राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का कहना है कि जानवरों को 'पशु' नहीं बल्कि 'जीवनधन' कहा जाना चाहिए। उन्होंने यह बात उत्तर प्रदेश के बरेली में वेटेरिनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के कॉन्वोकेशन समारोह में कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि जानवरों के बिना हम अपनी जिंदगी की कल्पना नहीं कर सकते।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, 'हमारी संस्कृति सभी जीवों में ईश्वर की उपस्थिति देखती है। पशुओं से हमारे देवताओं और ऋषि मुनियों का संवाद होता है। मान्यता भी इसी सोच पर आधारित है। भगवान के कई अवतार भी इसी विशिष्ट श्रेणी में हैं। मैं इनका उल्लेख इसलिए कर रही हूं कि तो कल्याण की भावना आपके मन में हो।'
यह भी पढ़ें-- 'रूस से पैसे लेते थे कांग्रेसी', निशिकांत दुबे ने दिए CIA वाले 'सबूत'
'पशु नहीं, जीवन धन'
उन्होंने कहा, 'मैं जिस परिवेश से आती हूं, वह सहज रूप से प्रकृति के निकट है। वन्य जीव जंतुओं के साथ सहअस्तित्व का हमारा रिश्ता है। सच कहें तो पशु और मानव का परिवार का रिश्ता है।'
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, 'अभी हम आधुनिक जीवनशैली में जिंदगी जीते हैं। लेकिन जब टेक्नोलॉजी का कोई साधन नहीं था, तब पशु ही हमारा साधन थे। पशु के बिना किसान आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए पशु के लिए 'पशु' शब्द इस्तेमाल करना मुझे इतना ठीक नहीं लगता। यह हम लोगों का 'जीवन धन' है।
उन्होंने जैव विविधता का उदाहरण देते हुए कहा, 'जब हम छोटे थे, तब बहुद गिद्ध हुआ करते थे लेकिन आज गिद्ध विलुप्त हो गए हैं।' उन्होंने कहा कि आज कई प्रजातियां या तो विलुप्त हो गई हैं या विलुप्ति की कगार पर हैं, इसलिए जैव विविधता का संरक्षण जरूरी है।