ऑपरेशन सिंदूर से भारतीय सेना ने 25 मिनट में 25 साल के आतंक का हिसाब चुका दिया। 6-7 मई की दरमियानी रात लगभग 1 से 1:30 बजे के बीच पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकाने, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर--तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के अड्डे पर भारतीय सेना ने एयरस्ट्राइक किया। ये हवाई हमले लगभग 25 मिनट तक चलता रहा। भारतीय सशस्त्र बलों ने राफेल जेट्स, स्कैल्प मिसाइलें, घातक ड्रोन, और प्रीसिशन स्ट्राइक हथियार से आतंकियों के ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया।
इस हवाई हमले में 90 से अधिक आतंकी मारे गए, जिनमें मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य और 4 करीबी सहयोगी शामिल थे। इस एयरस्ट्राइक में मसूद अजहर का मरकज सुभान अल्लाह भी पूरी तरह से धव्स्त हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन की निगरानी की, एनएसए अजीत डोभाल ने रणनीति बनाई और तीनों सेनाओं (थल, वायु, नौसेना) ने संयुक्त कार्रवाई की। 25 मिनट के इस ऑपरेशन ने न केवल पहलगाम आतंकी हमले का बदला लिया, बल्कि पिछले 25 सालों के आतंकी हमलों का हिसाब भी चुकता किया।

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क्यों खास था ऑपरेशन सिंदूर?
यह ऑपरेशन केवल पहलगाम आतंकी हमले का जवाब नहीं था। इसमें 2001 के संसद हमले, 208 के मुंबई हमले, 2016 के पठानकोट और उरी हमलों और 2019 के पुलवामा हमले जैसे पिछले 25 सालों के आतंकी कृत्यों का बदला शामिल था। इन हमलों के पीछे जैश और लश्कर जैसे आतंकी संगठनों का हाथ था, जिनके ठिकानों को निशाना बनाया गया।
ऑपरेशन का नाम सिंदूर ही क्यों?
ऑपरेशन का नाम सिंदूर इसलिए रखा गया, क्योंकि पहलगाम हमले में आतंकियों ने हिंदू पुरुषों को निशाना बनाकर महिलाओं का सुहाग छीना। यह कार्रवाई उन उजड़े परिवारों को न्याय दिलाने और आतंकियों को कड़ा संदेश देने का प्रतीक थी।

25 मिनट में 9 ठिकानों पर एक साथ हमला
25 मिनट में 9 आतंकी ठिकानों पर एक साथ हमला किया गया, जिसमें पाकिस्तान के पंजाब (बहावलपुर, मुरीदके, सियालकोट) और PoK (मुजफ्फराबाद, कोटली, गुलपुर) के आतंकी अड्डे शामिल थे। 1971 के युद्ध के बाद पहली बार पंजाब में आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया।
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25 मिनट में 25 साल का बदला लेकिन कैसे?
कुख्यात आतंकी मसूद अजहर, एक ऐसा नाम जो बीते ढाई दशकों से भारत के खिलाफ आतंकी साजिशों का चेहरा रहा है लेकिन जिस आतंक की कहानी उसने सालों तक लिखी, उसका जवाब भारत ने महज 25 मिनट में दे दिया। 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद अब मसूद अजहर का किला ढह चुका है और एक बार फिर उसका नाम सुर्खियों में है। 1999 में जब इंडियन एयरलाइंस के विमान IC-814 को हाईजैक कर कांधार ले जाया गया, तो भारत को मजबूरी में मसूद अजहर को जेल से रिहा करना पड़ा। इसके बाद से ही अजहर ने पाकिस्तान की सरजमीं से भारत में आतंक फैलाने का काम तेज कर दिया।
2001 में भारतीय संसद पर हमला, 2016 में पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमला और 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला, ये सभी हमले मसूद अजहर के नेतृत्व में जैश-ए-मोहम्मद द्वारा अंजाम दिए गए। पुलवामा की घटना में 40 से अधिक भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। मसूद अजहर न सिर्फ जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक है, बल्कि उसका नेटवर्क अल-कायदा और ओसामा बिन लादेन जैसे वैश्विक आतंकियों से भी जुड़ा रहा। पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी ISI का उसे लगातार संरक्षण मिलता रहा। बहावलपुर में बना उसका अड्डा वर्षों तक आतंक की योजना बनाने का केंद्र रहा लेकिन अब भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हर हमले का जवाब ठोस और तुंरत मिलेगा।