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एडल्ट मॉडल, लाखों में सैलरी, वेबकैम, नोएडा में एडल्ट रैकेट का भंडाफोड़

नोएडा में ईडी ने एक पॉर्नोग्राफिक रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस रैकेट को विदेश से फंड आता था। पूरा केस क्या है, समझिए।

ED Raid

AI Generated Image. (Meta AI)

ईडी ने पॉर्न फिल्मों का कारोबार करने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है। यह रैकेट एक शादीशुदा जोड़ा आपरेट कर रहा था, जिसकी विदेश से फंडिंग हो रही थी। पुलिस पॉर्नोग्राफी रैकेट का सरगना उज्ज्वल किशोर और उसकी पत्नी नीलू श्रीवास्तव को बता रही है।

दोनों पति पत्नी, 5 साल से इस पोर्नोग्राफिक कंटेंट बना रहे थे और एंटरटेनमेंट वेबसाइट्स को बेच रहे थे। यह रैकेट साइप्रस बेस्ड कंपनी टेक्निस लिमिटेड की फंडिंग से चलती थी। इसके कंटेंट को एक्सहैम्सटर और स्ट्रिपचैट जैसी पॉर्न वेबसाइट्स पर बेचा जा रहा था। 

कपल के बैंक अकाउंट में विदेशी ट्रांजैक्शन भी नजर आया है। बैंक ट्रांजैक्शन के कोड बेहद गुप्त रखे जाते थे। कंपनी ने इन ट्रांजैक्शन को विज्ञापन के लिए खर्च की जा रही रकम के तौर पर पेश किया था। 

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पॉर्न बेचकर कमाए 15 करोड़ रुपये
ईडी की टीम को जब शक हुआ तो नोएडा स्थित घर पर छापेमारी की गई। कपल के खातों से करीब 15.65 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग मिली है। मुख्य आरोपी उज्ज्वल किशोर ऐसे ही रूस में भी शामिल रहा है। वह रूस से आकर अपनी पत्नी के साथ इस कारोबार में शामिल हो गया था। 

फेसबुक से मॉडलों को किया जाता था हायर 
पोर्न मूवी में रोल के लिए मॉडल फेसबुक और इंस्टाग्राम से ढूंढे जाते थे। उन्होंने 'echato.com' नाम से एक पेज भी बनाया था, जिसमें मॉडलिंग के लिए ऐड निकाले जाते थे। लड़कियों को अच्छी सैलरी का वादा किया जाता, इस ऐड के जरिए कई लड़कियां इस कारोबार में फंस गईं। लोग कपल के घर पर ऑडिशन देने पहुंचती, उन्हें पॉर्नोग्राफिक रैकेट में काम करने का ऑफर दिया जाता। उन्हें हर महीने 1 लाख से 2 लाख रुपये कमाने का ऑफर भी दिया जाता। 

ईडी की रेड में क्या-क्या मिला?
रेड के दौरान ईडी को एक प्रोफेशनल वेबकैम स्टूडियो भी मिला। कपल के फ्लैट से ब्रॉडकास्ट होता, इन्हें एडल्ट इंडस्ट्री में बेचा जाता, ओनली फैंस पर अकाउंट्स थे। यहां हाइटेक इंस्ट्रूमेंट मिले हैं। 3 महिलाएं, रेड के वक्त यहां काम करते मिलीं, वे ऑनलाइन थीं। ईडी ने उनका बयान भी दर्ज कर लिया है।

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75% पैसे अपने पास, 25%  मॉडलों को देता था कपल
मॉडल्स कस्टमर की फरमाइश पर काम करती थीं। हर काम के लिए अलग रेट तय किए गए थे। न्यूडिटी जितनी ज्यादा होती, रकम उतनी ज्यादा चुकाई जाती। इस काम के लिए मॉडल्स को सिर्फ 25 प्रतिशत दिए जाते थे, वहीं 75 फीसदी पैसा यह कपल खुद रख लेता था। 

क्रिप्टोकरेंसी में होता था कारोबार
पॉर्नोग्राफी के इस रैकेट पर पैसों का लेनदेन क्रिप्टोकरेंसी में होता था। ईडी की जांच में यह पता चला है कि नीदरलैंड से करीब 7 करोड़ का ट्रांजैक्शन नजर आया। यह भी टेक्निस लिमिटेड की ओर से शेयर किया गया है। इन्हें इंटरनेशनल डेबिट कार्ड्स के जरिए निकाला गया है। हजारों महिलाएं इस रैकेट में काम कर चुकी हैं।

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