ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने का ऐलान किया है। शंकराचार्य ने कहा कि आज से राहुल गांधी को हिंदू धर्म का नहीं माना जाएगा। यह फैसला राहुल गांधी के मनुस्मृति पर दिए गए एक बयान के कारण लिया गया, जिसे शंकराचार्य और धर्म संसद ने हिंदू धर्म के खिलाफ और अपमानजनक माना था। शंकराचार्य ने राहुल गांधी से इसको लेकर स्पष्टीकरण भी मांगा था और एक पत्र भी भेजा था। हालांकि, तीन महीने बीत जाने के बाद भी राहुल गांधी ने कोई भी जवाब नहीं दिया। अब शंकराचार्य ने उन्हें हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने का सार्वजनिक ऐलान किया है।
क्या बोले शंकराचार्य?
शंकराचार्य ने कहा कि यह तय हो गया है कि राहुल गांधी हिंदू धर्म के खिलाफ काम कर रहे हैं। जनता के सामने यह स्पष्ट किया जाता है कि वह हिंदू नहीं हैं। इसलिए आज से उन्हें हिंदू न माना जाए। हिंदू पुरोहित पंडित उनकी पूजा न कराएं। हिंदू मंदिरों में उनके प्रवेश को प्रतिबंधित किया जाए। सभी हिंदू सनातनी धार्मिक कार्यों से उनको वंचित कर दिया जाए।
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मामला क्या है?
2024 में लोकसभा में हाथरस गैंगरेप मामले पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अपराधियों को संरक्षण देना और पीड़ित परिवार को सताना भारतीय संविधान में नहीं, बल्कि मनुस्मृति में लिखा है। उनका बयान था, 'जिन्होंने गैंगरेप किया, वे बाहर घूम रहे हैं, और लड़की का परिवार अपने घर में बंद है... बेटी का अंतिम संस्कार भी नहीं करने दिया गया, और मुख्यमंत्री ने इस बारे में खुलकर मीडिया में झूठ बोला। यह संविधान में कहां लिखा है कि जो बलात्कार करते हैं, वे बाहर रहें और जिसका रेप हुआ, उसके परिवार को बंद कर दिया जाए? ये आपकी किताब मनुस्मृति में लिखा हुआ है, संविधान में नहीं।'
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धर्म संसद की आपत्ति
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और परम धर्म संसद ने इस बयान को मनुस्मृति का अपमान माना। मनुस्मृति को वह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र ग्रंथ मानते हैं। उनका कहना है कि राहुल के बयान ने करोड़ों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई और यह हिंदू धर्म के खिलाफ एक सोची-समझी टिप्पणी थी। शंकराचार्य ने 4 मई को एक बयान में अपने फैसले को दोहराया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को माफी मांगनी होगी, वरना बहिष्कार लागू रहेगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह कदम किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं, बल्कि हिंदू धर्म की मर्यादा की रक्षा के लिए है।