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ट्रांसजेंडर महिला को टीचर की नौकरी से निकाला, SC ने मुआवजे का आदेश दिया

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 किसी भी लिंग, जाति, धर्म, या जन्म स्थान के आधार पर होने वाले भेदभाव पर रोक लगाता है। ट्रांस महिलाओं के संदर्भ में भी यही अनुच्छेद लागू होता है।

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट। (Photo Credit: PTI)

सुप्रीम कोर्ट ने एक ट्रांसजेंडर महिला को मुआवजा देने का फैसला किया है, जिसकी नौकरी यूपी और गुजरात के दो प्राइवेट स्कूलों ने सिर्फ ट्रांसजेंडर होने की वजह से छीन ली थी। महिला उत्तर प्रदेश और गुजरात के दो निजी स्कूलों में शिक्षक के तौ पर पढ़ा रही थी। जब उसने अपनी पहचान ट्रांस बताई तो स्कूलों ने निकाल दिया। 

जस्टिस जेबी पारदीवाला की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि यह फैसला ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण कदम होगा। कोर्ट ने ट्रांसजेंडर और किसी भी लैंगिक पहचान के दायरे में न आने वाले लोगों के लिए रोजगार में समान अवसर की बात कही है। कोर्ट ने रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे मुद्दों की जांच के लिए दिल्ली हाई कोर्ट की पूर्व जज आशा मेनन की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का भी निर्देश दिया है।

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लैंगिक समानता पर संविधान क्या कहता है?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15  धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान या अन्य आधारों पर होने वाले भेदभावों को रोकता है। अनुच्छेद 16 कहता है कि सार्वजनिक रोजगार में हर लैंगिक पहचान वाले व्यक्तियों के लिए समान अवसर दिए जाएं।

कोर्ट ने स्कूलों को मुआवजा देने का आदेश दिया

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने जेन कौशिक बनाम भारत सरकार मामले में  सरकार की ओर से नीति बनाए जाने तक ट्रांसजेंडरों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कौशिक के साथ हुए व्यवहार और नौकरी से निकाले जाने पर मुआवजे का भी आदेश दिया है। समिति में ट्रांस राइट्स एक्टिविस्ट्स और विशेषज्ञ शामिल हैं।

यह समिति समान अवसर नीति, 2019 के ट्रांसजेंडर ऐक्ट और 2020 नियमों के अध्ययन, उचित व्यवस्था, शिकायत निवारण, जेंडर और नाम बदलने और चिकित्सा जैसे मुद्दों पर काम करेगी। कमेटी में सामाजिक न्याय, महिला और बाल विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालयों के सचिव भी शामिल हैं। यह फैसला ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। 

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समिति का काम क्या होगा?

  • ट्रांसजेंडरों के लिए शिक्षा और नौकरी में बराबर भागीदारी की नीति तैयार करने पर अध्ययन करना।
  • 2019 में बने ट्रांसजेंडर ऐक्ट और उसकी नीतियों की समीक्षा करना।
  • ट्रांसजेंडरों के लिए कार्यस्थल, सार्वजनिक स्थल और अन्य जगहों पर जरूरी सुविधाएं मुहैया कराना।
  • ट्रांसजेंडरों की समस्याओं को हल करने के लिए एक प्रभावी वैकल्पिक व्यवस्था बनाना।
  • ट्रांसजेंडरों के लिए जेंडर और नाम बदलने की प्रक्रिया को आसान करना।
  • ट्रांसजेंडर और जेंडर डायवर्स व्यक्तियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना।
  • जेंडर नॉन-कन्फॉर्मिंग और डायवर्स व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए काम करना। 
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