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इंसानों, जानवरों और सभ्यता का काल बनीं आपदाएं, कितना हो रहा नुकसान?

पिछला एक साल बेमौसम बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं की वजह से चर्चा में रहा। इन घटनाओं में न सिर्फ देश के हजारों लोग मारे गए बल्कि अरबों रुपये भी बर्बाद हो गए।

waynad landslide

वायनाड में लैंडस्लाइड की फाइल फोटो, Source: PTI

केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड हुई, हिमाचल प्रदेश भारी बारिश से बेहाल हुआ और पूर्वोत्तर में बाढ़ का कहर फैला। 2023-24 का साल भारत के लिए प्राकृतिक आपदाओं से भरा हुआ रहा। लगातार बदल रही जलवायु का असर हर राज्य में दिख रहा है। सर्दियों के दिन कम हो रहे हैं, गर्मी बढ़ती जा रही है और बेमौसम बारिश के मामले तेजी से बढ़े हैं। इन सब वजहों के चलते देश के हजारों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। कोई लैंडस्लाइड में बह जा रहा है तो किसी के पूरे जीवन की कमाई बाढ़ में तबाह हो जा रही है। अब केंद्र की सरकार ने जो आंकड़े संसद में रखे हैं, वे और भी डराने वाले हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक, एक साल में ढाई हजार से ज्यादा लोग प्राकृतिक आपदाओं में अपनी जान गंवा चुके हैं। इतना ही नहीं, इन आपदाओं के चलते देश को अरबों रुपयों का नुकसान भी हुआ है।

 

लोकसभा सांसद सेल्वाराज वी और सुब्रायन ने प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित सवाल पूछे थे। इन सवालों का जवाब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया है कि वह खुद को इस तरह के आंकड़े इकट्ठा नहीं करता है लेकिन बाढ़ और लैंडस्लाइड से जुड़े हादसों का डेटा उसके पास अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से आया है। सरकार ने यह भी बताया है कि नेशनल पॉलिसी ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट (NPDM) के मुताबिक, आपदा प्रबंधन का काम प्राथमिक स्तर पर राज्य सरकार के अंतर्गत आता है। इसके लिए राज्य सरकारें स्टेट डिजास्टर रेस्पॉन्स फंड (SDRF) का इस्तेमाल करती हैं। 

 

गृह मंत्रालय ने अपने जवाब में यह भी स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में राज्य सरकारों के अभियानों में उनकी मदद करती है।  इसके अलावा नेशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फंड (NDRF) की ओर से अतिरिक्त मदद भी दी जाती है। NDRF की ओर से मदद कितनी दी जाएगी इसका आकलन करने के लिए इंटर मिनिस्ट्रियल सेंट्रल टीम (IMCT) होती है जो प्रभावित क्षेत्र का दौरा करती है और नुकसान का आकलन करती है। 21 नवंबर 2024 तक सिर्फ 12 राज्य ऐसे हैं जहां IMCT का गठन किया गया है।


क्या कहते हैं आंकड़े?

 

सरकारों की ओर से दिए गए आंकड़े के मुताबिक, 2024-25 में पूरे देश में 2803 लोग मौसम और जल संबंधी आपदाओं में मारे गए। यानी बाढ़, लैंडस्लाइड और बादल फटने की घटनाओं में इतने लोगों की जान गई। वहीं, 2024-25 में ही 58,835 पशुओं की भी जान गई। एक साल में 3,47,770 घरों को नुकसान पहुंचा और पूरे देश में 10.23 लाख हेक्टेयर फसल भी ऐसी ही घटनाओं के चलते तबाह हो गई। ये सभी आंकड़े 27 नवंबर 2024 तक के हैं।

 

इन आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा 373 लोग  मध्य प्रदेश में, 358 लोग हिमाचल प्रदेश में, 322 लोग केरल में, 230 लोग गुजरात में और 203 लोग महाराष्ट्र में मारे गए। सबसे ज्यादा पशुओं की मौत तेलंगाना में हुई जहां 13412 जानवरों की मौत हुई। असम में 1.56 लाख और त्रिपुरा में 67 हजार घर ऐसी ही घटनाओं में तबाह हो गए। कर्नाटक, गुजरात और मणिपुर में भी 20-20 हजार से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा। सबसे ज्यादा 2.86 लाख हेक्टेयर फसल कर्नाटक में तबाह हुई। वहीं, पश्चिम बंगाल और असम में 1.38 लाख हेक्टेयर फसल बाढ़ के चलते बर्बाद हो गई। 

कितना पैसा खर्च हुआ?

 

इन घटनाओं में राज्य सरकारों के खूब पैसे भी खर्च हुए हैं। केंद्र सराकर की ओर से भी बड़ी धनराशि खर्च की गई है। यह धनराशि रेस्क्यू अभियान, राहत कैंप और बाद में होने वाले पुनर्वास कार्यक्रमों पर खर्च होती है। एक साल में SDRF के लिए कुल 26841 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए। इसमें केंद्र की हिस्सेदारी 20550 करोड़ तो राज्यों की हिस्सेदारी 6291 करोड़ रुपये थी। 

 

इसमें से एक साल के अंदर 10728 करोड़ रुपये पहली किस्त में और 4150 करोड़ रुपये दूसरी किस्त में SDRF से जारी भी किए गए। यानी लगभग 15 हजार करोड़ रुपये SDRF ने खर्च किए। इसके अलावा NDRF ने एक साल में 4043 करोड़ रुपये जारी किए। NDRF ने सबसे ज्यादा 3454 करोड़ रुपये कर्नाटक के लिए, 221 करोड़ रुपये सिक्किम के लिए, 276 करोड़ तमिलनाडु के लिए, 25 करोड़ त्रिपुरा के लिए और हिमाचल प्रदेश के लिए 66 करोड़ रुपये खर्च किए।

 

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