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हर दिन हो रहे सरेंडर और एनकाउंटर, 2026 में सच में खत्म हो जाएगा नक्सलवाद?

नक्सलवादी लगातार सरेंडर कर रहे हैं। पिछले दो दिनों में ही 258 नक्सलियों ने सरेंडर किया है और 2 जिलों को नक्सल मुक्त घोषित कर दिया गया है। इस तरह भारत नक्सल हिंसा से मुक्ति की ओर आगे बढ़ रहा है।

naxal surrender

नक्सलियों के ठिकानों से मिली सामग्री, Photo Credit: Khabargaon

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कुछ महीनों पहले एलान किया था कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को खत्म कर दिया जाएगा। इस दिशा में तेजी से काम भी चल रहा है। केंद्रीय सुरक्षा बलों और राज्यों की पुलिस की मदद से ऐसे अभियान चलाए जा रहे हैं, जिनके तहत या तो नक्सलियों को एनकाउंटर में ढेर किया जा रहा है या फिर वे सरेंडर कर दे रहे हैं। 2 दिन पहले ही खूंखार नक्सली भूपति समेत कुल 60 नक्सलियों ने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में एकसाथ सरेंडर कर दिया था। भूपति के नाम पर लाखों का का इनाम भी रखा गया था। महाराष्ट्र के बाद छत्तसीगढ़ में भी 170 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया है।। इसी के साथ गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार फिर से दोहराया है कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा।

 

बीते एक साल में लगातार एनकाउंटर जारी हैं। एनकाउंटर के अलावा नक्सलियों के संपर्क स्थापित करने की कोशिश की जा रही है, ताकि वे हथियार छोड़कर मुख्य धारा में शामिल हो सकें। इस बीच कई नक्सली हमले भी हुए हैं, जिनमें सुरक्षाबलों के कई जवान मारे गए हैं। 6 जनवरी 2025 को ऐसा ही एक हमला छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के कुटरू इलाके में हुई थी। डीआरजी जवानों को ले जा रही एक गाड़ी IED ब्लास्ट का शिकार हुई थी और एक ड्राइवर और 8 जवानों ने अपनी जान गंवा दी थी।

 

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2025 के शुरुआती तीन महीनों यानी 1 जनवरी से 20 मार्च के बीच अलग-अलग एनकाउंटर में 125 नक्सली मार गिराए गए थे। केंद्र सरकार का डेटा बताता है कि एक समय पर देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 38 हुआ करती थी जो घटते-घटते 6 पर आ गई है। इस साल 28 सितंबर 2025 तक कुल 1225 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया और 680 नक्सली गिरफ्तार किए जा चुके हैं। कुल 270 नक्सली मारे भी जा चुके हैं।

कैसे खत्म हो रहे नक्सली?

 

इसके बारे में खुद गृहमंत्री अमित शाह बताते हैं कि पहले कोई स्पष्ट नीति नहीं हुआ करती थी लेकिन 2014 के बाद से इस दिशा में तय योजना के तहत काम किया जा रहा है। वह कहते हैं, 'पिछले 6 साल में 336 नए CAPF कैंप बनाकर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई थी। 2014 से 2024 के बीच वामपंथी उग्रवादी प्रभावित राज्यों में 12 हजार किलोमीटर सड़क बनाई गई है, 850 स्कूल खोले गए हैं, 937 ATM लगाए गए हैं। मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर में एक दर्जन से ज्यादा समझौते करके हाथ में हथियार लेकर घूमने वाले 10,500 युवाओं का सरेंडर कराया है और उन्हें मुख्यधारा में ले आई है।'

 

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सरेंडर के बाद सीएम भूपेंद्र फडणवीस के साथ भूपति, Photo Credit: PTI

 


हाल ही में नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी के सदस्य रूपेश ने भी सरेंडर किया था। रूपेश ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, 'हम सरेंडर नहीं कर रहे हैं, हम हथियार छोड़ रहे हैं। आदिवासियों के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। हमने छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा से बात की है और अपनी 10 मांगें उनके सामने रखी हैं। हमने बस्तर में पांचवीं और छठी अनुसूची लागू करने की मांग की है। हम चाहते हैं कि माओवादी काडर के जो लोग जेलों में बंद हैं, उन्हें रिहा किया जाए।'

 

 

क्या बोले अमित शाह?

 

गुरुवार को एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा, 'हथियार रखना ह्यूमन राइट होता है क्या? कौन से पुस्तक में ऐसी व्याख्या है? उनके ह्यूमन राइट हैं इसीलिए कह रहा हूं कि हथियार डाल दीजिए और आप मेन स्ट्रीम में आइए तो आपको आपके सारे अधिकार मिलेंगे। आप चुनकर गांव के सरपंच बनिए, जिला पंचायत में आइए, आपकी आवाज मुखर करिए। कोई समस्या नहीं है लेकिन हथियार लेकर दूसरों के प्रति हिंसा करना, देश का संविधान इसकी अनुमति नहीं देता है। अगर हाथ में हथियार है तो उनसे कोई बात नहीं होगी। अगर हथियार डाल दिए तो स्वागत है।'

 

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उन्होंने अपने एक X पोस्ट में लिखा था, यह अत्यंत हर्ष की बात है कि एक समय आतंक का गढ़ रहे छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ और नॉर्थ बस्तर को आज नक्सली हिंसा से पूरी तरह मुक्त घोषित कर दिया गया है। अब छिटपुट नक्सली केवल साउथ बस्तर में बचे हुए हैं, जिन्हें हमारी सुरक्षा बल शीघ्र ही समाप्त कर देंगे। जनवरी 2024 में छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार बनने के बाद से 2100 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, 1785 को गिरफ्तार किया गया है और 477 को न्यूट्रिलाइज किया गया है। यह 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के हमारे दृढ़ संकल्प का प्रतिबिम्ब है।'

 

 

 

 

गृहमंत्री अमित शाह ने अपने एक और ट्वीट में लिखा, 'नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलता! छत्तीसगढ़ में आज 170 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, कल 27 ने हथियार डाले थे। महाराष्ट्र में भी कल 61 नक्सली हथियार त्याग कर मुख्यधारा में लौटे। पिछले दो दिनों में कुल 258 वामपंथी उग्रवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ा है। हिंसा छोड़कर भारत के संविधान में अपना विश्वास फिर स्थापित करने के इन सभी के निर्णय की सराहना करता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की निरंतर कोशिशों का ही यह परिणाम है कि नक्सलवाद आखिरी सांसें ले रहा है। नक्सलियों के विरुद्ध हमारी नीति स्पष्ट है: जो आत्मसमर्पण करना चाहते हैं उनका स्वागत है लेकिन जो लोग हथियार उठाए रहेंगे, उन्हें हमारी सुरक्षा बलों की कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। सभी नक्सलियों से मेरी अपील है कि वे अपने हथियार त्याग दें और मुख्यधारा में लौट आएं।'

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