मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने शनिवार को न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व महाप्रबंधक और लेखा प्रमुख हितेश मेहता को 122 करोड़ रुपये के धन गबन के मामले में गिरफ्तार किया। मेहता को कल अदालत में पेश किया जाएगा।
ईओडब्ल्यू ने उनके दहिसर स्थित आवास पर भी छापा मारा और कुछ दस्तावेज जब्त किए। कथित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंक पर प्रतिबंध लगाए जाने के दो दिन बाद मेहता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने बताया कि बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवर्षि शिशिर कुमार घोष (48) द्वारा उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद मेहता पर मामला दर्ज किया गया।
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122 करोड़ गबन का आरोप
पुलिस में दर्ज अपनी शिकायत में घोष ने कहा कि मेहता और उनके साथी (अभी नाम नहीं बताया गया है) बैंक के भरोसेमंद कर्मचारी थे और प्रभादेवी और गोरेगांव स्थित बैंक के दफ्तरों में रखी नकदी उनकी सुरक्षा में थी। लेकिन दोनों ने कथित तौर पर आपराधिक साजिश रची और करीब 122 करोड़ रुपये का गबन किया।
शिकायत के मुताबिक, कथित घोटाला 2020 से 2025 के बीच हुआ। ईओडब्ल्यू को हाल ही में बैंक से कथित वित्तीय अनियमितताओं के बारे में शिकायत मिली थी। शुक्रवार को ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी का बयान दर्ज किया, दादर थाने में एफआईआर दर्ज की और फिर जांच अपने हाथ में ले ली। एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 316(5) (लोक सेवक या बैंकर, व्यापारी, दलाल, वकील या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और 61(2) (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज की गई थी।
लोगों की थी लंबी कतार
शुक्रवार को, हज़ारों की संख्या में घबराए हुए जमाकर्ता बैंक की शाखाओं के सामने कतार में खड़े थे, यह जानने के लिए कि क्या उनका पैसा सुरक्षित है और क्या वे इसे निकाल सकते हैं।
आरबीआई के प्रतिबंधों के कारण बैंक अपनी वित्तीय स्थिरता पर चिंताओं के कारण छह महीने तक नए ऋण जारी नहीं कर सकता, निवेश नहीं कर सकता, धन उधार नहीं ले सकता या निकासी की अनुमति नहीं दे सकता। आरबीआई ने 'खराब गवर्नेंस स्टैंडर्ड' का हवाला देते हुए बैंक के निदेशक मंडल को 12 महीने के लिए भंग कर दिया।
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RBI ने लिया ऐक्शन
आरबीआई ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक श्रीकांत को बैंक के मामलों के प्रबंधन के लिए एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया है। इसके अतिरिक्त, आरबीआई ने कहा कि उनकी सहायता के लिए सलाहकारों की एक समिति बनाई गई है।
आरबीआई ने घाटे में चल रहे बैंक को निर्देश दिया है कि वह आरबीआई की लिखित पूर्व स्वीकृति के बिना कोई भी ऋण या अग्रिम राशि न दे या उसका नवीनीकरण न करें, कोई भी निवेश न करे, धन उधार लेने और नए जमा स्वीकार करने सहित कोई भी दायित्व न उठाए, अपनी देनदारियों और दायित्वों के निर्वहन में कोई भी भुगतान न करे या भुगतान करने के लिए सहमत न हो।
आरबीआई के प्रतिबंध 13 फरवरी को कारोबार बंद होने के बाद लागू हुए और छह महीने तक वैध रहेंगे।
30 शाखाओं का नेटवर्क
न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के पास 30 शाखाओं का नेटवर्क है और मार्च 2024 तक 2,436 करोड़ रुपये का जमा आधार है। बैंक ने 2023-24 में 22.78 करोड़ रुपये और 2022-23 में 30.74 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया था।
बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी वाले ऋणों के कारण पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) बैंक के संकट के बाद महाराष्ट्र में किसी सहकारी बैंक के खिलाफ यह पहली बड़ी कार्रवाई है।
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