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10 तक पहाड़ा भी नहीं जानते 6वीं के 53 पर्सेंट बच्चे: सर्वे

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा सर्वेक्षण 'परख' की रिपोर्ट जारी की है। इस सर्वे में खुलासा हुआ है कि भारत में छठी कक्षा के छात्रों को बेसिक गणित भी नहीं आती।

SCHOOL CHILDREN

सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: PTI

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय सर्वेक्षण 'परख' के तहत देश के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों पर एक सर्वे किया था। इस सर्वे की रिपोर्ट सामने आई है और इस रिपोर्ट में जो डेटा सामने आया है वह भारत के लिए चिंता का विषय है। इस रिपोर्ट के अनुसार, तीसरी क्लास के 45 प्रतिशत बच्चों को 1 से 100 तक गिनती भी नहीं आती है। वहीं छठी क्लास के 53 प्रतिशत बच्चों को 10 तक पहाड़ा भी नहीं आता। इस रिपोर्ट में स्कूल शिक्षा को लेकर कई कड़वे सच सामने आए हैं।  

 

नेशनल सर्वे 'परख' के तहत पिछले साल दिसंबर में 21,15,022 छात्रों का सर्वे किया गया था।  इस सर्वे में 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के 781 जिलों के 74,229 सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को शामिल किया गया था। इस सर्वे में तीसरी, छठी और नौवीं क्लास के छात्रों को शामिल किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, तीसरी क्लास के केवल 55 प्रतिशत छात्र ही 99 तक की गिनती को क्रम में लिख सकते हैं, जबकि मात्र 58 प्रतिशत छात्र दो अंकों की जोड़ और घटाव कर पाते हैं। छठी क्लास के छात्रों में केवल 53 प्रतिशत ही जोड़, घटाव, गुणा और भाग जैसी बेसिक गणित सही ढंग से कर पाते हैं। 

 

इस रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब केरल, हिमाचल और चंडीगढ़ के छात्रों का प्रदर्शन देशभर में सबसे अच्छा रहा है। वहीं, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। 

 

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गणित में कमजोर हैं छात्र

इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत के छात्र मैथ में बहुत कमजोर हैं। इस सर्वे में छात्रों को गणित में सबसे कम 46 प्रतिशत नंबर जबकि भाषा में 57 प्रतिशत और 'हमारे आस-पास का संसार' में 49 प्रतिशत नंबर मिले हैं। शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, इस सर्वे में 50 प्रतिशत से भी कम छात्रों ने सही जवाब दिए हैं इससे साफ पता चलता है कि सीखने की क्षमता में काफी अंतर है। इस सर्वे में यह भी पता चला कि शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामी क्षेत्र के बच्चे गणित में आगे हैं। पंजाब की लड़कियां देशभर में लड़कियां में पहले नंबर पर रही हैं।

कमजोर हैं तीसरी क्लास के बच्चे

इस रिपोर्ट में सामने आया है कि तीसरी कक्षा के बच्चे पढ़ाई में काफी कमजोर हैं। तीसरी के 45 प्रतिशत बच्चों को 100 तक गिनती तक सही से नहीं आती है। साथ ही 42 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो दो अंकों की संख्याएं जोड़-घटा भी नहीं सकते। तीसरी क्लास के 50 प्रतिशत बच्चे ही 100 रुपये तक का लेनदेन कर पाते हैं। तीसरी क्लास के 67 प्रतिशत बच्चे ही बातचीत में पर्याप्त शब्दों का प्रयोग करते हैं। 60 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो छोटी कहानियां पढ़ और समझ पाते हैं। 39 प्रतिशत बच्चे मिनट, घंटे, दिन हफ्ते की गणना कर पाते हैं। इस सर्वे में पंजाब का बरनाला जिला टॉप पर रहा और पंजाब के 20 जिले टॉप 50 में रहे। वहीं गुजरात इस सर्वे में सबसे नीचे है और जिलावार बात करें तो बिहार का बक्सर जिला तीसरी क्लास के बच्चों के प्रदर्शन में अंतिम स्थान पर है। 

छठी क्लास का क्या हाल?

इस सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, छठी कक्षा के छात्रों में 55 प्रतिशत लड़के और 59  प्रतिशत लड़कियां भाषा की समझ रखती हैं। गणित में लड़के, लड़कियों से एक प्रतिशत आगे हैं। भाषा की समझ केरल की लड़कियों में सबसे ज्यादा है तो गणित में पंजाब की लड़कियां टॉप हैं। छठी क्लास के सिर्फ 54 प्रतिशत बच्चे ही बड़े अंकों को पढ़ पाते हैं। सिर्फ 29 प्रतिशत बच्चे ही स्थानीय भाषा में आधा और चौथाई का अर्थ समझते हैं। इस रिपोर्ट में छठी क्लास में दीवा जिला पहले नंबर पर तो बिहार का सीतामढ़ी जिला अंतिम नंबर पर रहा और राज्य की बात करें तो पंजाब टॉप पर रहा।

 

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9वीं के बच्चों को औसत निकालना नहीं आता

इस सर्वे में खुलासा हुआ कि 9वीं क्लास के बच्चों को औसत निकालना नहीं आता। इस सर्वे में 59 प्रतिशत बच्चे ही आंकड़ों का औसत नहीं निकाल पाए। 54 प्रतिशत भाषा, 37 प्रतिशत गणित और 40-40 प्रतिशत बच्चों ने साइंस और सोशल साइंस में अच्छा प्रदर्शन किया है। लड़कों की तुलना में लड़कियों में भाषा की समझ ज्यादा है। मैथ्स, साइंस, सोशल साइंस में पंजाब की लड़कियां टॉप पर रही। 9वीं क्लास के सिर्फ 28 प्रतिशत बच्चे ही प्रतिशत निकाल पाते हैं। 

क्या बोले अधिकारी?

इस सर्वे की रिपोर्ट सामने आने के बाद स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार ने कहा कि यह सर्वे सिर्फ रिपोर्ट तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि इसके आधार पर देशभर में बड़े स्तर पर सुधार की योजना बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि अब इस रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर रणनीति तैयार की जा रही है ताकि सीखने की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके। 

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