logo

ट्रेंडिंग:

5 साल की शर्त अनिवार्य नहीं, वक्फ ऐक्ट पर SC के फैसले की हर बात

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम पर अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने 5 साल के अनिवार्य इस्लाम प्रैक्टिस करने वाली शर्त पर रोक लगाई है। पढ़ें सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला।

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट। (Photo Credit: PTI)

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधनियम 2025 की कुछ धाराओं पर रोक लगाई है। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा है कि वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में से 3 से ज्यादा गैर मुस्लिम नहीं होने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम की वैधता पर आज फैसला नहीं सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर कहा है कि वक्फ एक्ट को रद्द करने का कोई वैध आधार नहीं है।  सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम की धारा 374 पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून तो लागू रहेगा लेकिन कुछ प्रावधानों पर रोक रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने धारा 3 (1) (R) पर रोक लगा दी है। यह धारा वक्फ बनाने के लिए 5 साल तक अनिवार्य तौर पर मुस्लिम धर्म का अनुयायी होने से संबंधित थी। कोर्ट ने तब तक इस पर रोक लगाई है, जब तक कि राज्य सरकारें यह निर्धारित करने के लिए नियम नहीं बना लेतीं कि कोई व्यक्ति 5 वर्षों या उससे अधिक समय से इस्लाम का अनुयायी है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसी व्यवस्था के बिना, यह विशेषाधिकार, अधिकारियों को मनमाने तरीके से संवैधानिक ताकत दे देगा। 

यह भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट में फोटो और वीडियोग्राफी पर रोक, उल्लंघन पर क्या होगा?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें 

सुप्रीम कोर्ट ने धारा 3 (सी) के सब क्लाज 2 के प्रावधान पर भी रोक लगाई है। यह धारा सरकार की ओर से नॉमिनेटेड अधिकारी को यह विवाद तय करने की अनुमति देता था कि किसी वक्फ संपत्ति ने सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण किया है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस धारा पर रोक लगा दी है। 

शुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी अधिकारी को नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों पर फैसला करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। यह शक्तियों के पृथक्करण सिद्धांत का उल्लंघन होगा। जब तक किसी कोर्ट के प्राधिकरण की ओर से यह फैसला नहीं दिया जाता, तब तक किसी भी पक्ष के विरुद्ध किसी तीसरे पक्ष को अधिकार नहीं दिया जा सकता है। 

यह भी पढ़ें: रेप का केस कब हो सकता है खारिज? SC ने अदालतों के लिए तय की गाइडलाइंस

गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? 

  • वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को नामित किया जा सकेगा। कोर्ट ने कहा है कि जहां तक संभव हो बोर्ड का मुख्य सदस्य मुस्लिम या एक्स-ऑफिशियो ही होना चाहिए।

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल में अधिकतम 4 गैर-मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं। राज्य वक्फ बोर्ड में अधिकतम 3 गैर-मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं।

  • वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन नियम पहले से ही 1995 और 2013 के कानूनों में थे। कोर्ट ने इस नियम में कोई बदलाव नहीं किया। अब रजिस्ट्रेशन के लिए समय सीमा बढ़ा दी गई है। 

वक्फ पर सुप्रीम कोर्ट को क्यों फैसला देना पड़ा?

साल 2025 में संसद ने वक्फ कानून में बड़े बदलाव किए गए थे। इन बदलावों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है।अप्रैल में, केंद्र सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि जब तक मामला लंबित है, तब तक गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड या केंद्रीय वक्फ परिषद में नियुक्त नहीं किया जाएगा। सरकार ने कहा था कि किसी भी वक्फ संपत्ति को डी-नोटिफाई नहीं किया जाएगा, न ही उसका दर्जा या स्वरूप बदला जाएगा। चाहे वह नोटिफिकेशन के जरिए हो या रजिस्ट्रेशन के जरिए, उसका फॉर्मेट नहीं बदला जाएगा। 

किन नियमों पर ऐतराज है?

  • पहले कोई संपत्ति लंबे समय तक वक्फ के रूप में उपयोग होने पर वक्फ मानी जाती थी, लेकिन अब इस प्रावधान को हटा दिया गया है।
  • केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान।
  • वक्फ बनाने के लिए व्यक्ति को कम से कम 5 साल तक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होना जरूरी किया गया।
  • सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण से संबंधित विवादों का फैसला अब सरकार करेगी।
  • वक्फ संपत्तियों पर अब लिमिटेशन ऐक्ट लागू होता है, जिस पर याचिकाकर्ताओं को ऐतराज है। 
  • पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ASI द्वारा संरक्षित स्मारकों पर वक्फ बनाने पर रोक।
  • अनुसूचित जानजाति वाले क्षेत्रों में वक्फ पर प्रतिबंध।
  • वक्फ परिषद और बोर्ड में महिलाओं की सदस्यता को दो तक सीमित करना।
  • वक्फ-अलाल-औलाद में बदलाव।
  • 'वक्फ एक्ट, 1995' का नाम बदलकर यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट पर पर ऐतराज।
  • ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ अपील का प्रावधान देना।

सुप्रीम कोर्ट में किसने दायर की थी याचिका?

वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम में कई पक्षों ने याचिकाएं दायर की थीं। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, दिल्ली AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, RJD सांसद मनोज कुमार झा, SP सांसद जिया उर रहमान और कई मुस्लिम संगठनों ने इस अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। असम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में एक इंटरवेंशन आवेदन दायर किया था। इन राज्यों ने कहा था कि अधिनियम में हुए बदलाव जरूरी हैं। केरल के कैथलिक बिशपों ने भी इसका समर्थन किया था। 

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap