वर्तमान समय में देश में साइबर क्राइम दिन दूनी रात चौगुना की रफ्तार से बढ़ रहा है। आए दिन साइबर क्राइम और फ्रॉड के केस सामने आ रहे हैं। साइबर क्राइम करने में सबसे आगे वो तकनीकी विशेषज्ञ हैं जो बेरोजगार हैं। यह बात खुद पुलिस की रिपोर्ट में सामने आई है। नागपुर साइबर क्राइम सेल की तकनीकी टीम की सदस्य श्रद्धा धोमने ने बताया है कि बेरोजगार तकनीकी विशेषज्ञ भारत में साइबर अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं। यह लोग छोटे शहरों से फ्रॉड रैकेट चला रहे हैं और आम लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगा रहे हैं।
नागपुर साइबर क्राइम सेल की तकनीकी टीम की सदस्य श्रद्धा धोमने शनिवार को नॉकआउट डिजिटल फ्रॉड्स कार्यक्रम में बोल रही थीं। इस कार्यक्रम में उन्होंने साइबर क्राइम को लेकर कई खुलासे किए। श्रद्धा धोमने ने कहा कि साइबर क्राइम करने वाले ये लोग बेहद कुशल हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन ये बेरोजगार आईटी पेशेवर हैं। यह दूसरों बेरोजगारों को धोखाधड़ी करने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि लोगों को डिजिटल रूप से ठगने के लिए कोचिंग क्लासेस भी चल रही हैं।
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साइबर क्राइम की घटनाएं तेजी से बढ़ीं
श्रद्धा धोमने के मुताबिक, कोरोना महामारी के बाद देश में साइबर क्राइम की घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ीं हैं। उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन के बाद से ज्यादा लोग मोबाइल चलाने के आदी हो गए हैं। सब कुछ ऑनलाइन हो गया है- शिक्षा, नौकरी और मनोरंजन से लेकर सबकुछ। भारत के युवाओं पर डिजिटल रूप से हमला किया गया।'
उन्होंने डिजिटल सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई। धोमने ने कहा, 'सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का दावा एक मिथक है। आपकी सभी चैट उनके डेटाबेस में सेव होती हैं। अपनी निजी तस्वीर को कभी भी डिस्प्ले पिक्चर के रूप में इस्तेमाल न करें, क्योंकि एआई के जरिए इन तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है और ब्लैकमेल के लिए उनका दुरुपयोग किया जा सकता है।'
कैसे फंसाते हैं अपराधी?
साइबर क्राइम और फ्रॉड के बारे में आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि फ्रॉड अक्सर लोगों को घर से काम करने के फर्जी ऑफर, टास्क स्कैम या निवेश करने का लालच देते हैं। इसके जरिए अपनी बातों में फंसाकर फ्रॉड भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि हाल ही में एक रिटायर्ड सरकारी अधिकारी ने ऐसे धोखेबाजों के हाथों 80 लाख रुपये गंवा दिए।
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कैसे करें शिकायत?
राजस्थान के अलवर में स्थानीय लोग अपने बैंक अकाउंट का एक्सेस देने के लिए फ्रॉड से पैसे लेते हैं। इन बैंक अकाउंट का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाता है। लालच और डर ही दो सबसे बड़े कारण हैं जिनकी वजह से लोग इन धोखाधड़ी का शिकार होते हैं।
उन्होंने कहा, धोखाधड़ी के बाद के पहले 60 मिनट बेहद अहम होते हैं। अगर आप इस अवधि के दौरान साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर डायल करते हैं, तो पैसे ट्रांसफर होने से पहले धोखेबाज के खाते को फ्रीज करने की 90% संभावना होती है। उन्होंने कहा, 'लोग केंद्रीय साइबर सेल की वेबसाइट (www.cybercrime.gov.in) पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।'