देश के कई राज्यों में इस बार अप्रैल महीने में ही झुलसाने वाली गर्मी ने दस्तक दे दी है। भारत की राजधानी दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल तक मौसम के रुख में काफी तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। दिल्ली में बढ़ते तापमान और लू की वजह से लोगों की दिनचर्या पर काफी प्रभाव पड़ रहा है। मौसम विभाग के अनुसार, 25 अप्रैल को दिल्ली के कई इलाकों में तेज गर्मी और लू की संभावना जताई गई है। रिपोर्ट की मानें तो 25 अप्रैल को दिल्ली का न्यूनतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। आंकड़े बताते हैं कि बीते 15 साल में यह दूसरा मौका है, जब अप्रैल में ही दिल्ली के लोगों को लू (Heat Wave) का सामना करना पड़ रहा है।
मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली एजेंसी स्काईमेट ने देश के कई हिस्सों में लू चलने की आशंका जताई है। इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, विदर्भ, बिहार, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के कई इलाके शामिल हैं। वहीं, बिहार, ओड़िशा और गंगा से सटे पश्चिम बंगाल के कई इलाको में रात के समय उमस और तापमान बढ़ने की आशंका जताई गई है।
यह भी पढ़ें- 1 नहीं 7 बार, भारत के हर भरोसे पर पाकिस्तान ने दिया जख्म
कई इलाकों में हो सकती है बारिश
मौसम विभाग की रिपोर्ट की मानें तो असम और अरुणाचल प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। सिक्किम और पूर्वोत्तर भारत में गरज, चमक और तेज हवाओं के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। केरल, कर्नाटक के कुछ हिस्से और दक्षिण तमिलनाडु में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। पश्चिम के हिमालयी क्षेत्रों में अगले 48 घंटों के में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कहीं-कहीं बारिश की तेज बौछारें देखने को मिल सकती हैं।

बढ़ती गर्मी के प्रभाव?
गर्मी किस हद तक बढ़ती जा रही है, इसे ऐसे समझ लीजिए कि 2024 में भारत का औसत तापमान 0.65 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया था। इसने 2024 को अब तक का सबसे गर्म साल बना दिया था।
बढ़ती गर्मी के चलते खाने-पीने का संकट भी खड़ा हो सकता है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) की एक रिपोर्ट कहती है कि अगर एक डिग्री भी तापमान बढ़ता है तो इससे गेहूं की पैदावार 6% और चावल की 5% कम हो सकती है। 2022 में हीटवेव के चलते गेहूं की पैदावार में 10 से 15 फीसदी की गिरावट आ गई थी। 40 डिग्री से ज्यादा तापमान हो जाने पर मिट्टी की नमी सूखने लगती है, जिससे फसलों की जड़ें कमजोर होती हैं। जाहिर है जब फसलों की पैदावार कम होगी तो इससे कीमतें भी बढ़ती हैं।
यह भी पढ़ें- पाकिस्तान को मिलने वाला पानी तुरंत रुकेगा? सिंधु जल संधि की पूरी कहानी
वहीं, बढ़ती गर्मी के कारण नौकरियों पर भी संकट खड़ा हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) का अनुमान है कि साउथ एशिया में 2030 तक 4.3 करोड़ नौकरियां खत्म हो जाएंगी। सबसे ज्यादा असर भारत में होगा, जहां 3.4 करोड़ नौकरियां सिर्फ गर्मी के कारण खत्म हो जाएंगी।
इतना ही नहीं, अमेरिका की मैसाचुएट्स यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट बताती है कि क्लाइमेट चेंज से सबसे ज्यादा प्रभावित साउथ एशियाई देश ही हैं। इस रिपोर्ट में इस सदी के अंत तक धरती की सतह का तापमान 4.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान है। अगर ऐसा होता है तो दक्षिण एशियाई देशों के बहुत से इलाके रहने लायक नहीं होंगे।
बहरहाल, गर्मी जिस तरह से बढ़ रही है, उससे अब संभलना भी जरूरी हो गया है। अगर अभी चीजें नहीं सुधरीं तो आने वाली पीढ़ी इसके गंभीर नतीजे भुगतेगी। क्लाइमेट चेंज पर केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि इस सदी के आखिर तक यानी 2100 तक देश का तापमान 4.4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। इससे गर्म दिन 55% और गर्म रातें 70% बढ़ जाएंगी।