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ऑनलाइन गेमिंग पर नकेल कसने वाले नियम तैयार, पढ़िए ड्राफ्ट में क्या है

केंद्र सरकार ने गुरुवार को PROG नियम, 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है। ये नियम PROG ऐक्ट के तहत ऑनलाइन गेमिंग को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए हैं।

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प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo Credit: AI

केंद्र सरकार ने गुरुवार को ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन एंड रेग्यूलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग (PROG) नियम, 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है। ये नियम हाल ही में बने PROG ऐक्ट के तहत ऑनलाइन गेमिंग को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए हैं। इस ऐक्ट में ऑनलाइन पैसे वाले गेम्स पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है। ड्राफ्ट में ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी ऑफ इंडिया (OGAI) बनाने का प्रस्ताव भी है। यह संस्था गेम्स का रजिस्ट्रेशन, अनुमोदन और निगरानी करेगी। यह तय करेगी कि कौन सा गेम वैध है और कौन सा गेम पैसे वाला गेम है, जिसे रोकना होगा।

 

नियमों के अनुसार, गेम प्लेटफॉर्म को शिकायत निवारण प्रणाली रखनी होगी। अगर यूजर किसी समस्या से संतुष्ट नहीं हैं, तो वे अपील कर सकते हैं और अथॉरिटी को 30 दिन के भीतर मामला सुलझाना होगा। ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि अधिनियम लागू होने से पहले जमा हुए पैसे खिलाड़ियों को लौटाए जा सकते हैं। नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त सजा और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। ऑनलाइन पैसे वाले गेम्स चलाने पर 3 साल तक जेल और 1 करोड़ तक जुर्माना और ऐसे गेम का प्रचार करने पर 2 साल तक जेल और 50 लाख तक जुर्माना हो सकता है। अधिकारी बिना वारंट तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी कर सकते हैं और उनके लिए कानूनी सुरक्षा भी है।

 

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ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी ऑफ इंडिया

  • ड्राफ्ट नियमों के मुख्य हिस्से में ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी ऑफ इंडिया की स्थापना शामिल है। इसे एक वैधानिक कॉर्पोरेट निकाय के रूप में बनाया जाएगा, जिसके पास सिविल कोर्ट जैसी पावर होंगी।
  • यह अथॉरिटी ऑनलाइन सोशल गेम्स और ई-स्पोर्ट्स का रजिस्ट्रेशन करेगी।
  • अनुमोदित गेम्स की राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनाएगी।
  • यह तय करेगी कि कौन सा गेम वैध है और कौन सा ऑनलाइन पैसे वाला गेम है।
  • किसी भी गेम में सट्टा, दांव या नकद के बदले रिटर्न रिवार्ड होगा तो वह गेम बैन किया जाएगा।
  • अथॉरिटी के पास रजिस्ट्रेशन रद्द करने, पेनल्टी लगाने और बैंकों के अवैध प्लेटफॉर्म ब्लॉक करने का अधिकार होगा।

रेगुलेटर का स्ट्रक्चर और शक्तियां

  • इसका मुख्यालय नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) में होगा।
  • इसके अध्यक्ष आईटी मंत्रालय के कम से कम संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी होंगे, जो अतिरिक्त सचिव के बराबर होंगे।
  • इसमें तीन जॉइंट सेक्रेटरी स्तर के सदस्य होंगे, जो बारी-बारी से सूचना और प्रसारण मंत्रालय, युवा मामले और खेल मंत्रालय और वित्तीय सेवा विभाग का प्रतिनिधित्व करेंगे।
  • दो निर्देशक स्तर के सदस्य भी होंगे, जिनमें कम से कम एक कानूनी विशेषज्ञ होना चाहिए।
  • अथॉरिटी के पास अर्ध-न्यायिक पावर होंगी। इनके पास लोगों को तलब करना, साक्ष्य जांचना और बाध्यकारी आदेश जारी करने की पावर होगी।
  • सचिव और अन्य गैर-आधिकारिक विशेषज्ञों को भी नियुक्त किया जा सकता है, जिन्हें सरकारी नियमों के अनुसार भत्ते मिलेंगे।

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रजिस्ट्रेशन और शिकायत निवारण

  • ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा।
  • रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की वैधता 5 साल तक होगी।
  • सर्टिफिकेट न होने पर गेम का संचालन, प्रचार या प्रतिनिधित्व नहीं किया जा सकेगा।
  • प्लेटफॉर्म को शिकायत निवारण प्रणाली उपलब्ध करानी होगी।
  • यूजर असंतुष्ट होने पर पहले ग्रिवांस अपीलेट कमिटी और फिर अथॉरिटी तक अपील कर सकते हैं। मामलों का निपटारा 30 दिन के भीतर करना करना होगा।

यूजर फंड के लिए नियम

  • ड्राफ्ट में उन फंड्स के लिए ट्रांजिशन क्लॉज है, जो अधिनियम लागू होने से पहले जमा हुए थे।
  • बैंक या इंटरमीडियरी के जरिये जमा पैसों की वापसी की जा सकती है, जिसे अवैध गेमिंग का समर्थन नहीं माना जाएगा।
  • यह सुविधा अधिनियम लागू होने के 180 दिनों तक वैध रहेगी।

अपराध और पेनल्टी

  • PROG एक्ट के तहत नियमों के उल्लंघन पर कड़ी सजा है।
  • ऑनलाइन पैसे वाले गेम्स की पेशकश करने पर 3 साल तक कैद और 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना हो सकता है।
  • ऐसे प्लेटफॉर्म का प्रचार करने पर 2 साल तक कैद और 50 लाख रुपये तक जुर्माना लग सकता है।
  • अधिकृत अधिकारी बिना वारंट तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी कर सकते हैं।
  • ऐक्ट के तहत धारा 5 और 7 के अपराध गंभीर और गैर-जमानती होंगे।
  • अधिकारियों को तलाशी और जब्ती के दौरान कानूनी सुरक्षा भी दी गई है।
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