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रिपोर्ट में खुलासा, पहलगाम हमले के पहले इंटेलिजेंस ने दी थी सूचना

रिपोर्ट के मुताबिक इंटलिजेंस को इनपुट मिल गया था कि जम्मू कश्मीर में आतंकी हमला हो सकता है। पहलगाम हमले के दिन ही सर्च ऑपरेशन बंद किया गया था।

Representational Image । Photo Credit: PTI

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: PTI

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद से ही एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं। यह हमला श्रीनगर के पास पहाड़ी इलाके में हुआ, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस घटना के बाद से ही सरकार लगातार ऐक्शन मोड में है। हालांकि, कुछ लोग सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि खुफिया जानकारी के बावजूद यह हमला कैसे हो गया और ऐसी स्थिति में जम्मू कश्मीर में जाने वाले टूरिस्ट कितने सुरक्षित हैं। 

 

हालांकि, पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हमले से कुछ दिन पहले खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी थी कि श्रीनगर के आसपास पर्यटकों पर हमला हो सकता है। इस चेतावनी के बाद दाचीगाम और निशात जैसे इलाकों में गश्त बढ़ा दी गई थी। श्रीनगर में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी तैनात किए गए थे। पिछले साल अक्टूबर में सोनमर्ग के गंगनगीर में हुए एक आतंकी हमले, जिसमें सात लोग मारे गए थे, के बाद पर्यटकों की सुरक्षा पर और ध्यान दिया जा रहा था।

 

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लेकिन, इन चेतावनियों के आधार पर दो हफ्ते तक चली तलाशी में कोई सुराग नहीं मिला। जिस दिन हमला हुआ, उसी दिन यह अभियान बंद कर दिया गया था। इससे सुरक्षा बलों की तैयारियों पर सवाल उठ रहे हैं।

 

सोचा समझा हमला

जांच से पता चला है कि यह हमला बहुत सोच-समझकर किया गया था। ऐसा लगता है कि इसका मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कटरा से श्रीनगर तक पहली ट्रेन शुरू करने की योजना को बाधित करना था। यह रेल लाइन कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने की एक बड़ी कोशिश है। हालांकि मौसम खराब होने की वजह से 19 अप्रैल को होने वाली पीएम की यात्रा टल गई थी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान से जुड़े आतंकी समूह इस मौके को हिंसा के जरिए खराब करना चाहते थे।

 

सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक, हमले में दो स्थानीय आतंकियों ने पर्यटकों के साथ घुल-मिलकर योजना बनाई। जब हमला शुरू हुआ, तो वे पर्यटकों को फूड कोर्ट की ओर ले गए, जहां दो पाकिस्तानी आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस हमले में इस्तेमाल हुए हथियार बहुत आधुनिक थे। इस बात ने भी जांच एजेंसियों की चिंता बढ़ा रखी है कि ये हथियार आए कहां से।

 

डर फैलाना था उद्देश्य

अधिकारियों का माना है कि इस हमले का उद्देश्य लोगों में डर फैलाना और देश के अन्य हिस्सों में कश्मीरियों के खिलाफ नफरत का भाव पैदा करना है।

लेकिन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की काफी तेजी से की गई कार्रवाई और दिल्ली के साथ उनके को-ऑर्डिनेशन ने ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद की। साथ ही अन्य राज्यों में मौजूद कश्मीरियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा गया।

 

सुरक्षा अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के बदलते तौर-तरीकों पर चिंता जताई है, क्योंकि आधुनिक हथियार जैसे M-सीरीज राइफल्स और बख्तरबंद गोलियों का मिलना इस ओर इशारा करता है कि ये शायद अफगानिस्तान में छोड़े गए नाटो के हथियारों से आई हैं।

 

अधिकारियों ने यह भी कहा कि पर्यटकों की बढ़ती संख्या को शांति का पैमाना नहीं मानना चाहिए। एक अधिकारी ने कहा, ‘पर्यटन को एक आर्थिक गतिविधि के रूप में देखना चाहिए, न कि यह मानना चाहिए कि बढ़ती टूरिस्ट संख्या की वजह से स्थितियां सामान्य हो गई हैं।’

 

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मिले M-सीरीज राइफल्स

अधिकारियों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का रूप बदल रहा है। हाल ही में M-सीरीज राइफल्स और बख्तरबंद गोलियां बरामद हुई हैं, जो शायद अफगानिस्तान में छोड़े गए नाटो के हथियारों से आई हैं। ये हथियार पहले इस्तेमाल होने वाली AK-47 से कहीं ज्यादा खतरनाक हैं।

 

इस हमले का मकसद सिर्फ जान-माल का नुकसान करना ही नहीं था, बल्कि पर्यटकों में डर फैलाना और देश के अन्य हिस्सों में कश्मीरियों के खिलाफ हिंसा भड़काना भी था। पहले भी ऐसे हमलों के बाद कश्मीरियों को निशाना बनाया गया है। लेकिन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तुरंत कदम उठाए और दिल्ली के साथ मिलकर हालात को काबू में किया। राज्यों को निर्देश दिए गए कि कश्मीरियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

 

सुरक्षा पर उठे सवाल

इस हमले से बायसरण जैसे लोकप्रिय पर्यटक स्थलों की सुरक्षा पर भी सवाल उठे हैं, जिसे “मिनी स्विट्जरलैंड” कहा जाता है। कुछ अफवाहें थीं कि बायसरन को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है, लेकिन अधिकारियों ने साफ किया कि यह इलाका अमरनाथ यात्रा और भारी बर्फबारी को छोड़कर पूरे साल खुला रहता है। पिछले साल यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था और ज़िपलाइन जैसी नई सुविधाएं भी शुरू की गईं। लेकिन इस हमले ने इन कोशिशों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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