चेक बाउंस होना अपने-आप में एक समस्या है। ऐसी स्थिति में पैसे लेने वाले को इंतजार करना पड़ जाता है। मौजूदा डेटा के मुताबिक, देशभर की अलग-अलग अदालतों में चेक बाउंस के 43 लाख केस पेंडिंग हैं। राजस्थान राज्य में सबसे ज्यादा 6.4 लाख केस पेंडिंग हैं। देश के कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में दिए गए एक जवाब में बताया है कि स्टाफ की कमी, मूलभूत ढांचे की कमी जैसी तमाम समस्याओं के चलते इन केसों का निपटारा नहीं हो सकता है।
डेटा के मुताबिक, 18 दिसंबर 2024 तक देशभर की अदालतों में चेक बाउंस के कुल 43 लाख केस पेंडिंग थे। राजस्थान में सबसे ज्यादा 6.41 लाख, महाराष्ट्र में 5.89 लाख, गुजरात में 4.73 लाख, दिल्ली में 4.54 लाख, उत्तर प्रदेश में 3.76 लाख, पश्चिम बंगाल में 2.86 लाख, हरियाणा में 2.40 लाख, मध्य प्रदेश में 1.92 लाख, तमिलनाडु में 1.151 लाख और पंजाब में 1.50 लाख केस पेंडिंग हैं।
कानून मंत्री ने बताई वजह
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 20 दिसंबर को संसद में एक लिखित जवाब में बताया था कि अदालतों का काम जल्द खत्म हो जाना और सुनवाई वाले पेंडिंग केसों की ट्रैकिंग के लिए सही मॉनीटरिंग न होने की वजह से इतने केस पेंडिंग हैं। उन्होंने कहा, 'आधारभूत ढांचे की कीम, अदालतों में सपोर्ट स्टाफ की कमी, केस में शामिल तथ्यों का उलझाऊ होना, सबूतों का प्रकार, केस में संलिप्त लोगों या पक्षों का सहयोग, जांच एजेंसी और गवाह समेत तमाम ऐसे कारक हैं जो कानूनी प्रक्रिया को धीमा करते हैं।'
बता दें कि 10 मार्च 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश के मुताबिक, 10 सदस्यों की एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी को यह स्टडी करनी थी कि इन केसों का कम समय में निपटारा कैसे किया जा सके। इस कमेटी ने सलाह दी थी कि स्पेशल नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट कोर्ट बनाई जाएं। साथ ही, पांज राज्यों के पांच न्यायिक जिलों में पायलट स्टडी भी की जाए। 2022 के मई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 25 स्पेशल कोर्ट में एक साल तक के लिए स्टडी की जाए। इसके तहत उन जिलों की पहचान भी कर ली गई जिनमें सबसे ज्यादा केस पेंडिंग हैं। इस पर आगे क्या हुआ इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है।