पंजाब में पुलिस की दबंगई का एक नया मामला सामने आया है। मामला पंजाब के कपूरथला का है जहां एक शख्स को पंजाब पुलिस के एक अधिकारी को रास्ता न देना काफी भारी पड़ गया। पुलिस ने गाड़ी में रखे पैरासीटामॉल को नशे की गोली बताकर उस शख्स को एनडीपीएस एक्ट में गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे बंद कर दिया।
खास बात यह है कि फोरेंसिक रिपोर्ट में पुष्टि होने के बावजूद पुलिस ने उस शख्स को हिरासत में रखा। मामला कोर्ट में पहुंचा तो पंजाब-हरियाणा कोर्ट ने पीड़ित व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस को फटकार लगाई और पीड़ित व्यक्ति को दो लाख रुपये मुआवजा देने का सरकार को आदेश दिया। साथ ही यह भी कहा कि डिजिटल कार्ड में याची का नाम न डाला जाए।
अवैध रूप से बना के रखा बंधक
याची ने कहा कि झूठा केस बनाकर उसे फंसाया गया क्योंकि उसने पंजाब पुलिस के एक अधिकारी को साइड नहीं दिया था। उनके अनुसार मामला 26 जून का था और एफआईआर 26 जून को दर्ज की गई। इस दौरान पुलिस ने शख्स को अवैध रूप से बंधक बनाकर रखा। इस दौरान शख्स के परिवारवालों को भी इसकी सूचना नहीं दी गई।
वहीं पंजाब सरकार ने फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट जब हाईकोर्ट को सौंपी को उसके अनुसार जब्त सामग्री एसिटामिनोफेन यानी पैरासिटामॉल थी।
दोषियों के खिलाफ होगी जांच
हाईकोर्ट ने कहा कि एफएसएल रिपोर्ट 31 अगस्त को मिल गई थी इसके बावजूद पीड़ित को 17 सितंबर को हाईकोर्ट के आदेश के बाद छोड़ा गया। पुलिस ने याचिकाकर्ता को 2 महीने 15 दिन तक हिरासत में रखा।
पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि इस मामले में कैंसिलेशन रिपोर्ट दाखिल की गई है और दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच की जा रही है। वहीं हाईकोर्ट ने कहा कि अगर मौलिक अधिकार का उल्लंघन करके किसी को अवैध हिरासत में रखा जाता है तो राज्य मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी है।
पुलिस कर रही मनमानी
हाईकोर्ट ने कहा कि हम पुलिस की मनमानी से बहुत परेशान हैं। न्यायालय को यह आचरण अस्वीकार्य और अत्यंत चिंताजनक लगता है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि दोषी अधिकारियों के आचरण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि न्याय सुनिश्चित करने के लिए जवाबदेही आवश्यक है।