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20 मिनट में 1 रेप, 97.5% केस में पहचान वाले ही आरोपी; डराते हैं आंकड़े

NCRB की रिपोर्ट बताती है कि 2022 की तुलना में 2023 में रेप के मामलों में थोड़ी कमी जरूरी आई है लेकिन साथ ही साथ कन्विक्शन रेट भी 5 फीसदी तक कम हो गया है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

  • भारत में हर 20 मिनट में 1 लड़की दरिंदगी का शिकार होती है।
  • रेप के 97.5% मामलों में आरोपी पीड़िता की जान-पहचान वाला होता है।
ये दो आंकड़े हैं जो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की नई रिपोर्ट में सामने आए हैं। NCRB ने हाल ही में 2023 के अपराधों पर रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक, 2022 की तुलना में 2023 में रेप के मामलों में थोड़ी सी कमी भी आई है। 2022 के मुकाबले 2023 में रेप के 6 फीसदी मामले कम सामने आए हैं। 
 
NCRB की नई रिपोर्ट बताती है कि 2023 में देशभर में रेप के 29,670 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें 29,909 पीड़िताएं थीं। इस हिसाब से हर दिन औसतन 82 महिलाओं के साथ रेप हुआ। यानी हर घंटे 3 और हर 20 मिनट में 1 महिला दरिंदगी का शिकार हुई।
 
इससे पहले 2022 में रेप के 31,516 मामले दर्ज हुए थे, जिनमें 31,982 पीड़िताएं थीं। इस हिसाब से 2022 में हर दिन औसतन 87 महिलाओं का रेप किया गया।
 

बच्ची, बुजुर्ग... किसी को नहीं छोड़ते दरिंदे

हैरान करने वाली बात यह है कि महिलाओं के साथ दरिंगदी करने वालों को उनकी उम्र से कोई फर्क नहीं पड़ता। आंकड़े बताते हैं कि पीड़िता की उम्र कितनी भी हो, दरिंदे उसे अपना शिकार बना ही लेते हैं।
 
NCRB की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में जितनी रेप पीड़िताएं थीं, उनमें से 852 की उम्र 18 साल से भी कम थी। यानी, हर 100 पीड़िता में से 3 नाबालिग थी। डराने वाली बात ये है कि रेप पीड़िताओं में 18 की उम्र तो 6 साल से भी कम थी। इतना ही नहीं, 60 साल से ज्यादा उम्र की 70 महिलाओं के साथ रेप हुआ था।
 
एक हैरान करने वाला आंकड़ा यह भी है कि रेप के 97.5% मामलों में आरोपी पीड़िता की कोई जान-पहचान वाला ही था। आंकड़ों के मुताबिक, रेप के 29,670 मामलों में से 28,915 में आरोपी पीड़िता की जान-पहचान वाले ही थे। इनमें से 1,750 तो परिवार का ही कोई सदस्य था। इनके अलावा 14,633 मामले ऐसे थे जिनमें आरोपी कोई दोस्त या ऑनलाइन फ्रेंड या शादी का झांसा देने वाला या फिर सेपरेटेड हस्बैंड था। 12,532 मामलों में आरोपी कोई फैमिली फ्रेंड, पड़ोसी या फिर ऑफिस का कोई बॉस या सीनियर था।
 
 

... और सजा कितनों को?

2012 के दिल्ली के निर्भया कांड के बाद रेप कानूनों को सख्त किया गया था। रेप के मामलों में दोषी को उम्रकैद से लेकर फांसी की सजा तक का प्रावधान है। रेप के मामलों में अगर दोषी को उम्रकैद मिली है तो वह ताउम्र जेल में ही रहता है। 
 
हालांकि, सख्त कानूनों के बावजूद भारत में रेप के मामलों में सजा मिलने की दर यानी कन्विक्शन रेट बहुत कम है। 2023 में रेप के मामलों में कन्विक्शन रेट 27.4% था, जो 2023 में घटकर 22.7% हो गया। यानी, 2023 में रेप के 100 मामलों में 23 से भी कम में आरोपी को सजा हो सकी।
 
NCRB की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में देशभर की अदालतों में रेप के 19,677 मामलों में ट्रायल कम्प्लीट हुआ था। इनमें से सिर्फ 4,464 मामलों में ही आरोपी को सजा मिली थी। 14,158 मामलों में आरोपी को बरी कर दिया गया था। 1,055 मामले तो अदालत में ही खारिज हो गए थे। आंकड़े बताते हैं कि 2023 के आखिर तक देशभर की अदालतों में रेप के 1.82 लाख से ज्यादा मामले पेंडिंग थे। यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है, क्योंकि 2022 तक अदालतों में रेप के 1.78 लाख मामले पेंडिंग थे। 
 
इतना ही नहीं, रेप के मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान होने के बावजूद 25 साल में सिर्फ 5 दोषियों को ही फांसी हुई है। 2004 में धनंजय चटर्जी को फांसी हुई थी। वहीं, मार्च 2020 में निर्भया के चार दोषियों को एकसाथ फांसी पर लटकाया गया था।
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