शिक्षाविद और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (HIAL) एक बार फिर सुर्खियों में है। एक संसदीय समिति ने उनके संस्थान की तारीफ की है। दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति का कहना है कि इस संस्थान का काम शानदार है, इस संस्थान को यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) से मान्यता मिलनी चाहिए। समिति ने HIAL की तारीफ करते हुए इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लागू करने वाला संस्थान कहा है। |
संसदीय समिति लद्दाख दौरे के दौरान HIAL के शिक्षा, रिसर्च और उद्यमिता के माहौल से बहुत प्रभावित हुई है। यहां की पढ़ाई स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण से जुड़ी अनुभव आधारित है, जो समिति को बहुत अच्छी लगी। समिति की चिंता है कि कई सालों से HIAL की UGC मान्यता का मामला लंबित है। संस्थान ने आइस स्टूपा जैसी परियोजनाओं से स्थानीय समुदाय पर बड़ा असर डाला है और दुनिया भर में नाम कमाया है।
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समिति ने सिफारिश की है कि UGC जल्दी HIAL को मान्यता दे। समिति का कहना है कि शिक्षा मंत्रालय को HIAL के मॉडल का गहराई से अध्ययन करना चाहिए और इसे देश के अन्य जगहों पर भी अपनाने की जरूरत है। शिक्षा में ऐसे इनोवेशन सेंटर की जरूरत है।
समिति में कौन-कौन शामिल हैं?
संसद की इस अस्थाई समिति में संबित पात्रा, रविशंकर प्रसाद और बांसुरी स्वराज जैसे दिग्गज बीजेपी नेता शामिल हैं। समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह थे।
हैरान क्या है?
लद्दाख हिंसा पर गिरफ्तारी के बाद सोनम वांगचुक पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का गुस्सा फूटा था। आलोचना करने वाले लोगों में बीजेपी के कई दिग्गज नेता भी शामिल थे। सोनम वांगचुक पर आरोप हैं कि उन्होंने लोगों को हिंसा के लिए उकसाया है।
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किस हाल में हैं सोनम वांगचुक
सोनम वांगचुक जोधपुर जेल में बंद हैं। सितंबर 2025 में लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठवीं की मांग को लेकर हुए प्रदर्शनों में हिंसा के बाद उन्हें नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत 26 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। उन प्रदर्शनों में चार लोगों की मौत हुई थी। हमले में 90 लोग घायल हुए थे। सरकार ने वांगचुक पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।
सोन वांगचुक के संस्थान पर क्या आरोप हैं?
सोनम वांगचुक के संस्थान हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ आल्टरनेटिव्स, लद्दाख पर अब केंद्र की नजर है। गृह मंत्रालय के निर्देश पर संस्थान के वित्तीय कनेक्शन की जांच की जा रही है। आरोप है कि बिना फॉरेन कंट्रीब्यूटर (रेग्युलेशन) अधिनियम के पालन के ही संस्थान विदेश से फंड ले रहा है।