वैवाहिक विवादों और तलाक के मामलों में देश के अलग-अलग हाई कोर्ट ने समय-समय पर कुछ ऐसे फैसले और बयान दिए हैं, जो अपनी असामान्य प्रकृति के कारण चर्चा का विषय बने हैं। इन फैसलों ने क्रूरता (cruelty) की परिभाषा को नए तरीके से परिभाषित किया। हाई कोर्ट ने मानसिक क्रूरता को तलाक का आधार मानते हुए कई बार ऐसे व्यवहारों को शामिल किया है, जो सामान्य समझ से परे हैं, जैसे कि पति को 'पालतू चूहा' कहना, परिवार से संबंध तोड़ने का दबाव, झूठे और अपमानजनक आरोप और सार्वजनिक रूप से अपमानित करना।
इन फैसलों ने न केवल कानूनी बहस को जन्म दिया है, बल्कि सामाजिक और शादी के रिश्तों की जटिलताओं को भी दिखाया है। हाई कोर्ट ने तलाक के लिए क्रूरता (Cruelty) के लिए जो कई आधार माना है उनका उल्लेख करना जरूरी है। नीचे कुछ प्रमुख और असामान्य बयानों का उल्लेख है, जो कई हाई कोर्ट ने तलाक के मामलों में दिए हैं:
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1. 'पति को पालतू चूहा' कहना क्रूरता है'
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 3 सितंबर 2025 को एक मामले में फैसला सुनाया, जिसमें पत्नी का पति को 'पालतू चूहा' (pet rat) कहना, मानसिक क्रूरता माना गया है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पति को उसके माता-पिता को छोड़ने के लिए दबाव डाला जा रहा है तो वह भी मानसिक क्रूरता माना जाएगा।
2. पति को 'हिजड़ा' कहना:
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2024 को एक मामले के फैसले में कहा कि पति को 'हिजड़ा' कहना और सास को नपुंसक को जन्म देने का ताना देना गंभीर मानसिक क्रूरता है।
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3. बेरोजगारी पर ताना मारना:
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 18 अगस्त 2025 को एक 52 साल के वकील का तलाक मंजूर किया। उसने याचिका डाली थी कि उसकी पत्नी ने कोविड-19 महामारी के दौरान उसकी बेरोजगारी पर बार-बार ताना मारा था।
4. ससुराल वालों का अनुचित हस्तक्षेप:
दिल्ली हाई कोर्ट ने 16 फरवरी 2024 को 'पत्नी के माता-पिता का रिश्ते में अनुचित हस्तक्षेप' क्रूरता माना जाएगा। इसके आधार पर पति को तलाक भी मिला।
5. अनुकूलन में असमर्थता (Non-Adjusting Attitude):
दिल्ली हाई कोर्ट ने 24 जनवरी 2024 में एक मामले में कहा कि पत्नी की 'अनुकूलन में असमर्थता' मतलब गैर-रवैया व्यवहार और लगातार शादी में तनाव पैदा करना मानसिक क्रूरता का आधार है।