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स्टूडेंट सुसाइड: कैसे कम हों खुदकुशी के मामले? SC ने जारी की गाइडलाइन

सुप्रीम कोर्ट ने कोचिंग सेंटर और स्कूलों को निर्देश दिया है कि प्रदर्शन के आधार पर छात्रों के साथ कोई भेदभाव न हो। छात्रों का कमजोर प्रदर्शन पर मजाक न उड़ाया जाए, बैच का बंटवारा भी प्रदर्शन के आधार पर न किया जाए।

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट। (Photo Credit: PTI)

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देशभर के स्कूलों, कॉलेजों, यूनिवर्सिटी और कोचिंग सेंटरों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए। सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ती छात्र आत्महत्याओं को रोकने के लिए नए सिरे से दिशानिर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने छात्रों की खुदकुशी पर कहा है कि यह शिक्षा विभाग की असफलता है कि खुदकुशी कर रहे हैं। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेथा की बेंच ने कहा है कि शिक्षा संबंधी ये फैसले, पूरे देश में लागू होंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि छात्र आत्महत्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस केस पर फैसला सुनाया है। अब यह फैसला स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, प्राइवेट कोचिंग केंद्रों और ट्रेनिग एकेडमी पर भी लागू होगा। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 32 और 141 में मिले अधिकारों के आधार पर यह फैसला सुनाया है। कोर्ट का यह आदेश, औपचारिक कानून बनने तक देश का कानून माना जाएगा।  

अनुच्छेद 32 और 141 क्या हैं?

  • अनुच्छेद 32: नागरिकों को मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाने का हक देता है।  
  • अनुच्छेद 141: सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को पूरे देश में लागू करने की ताकत देता है।

क्यों सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया?

विशाखापत्तनम में आकाश बायजूस इंस्टीट्यूट में NEET की तैयारी कर रही एक 17 साल की छात्रा ने खुदकुशी कर ली थी। जुलाई 2023 में हुई इस घटना के बाद छात्रा के पिता ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की जांच CBI को सौंपी थी। आंध प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था। 

क्यों जरूरी था यह कदम?

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि साल 2022 में भारत में 1,70,924 आत्महत्याएं हुईं, जिनमें 7.6% छात्र थे। करीब 13,044 छात्रों ने खुदकुशी की थी। इन आत्महत्याओं में 2,200 से ज्यादा छात्रों ने परीक्षा में फेल होने के बाद खुदकुशी कर ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे शिक्षा व्यवस्था की बड़ी कमी बताया है।

सुप्रीम कोर्ट की नई गाइडलाइन क्या है?

  • मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट: 100 से ज्यादा छात्रों वाले संस्थानों में कम से कम एक मनोवैज्ञानिक, काउंसलर या सोशल वर्कर होना जरूरी है। छोटे संस्थान बाहर से मदद ले सकते हैं।
  • हेल्पलाइन नंबर: छात्रों के लिए हेल्पलाइन नंबर कैंपस, हॉस्टल और वेबसाइट पर प्रमुखता से दिखाना होगा।
  • प्रदर्शन आधारित भेदभाव बैन: कोचिंग और स्कूलों में प्रदर्शन के आधार पर बैच बांटना, छात्रों पर पढ़ाई के लिए दबाव डालना या क्लास में जलील करना प्रतिबंधित होगा। 
  • स्टाफ ट्रेनिंग: सभी कर्मचारियों को साल में दो बार मेंटल हेल्थ पर ट्रेनिंग लेनी होगी, जिससे वे छात्रों में इन लक्षणों को पहचान सकें, उनकी मदद कर सकें।  
  • सुरक्षित इमारतें: हॉस्टल में छत और बालकनी ऊंचे हों। टैंपर प्रूफ पंखे लगाए जाएं। 
  • कंप्लेन नंबर: यौन उत्पीड़न, रैगिंग या भेदभाव की गोपनीय शिकायत प्रणाली और तुरंत सहायता अनिवार्य।  

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि परीक्षा के दबाव को कम करने के लिए स्कूल-कोचिंग को खेल और कला को बढ़ावा दें। करियर काउंसलिंग पर जोर दें। कोर्ट के ये आदेश, तब तक लागू रहेंगे, जब तक संसद या राज्य की विधानसभाएं नया कानून न बना दें।  सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दो महीने में कोचिंग सेंटरों के लिए नए नियम बनाने होंगे।  केंद्र सरकार को 90 दिनों में अनुपालन की रिपोर्ट देनी होगी।

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