सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी घोषित किए गए नागरिकों को अब तक डिपोर्ट न किए जाने पर असम सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी ठहराए गए लोगों को अनिश्चित काल के लिए डिटेंशन सेंटर में रखे जाने पर असम सरकार से सवाल किया। इसके साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी कर विदेशी घोषित किए गए नागरिकों और डिपोर्ट किए गए लोगों के बारे में जानकारी मांगी है।
असम सरकार को निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार एक कमेटी बनाए और इसके सदस्य हर 15 दिन में जाकर डिटेंशन सेंटर जाकर वहां की सुविधाओं की जानकारी लें।
क्या किसी मुहूर्त का इंतजार हो रहा है?
डिपोर्टेशन पर असम सरकार को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या किसी मुहूर्त का इंतजार हो रहा है?जस्टिस एएस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा, 'आपने ये कहकर डिपोर्टेशन की प्रक्रिया शुरू करने से इनकार कर दिया कि उनका पता नहीं मालूम है। ये हमारी चिंता क्यों होनी चाहिए? आप उन्हें उनके देश भेज दें। क्या आप किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'जब आप किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित करते हैं, तो आपको अगला तार्किक कदम उठाना पड़ता है। आप उन्हें अनंत काल तक डिटेंशन सेंटर में नहीं रख सकते। संविधान का अनुच्छेद 21 मौजूद है। असम में विदेशियों के लिए कई डिटेंशन सेंटर हैं। आपने कितने लोगों को निर्वासित किया है?'
2 हफ्ते में शुरू करें प्रक्रिया
असम के अलग-अलग डिटेंशन सेंटर में 270 ऐसे लोग रह रहे हैं, जिन्हें राज्य सरकार ने विदेशी नागरिक घोषित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को दो हफ्ते के भीतर इनमें से 63 नागरिकों के डिपोर्टेशन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भले ही सरकार को इन लोगों को पता न मालूम हो लेकिन ये तो पता है कि वो किस देश के नागरिक हैं। इसलिए इन लोगों के डिपोर्टेशन की प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाए। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को दो हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
केंद्र से भी मांगा जवाब
इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि जिन लोगों की नागरिकता के बारे में नहीं पता है, उनके मामले को कैसे निपटाया जाएगा, क्योंकि न तो वो भारतीय नागरिक हैं और न ही उनकी असल नागरिकता के बारे में पता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस बात की भी जानकारी मांगी है कि अब तक कितने नागरिकों को विदेशी घोषित किया गया है और कितनों को डिपोर्ट किया जा चुका है। अदालत ने केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए एक महीने का समय दिया है।