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सनातन बोर्ड' क्यों चाहता है संत समाज? मकसद से मांग तक, सब समझिए

साधु-संतों के बीच सनातन बोर्ड के गठन की चर्चा ने फिर तेज हो है और इसके लिए महाकुंभ में इस पर बने मसौदे की धर्मसभा में आधिकारिक घोषणा की जाएगी।

Image of Sadhu in Maha Kumbh

महाकुंभ में साधु-संत।(Photo Credit: PTI)

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान संत समाज में सनातन बोर्ड के गठन की मांग तेज हो गई है। संतों का मानना है कि सनातन धर्म और उसकी परंपराओं की रक्षा के लिए यह बोर्ड अत्यंत आवश्यक है। बता दें कि 27 जनवरी के दिन महाकुंभ में आयोजित होने वाले धर्मसभा के दौरान अखाड़ों के प्रतिनिधि और अन्य धार्मिक नेताओं की मौजूदगी में सनातन बोर्ड पर बने मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा और आधिकारिक रूप से घोषणा की जाएगी।

सनातन बोर्ड की मांग तेज क्यों?

संतों के अनुसार, वर्तमान समय में सनातन धर्म और उसकी परंपराओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। धर्मांतरण, पाखंड और धार्मिक स्थलों के साथ छेड़छाड़ जैसी घटनाओं ने सनातन धर्म को खतरे में डाल दिया है। संतों का कहना है कि सनातन धर्म की गरिमा को बनाए रखने और धर्मांतरण जैसे मुद्दों को रोकने के लिए एक बोर्ड की आवश्यकता है।

 

इसके साथ यह बोर्ड धार्मिक स्थलों के संरक्षण और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। संतों के अनुसार, बोर्ड संत समाज के अधिकारों और आवश्यकताओं को समझने और उनकी समस्याओं का समाधान करने का काम करेगा।

संतों की प्रमुख मांगे

संतों की मांग है कि सनातन बोर्ड को सरकार द्वारा कानूनी मान्यता दी जाए। साथी ही बोर्ड को सनातन धर्म के मामलों में निर्णय लेने का अधिकार मिले। साधु-संत यह लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि प्रमुख धार्मिक स्थलों का प्रबंधन सरकार द्वारा नहीं होना चाहिए और यह इस बोर्ड के अधीन हो। धर्मांतरण जैसी समस्याओं पर भी सख्त कदम उठाए जाएं। इसके साथ संतों और धार्मिक स्थलों के लिए आर्थिक सहायता की व्यवस्था हो।

संतों ने सनातन बोर्ड पर कही ये बातें

कुंभ चल रही कथा के दौरान कहा कि ‘हमारा धर्म स्वतंत्र नहीं है. हमारे मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं, गुरुकुल बंद हैं और गायें सड़कों पर घूम रही हैं। हमें अपने धर्म और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए सनातन बोर्ड की आवश्यकता है।’

 

इसके साथ जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर महंत स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि ने कहा, ‘सनातन बोर्ड न केवल भारत, बल्कि पूरी मानवता के लिए आवश्यक है। आतंकवाद, घृणा और अराजकता को समाप्त करने का मार्ग सनातन धर्म से ही होकर जाता है।’ इसके साथ निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर और उज्जैन के अर्जुन हनुमान मंदिर के महंत स्वामी प्रेमानंद पुरी ने कहा, 'कुछ लोग दावा करते हैं कि गंगा की जमीन वक्फ बोर्ड की है, उन्हें समझना चाहिए कि सनातन धर्म सूर्य के जन्म से ही अस्तित्व में है।' देश की अखंडता बनाए रखने के लिए सनातन बोर्ड की स्थापना बहुत आवश्यक है।'

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