नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद सुशीला कार्की एक्शन मोड पर हैं। उन्होंने 8 सितंबर के विद्रोह में जान गंवाने वाले लोगों को शहीद घोषित किया है। इसके अलावा सरकार परिजनों को 10-10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी। अस्पताल में भर्ती घायलों का खर्च भी उठाएगी। उन्हें मुआवजा भी दिया जाएगा। सरकार ने ऐलान किया कि मृतकों के शवों को राजधानी काठमांडू से अन्य जिलों में भेजने की व्यवस्था की जाएगी।
अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने कहा कि हम आर्थिक संकट में हैं। हमें पुनर्निर्माण पर चर्चा और काम करना है। निजी संपत्तियां को जला दिया गया है। सरकार उन्हें अकेला नहीं छोड़ेगी, उन्हें कुछ मुआवजा देने की कोशिश की जाएगी या आसान कर्ज की व्यवस्था होगी।
नेपाल के मुख्य सचिव एकनारायण आर्यल के मुताबिक ओली सरकार के खिलाफ विद्रोह में अब तक 72 लोगों की जान गई है। विभिन्न अस्पतालों में 191 घायलों का इलाज चल रहा है। इन सभी लोगों की जान 8 जुलाई और उसके बाद विरोध प्रदर्शन और आगजनी में गई है।
एप्स पर बैन से शुरू हुआ था विद्रोह
4 सितंबर को नेपाल की तत्कालीन ओली सरकार ने 26 सोशल मीडिया एप्स पर प्रतिबंध लगाया। इसके बाद पूरे नेपाल में विरोध की लहर उठी। 8 सितंबर को प्रदर्शन उग्र होने पर कई मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी ओली को भी अपना पद छोड़ना पड़ा।
12 सितंबर को कार्की ने संभाला पद
12 सितंबर की रात नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री की शपथ दिलाई। नेपाल सुप्रीम कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की प्रधानमंत्री बनने वाली पहली नेपाली महिला हैं। जेन-जी आंदोलनकारियों ने सुशीला का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर सुझाया था। वह मुख्य न्यायाधीश बनने वाली भी पहली महिला हैं। उनकी शादी नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दुर्गा प्रसाद सुवेदी से हुई है।