। उन्होंने कहा, 'हमारी सरकार औरंगजेब का महिमामंडन नहीं करने देगी। ASI की ओर से यह 5 दशक से संरक्षित है, दुर्भाग्य से इसकी सुरक्षा करना, सरकार का कर्तव्य है।'

यह भी पढ़ें: 140 लड़ाइयां, मुगलों से पंगा और दर्दनाक मौत, 'छावा' असली कहानी क्या है

हिंसा का मास्टरमाइंड गिरफ्तार हो गया
महाराष्ट्र में हिंसा भड़काने का आरोप फहीम शमीम खान पर है। फहीम पर आरोप है कि उसने लोगों को उकसाकर भीड़ जुटाई थी। पुलिस ने उसे 21 मार्च तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया है। वह माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी का नगरपुर सिटी अध्यक्ष है। वह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ चुनाव लड़ चुका है। पुलिस का कहना है कि नागपुर हिंसा सुनियोजित तरीके से भड़काई गई है। 

औरंगजेब की कब्र। (Photo Credit: wikipedia)

छावा का रोल कितना है अहम?
विकी कौशल की फिल्म छावा, संभाजी और औरंगजेब की लड़ाई पर बनी है। फिल्म में औरंगजेब संभाजी का क्रूर तरीके से दमन करता है, उन्हें अनगिनत यातनाएं देता है और धर्म परिवर्तन का दबाव बनाता है। संभाजी उसके आगे नहीं झुकते हैं तो वह उन्हें मारने का हुक्म देता है। यह फिल्म 14 फरवरी को रिलीज हुई थी। तब से लेकर अब तक इस फिल्म पर विवाद जारी है।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap