इस साल के अब आखिरी कुछ घंटे बचे हैं और लोग नए साल का स्वागत करने के लिए तैयार हैं। नए साल पर 31 दिसंबर की पूरी रात कई लोग जश्न मनाते हैं। जश्न मनाने का तरीका हर किसी का अलग-अलग हो सकता है। कुछ लोग डांस पार्टी करते हैं तो कुछ डिनर पार्टी करते हैं। हर कोई अपने-अपने हिसाब से नए साल के जश्न का प्लान बना रहा है। इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने नए साल का जश्न मनाने को लेकर फतवा जारी किया है। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बताया कि 31 दिसंबर को जो नए साल का जश्न मनाया जाता है वह मनाना इस्लाम की दृष्टि से नाजायज है।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए नए साल के जश्न को शरियत के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से नया साल 1 जनवरी से शुरू नहीं होता है। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों का नया साल मुहर्रम के पहले दिन से शुरू होता है। मुहर्रम महीना इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से पहला महीना होता है। उनका यह बयान अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और इस बात पर बहस शुरू हो गई है कि क्या नया साल मनाना चाहिए या नहीं।
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हिंदू धर्म पर क्या बोले?
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने अपनी बात रखते हुए हिंदू धर्म की भी बात की। उन्होंने कहा, 'इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से मुहर्रम के महीने से नए साल की शुरुआत होती है। इसी तरह हिंदू कल्चर में भी नए साल की शुरूआत 1 जनवरी से नहीं होती। हिंदू तहजीब में नए साल की शुरुआत चैत्र महीने से होती है। जनवरी का महीना ना मुस्लिमों के जश्न मनाने का है और ना ही हिंदूओं के जश्न मनाने का महीना है।'
नए साल के जश्न को बताया नाजायज
नए साल के जश्न में अक्सर नाच-गाने के प्रोग्राम रखे जाते हैं। कई लोग दोस्तों और परिवार के साथ डिनर और पार्टियों में जाते हैं। मौलाना शहाबुद्दीन ने इस सब की निंदा की। उन्होंने कहा, 'नाच-गाना, डांस करना, फुहड़बाजी करना बेमतलब का खर्च करना यह तमाम चीजें शरियत में नाजायज हैं।' उन्होंने मुस्लिम लोगों से नए साल का जश्न ना मनाने की अपील करते हुए कहा, 'मैं तमाम मुस्लिमों युवाओं से कहना चाहूंगा कि आप सभी नए साल का जश्न ना मनाएं। यह नाजायत है और यह यूरोपियन कल्चर है और इसकी इजाजत इस्लाम नहीं देता है। किसी भी सूरत पर नए साल की पार्टी में शामिल ना हों।'
सख्ती बरतने की दी चेतावनी
मौलाना शहाबुद्दीन ने इस्लाम के शरिया कानून का हवाला देते हुए नए साल के जश्न को नाजायज बताया और युवाओं से जश्न ना मनाने की अपील भी की। इसके साथ ही उन्होंने उन युवाओं को चेतावनी भी दी जो नए साल का जश्न मनाते हैं। उन्होंने कहा, 'नए साल का जश्न मनाने की इजाजत इस्लाम नहीं देता है। अगर किसी मुस्लिम लड़के या लड़की ने नए साल का जश्न मनाने की कोशिश की या फिर नाच-गाने की पार्टी रखी तो उलमा-ए-कराम (मुस्लिम विद्वान) इस तरह के जश्न को सख्ती से रोकेंगे।'
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पहले भी जारी किए गए फतवे
इससे पहले भी कई बार इस तरह के फतवे जारी किए गए हैं। 2025 की शुरुआत से पहले भी इस तरह के फतवे सामने आए थे। एक मौलाना ने कहा था कि इस्लाम नए साल पर जश्न मनाने की इजाजत नहीं देता। उन्होंने तर्क दिया था कि नया साल जश्न मनाने का नहीं है बल्कि हमें यह सोचना चाहिए कि एक और साल बीत गया और हम मौत के बेहद करीब पहुंच गए हैं।