2017 उन्नाव रेप केस में दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा पर कुछ शर्तों के साथ रोक लगा दी है। इस फैसले पर रेप पीड़िता ने हैरानी जताई है। पीड़िता ने कहा कि फैसला सुनकर वह टूट गई थीं और उस वक्त खुद को खत्म करने तक का ख्याल आया लेकिन परिवार को याद कर उन्होंने खुद को संभाला। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर रेप का आरोपी बाहर रहेगा तो हम कैसे सुरक्षित रहेंगे।
कोर्ट ने सजा पर रोक लगाते हुए शर्त रखी है कि कुलदीप सिंह सेंगर पीड़िता के घर से 5 किलोमीटर के दायरे में नहीं रहेंगे। यह फैसला जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हर्ष विद्यानंतन शंकर की डिवीजन बेंच ने सुनाया। गौरतलब है कि उन्नाव रेप केस सामने आने के बाद बीजेपी ने कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
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पीड़िता ने क्या कहा?
पीड़िता ने फैसले के बाद अपनी मां और महिला अधिकार कार्यकर्ता योगिता भयाना के साथ इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन कर रही थी। उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद वह खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है। पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि जमानत का समय पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है क्योंकि 2027 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए पीड़िता ने कहा, 'हमारे साथ अन्याय हुआ है। चुनाव आ रहे हैं और उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया है ताकि उसकी पत्नी चुनाव लड़ सके।' आगे उन्होंने कहा, 'अगर ऐसे रेप का आरोपी बाहर आ जाएगा तो हम कैसे सुरक्षित रहेंगे?'
उन्होंने जमानत रद्द करने की मांग की और कहा कि जब से यह आदेश आया है उनका परिवार डर के साए में जी रहा है। इस फैसले के बावजूद उन्होंने न्याय प्रणाली पर विश्वास जताया और कहा कि वह इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगी। उन्होंने कहा, 'मुझे सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है। हम डरे हुए हैं कि उसे रिहा कर दिया गया है।'
योगिता ने उठाया सवाल?
महिला अधिकार कार्यकर्ता योगिता भयाना ने उन आधारों पर सवाल उठाया जिन पर सेंगर को जमानत दी गई। उन्होंने पूछा, 'उन्हें शुरू से ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। आज ऐसा क्या हुआ कि आरोपी को जमानत दे दी गई?' आगे कहा, 'बलात्कारियों को जमानत मिल रही है और निर्दोषों को जेल में रखा जा रहा है। उसकी रिहाई के बाद परिवार खतरे में है।'
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पीड़िता की बहन ने आरोप लगाया कि उनके घर के आसपास कुछ अज्ञात लोग घूमते हुए दिखाई दे रहे हैं और परिवार के सदस्यों को धमकियां भी दी जा रही हैं। बहन ने कहा, 'उन्होंने पहले मेरे चाचा और फिर मेरे पिता की हत्या कर दी। मेरी बहन के साथ यह सब हुआ और बाद में उसे रिहा कर दिया गया। हम आज भी खतरे में हैं। अगर हम जेल में होते, तो शायद जिंदा होते।'
कोर्ट ने सजा को निलंबित करते हुए कई शर्तें तय कीं। कोर्ट ने आदेश दिया कि सजा पर रोक के लिए 15 लाख रुपये का बॉण्ड भरना होगा और सभी शर्तों का पालन करना जरूरी होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सेंगर पीड़िता के घर से 5 किलोमीटर के दायरे में नहीं आ सकते। केस की सुनवाई पूरी होने तक उन्हें दिल्ली में ही रहना होगा। इसके अलावा, वे पीड़िता या उसकी मां को किसी भी तरह की धमकी नहीं दे सकते। उन्हें अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा करना होगा और हर सोमवार सुबह 10 बजे स्थानीय पुलिस थाने में हाजिरी लगानी होगी।