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'एक देश एक चुनाव' से विपक्ष को ऐतराज क्यों? समझिए विधेयक की ABCD

एक देश-एक चुनाव को संविधान के 129वें संशोधन विधेयक के जरिए लाया जाएगा। संसद के दोनों सदनों की संयुक्त समिति के सामने यह विधेयक पेश किया जा सकता है।

One Nation one Election

लोकसभा में पेश होगा एक देश एक चुनाव विधेयक। (तस्वीर- संसद टीवी)

संसद में एक देश एक चुनाव विधेयक पेश किए जाने के लिए केंद्र सरकार ने तैयारियां पूरी कर ली है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान संशोधन विधेयक की जरूरत पड़ेगी। मंगलवार को लोकसभा में इसे पेश किए जाने के लिए लिस्ट किया गया है। यह संविधान का 129वां संशोधन विधेयक होगा। इसे संसद के दोनों सदनों की संयुक्ति समिति के पास भेजा जाएगा। 

लोकसभा के एजेंडे के मुताबिक केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल 'एक देश-एक चुनाव' के लिए विधेयक पेश करेंगे। इसके बाद, वह स्पीकर ओम बिरला से व्यापक चर्चा के लिए विधेयक को संसद की संयुक्त समिति के पास भेज सकते हैं। यह विधेयक जम्मू और कश्मीर, पुडुचेरी और दिल्ली के केंद्र शासित प्रदेशों के चुनावों को भी एक साथ कराने का प्रस्ताव रखता है। केंद्रीय कैबिनेट ने बीते सप्ताह इस विधेयक को मंजूरी दी थी। एक साथ चुनाव देश में 2034 से पहले नहीं पो सकेंगे।
 

इस विधेयक की खास बातें क्या हैं?
- विधेयक कहता है कि लोकसभा या किसी राज्य की विधानसभा अपने पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पहले अगर भंग होती है तो उस विधानसभा के लिए केवल पांच साल का शेष कार्यकाल पूरा करने के लिए मध्यावधि चुनाव कराए जाएंगे। 

 

- विधेयक में अनुच्छेद 82(ए) के तहत लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रावधान किया गया है।

- अनुच्छेद 83 संसद के सदनों की अवधि के बारे में बात करता है। अनुच्छेद 172 और 327 विधानसभाओं के चुनावों के संबंध में नियम बनाने की संसद की शक्ति के बारे में बात करता है। इसमें संशोधन करने का सुझाव दिया गया है।

- संशोधन के प्रावधान एक नियत तिथि से प्रभावी होंगे, जिसे राष्ट्रपति आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक में अधिसूचित करेंगे। 

- विधेयक के मुताबिक नियत तिथि 2029 में अगले लोकसभा चुनाव के बाद होगी, जबकि एक साथ चुनाव 2034 में शुरू होंगे।

- लोक सभा का कार्यकाल नियत तिथि से पांच वर्ष होगा, और नियत तिथि के बाद निर्वाचित सभी विधानसभाओं का कार्यकाल लोक सभा के कार्यकाल के साथ समाप्त होगा।

- अगर लोक सभा या विधान सभा अपने पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पहले भंग होती है तो नए सदन या विधानसभा का कार्यकाल पिछले कार्यकाल के बचे हुए साल के लिए होगा।  

कितने सांसदों के समर्थन की पड़ेगी जरूरत?
सरकार को इस विधेयक को पास कराने के लिए 361 सांसदों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी। लोकसभा में अभी 542 सांसद हैं, इसलिए सरकार को 361 सासंदों के समर्थन की जरूरत होगी। एनडीए के अलावा सरकार के विधेयक का समर्थन YSR कांग्रेस पार्टी, बीजू जनता दल (BJP) और AIDMK जैसी पार्टियों की भी जरूरत पड़ेगी।  राज्यसभा में 231 सदस्य हैं, सरकार को 154 सदस्यों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी। राज्यसभा में एनडीए के पास अभी 114 सांसद हैं, 6 मनोनीत सदस्य हैं। विपक्षी दलों के पास 86 सदस्यों का समर्थन है। अन्य दलों के 25 सांसद हैं। 

क्यों विपक्ष को है ऐतराज?
विपक्ष का कहना है कि ऐसे चुनाव लोकतंत्र विरोधी हैं। एक देश-एक चुनाव बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी अभियानों में से एक अभियान यह भी है। राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे लोकतंत्र की जवाबदेही को ठेस पहुंचेगा। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने मांग की थी कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा जाए।

पिछले साल पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस की ओर से कहा था कि हम इस विधेयक का विरोध करते हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) मुखिया ने एमके स्टालिन ने विधेयक को कठोर करार दिया है। उन्होंने कहा है कि यह भारत के संघीय ढांचे के लिए खतरा है। CPI (M) के राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने भी कहा था कि यह कदम देश की संघीय भावना के खिलाफ है। ममता बनर्जी भी इस विधेयक के खिलाफ हैं।

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