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RG कर केस: पीड़ित परिवार के पास वकील ही नहीं, कैसे मिलेगा इंसाफ?

कोलकाता के आररजी कर मेडिकल कॉलेज केस में अभी तक इंसाफ का इंतजार है। ट्रायल कोर्ट में पीड़ित परिवार, इंसाफ से कोसों दूर होता नजर आ रहा है।

Protest

कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की रेप और हत्या के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुआ था। (तस्वीर-PTI)

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जिस ट्रेनी डॉक्टर की हत्या और रेप केस में पीड़ित परिवार की ओर से कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ने वाले वकील ने केस छोड़ दिया है। सीनियर अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने फैसला किया है कि वे इस केस में पीड़ित परिवार की ओर से पेश नहीं होंगे। नवंबर 4 से ही इस केस का ट्रायल चल रहा है लेकिन परिवार के पास वकील ही नहीं है। सियालदास सेशन कोर्ट में गुरुवार को भी पीड़ित परिवार की ओर से कोई वकील पेश नहीं हुआ।

बुधवार को को वृंदा ग्रोवर ने ऐलान किया कि वह अब कोर्ट में पीड़ित परिवार की ओर से केस नहीं लड़ेंगी। उनका कहना है कि गैर जरूरी हस्तक्षेप और परिस्थितियों की वजह से वह केस छोड़ रही हैं। वृंदा ग्रोवर ने केस से अपना नाम हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और सियालदास कोर्ट से वापस ले लिया है। 

क्यों वृंदा ग्रोवर ने वापस लिया नाम?
वृंदा ग्रोवर की ओर से कहा गया, 'वकील और कोर्ट के अधिकारी होने के नाते वृंदा ग्रोवर और उनके सहयोगी साथी केवल कानून, साक्ष्यों और प्रोफेशनल तरीके से ही कानूनी लड़ाई लड़ते हैं। अब कुछ हस्तक्षेपकारी तत्वों की वजह से वृंदा ग्रोवर का चैंबर इस केस की कानूनी लड़ाई नहीं लड़ेगा।'

अब तक क्या-क्या हुआ है?
वृंदा ग्रोवर की टीम सितंबर 2024 से ही पीड़ित पक्ष की ओर से पेश हुई थी। 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पीड़िता के साथ रेप और बलात्कार की घटना सामने आई थी। अब तक 43 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं, वहीं दूसरे आरोपियों की जमानत का लगातार विरोध किया गया है। जो बचे हुए गवाह हैं अगले 2 से 3 दिन में उनके बयान भी दर्ज कर लिए जाएंगे। 

CBI कर रही है केस की जांच
वृंदा ग्रोवर की ओर से कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट को नाम वापस लेने की सूचना दे दी गई है। वकीलों को जल्द ही इस केस से आजाद कर दिया जाएगा।  वृंदा ग्रोव की ओर से सौतिक बनर्जी और अर्जुन गोतकू भी पेश हुए थे। कोलकाता रेप केस के आरोपी जेल में है। मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में पीड़िता की लाश मिली थी। तीन दिन बाद कोलकाता हाई कोर्ट ने इस केस की जांच CBI को सौंप दी थी। कोलकता पुलिस की भूमिका हो संदेहास्पद कहा गया था। 

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