उत्तर प्रदेश का संभल जिला इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बीच खबर है कि यूपी की योगी सरकार संभल में साल 1978 के सांप्रदायिक दंगों की जांच शुरू करने जा रही है। दरअसल, 46 साल बाद दंगों के मामलों को फिर से खोलने का फैसला सोमवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद लिया गया है।
सीएम योगी ने विधानसभा में कहा कि 1978 के सांप्रदायिक दंगों में 184 हिंदू मारे गए थे। यह दंगे दो महीने से भी ज्यादा समय तक चले थे।
जिला प्रशासन को रिकॉर्ड सरकार को सौंपने के आदेश
सूत्रों के मुताबिक, संभल जिला प्रशासन को हिंसा से संबंधित फाइलें और रिकॉर्ड सरकार को सौंपने को कहा गया है। रिकॉर्ड के आधार पर सरकार हिंसा के दौरान और उसके बाद दर्ज मामलों को फिर से खोलने की संभावनाओं का पता लगाएगी। सूत्रों ने बताया कि हिंसा के संबंध में उस समय लगभग 169 केस दर्ज किए गए थे।
सबूत इकट्ठा करने में कोई चूक हुई?
साथ ही सूत्रों ने यह भी बताया कि अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या दंगे की जांच को आगे बढ़ाने और आरोपियों के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने में कोई चूक हुई थी। संभल के एक सीनियर अधिकारी ने इस बारे में कहा, 'जांच अदालती मामलों की स्थिति, गवाहों के बयान, वारंटों के निष्पादन सहित अन्य बातों पर केंद्रित होगी।' मगर, कार्रवाई तय करने से पहले हिंसा से संबंधित फाइलों की सावधानीपूर्वक जांच की जाएगी।
सांप्रदायिक दंगों की घटनाओं में 209 हिंदू मारे गए
हालांकि, बड़े अधिकारियों ने इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ बताने से इनकार कर दिया। बता दें कि सोमवार को विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ ने दावा किया था कि आजादी के बाद से संभल में सांप्रदायिक दंगों का लंबा इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि साल 1947 से अब तक संभल में सांप्रदायिक दंगों की घटनाओं में 209 हिंदू मारे गए हैं।
विपक्ष हिंदुओं की हत्या पर नहीं बोलता- योगी
सीएम योगी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष हिंदुओं की हत्या पर एक शब्द भी नहीं बोलता। उन्होंने कहा, 'जो लोग अब संभल में चार लोगों की मौत पर मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं, उन्होंने वहां हिंदुओं की हत्याओं के बारे में कभी कुछ नहीं कहा।'
जल उठा था संभल शहर
बता दें कि 1976 में संभल में मस्जिद के इमाम की हत्या के बाद बवाल शुरू हो गया था, लेकिन संभल में 1978 का दंगा 29 मार्च को हुआ था। इस दंगे में शहर जल उठा था। हालात को संभालने के लिए प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया था। फिर भी शहर में दोनों समुदायों के बीच तनावपूर्ण स्थिति बनी रही। ऐसी स्थिति में कर्फ्यू का अंतराल बढ़ता गया। संभल में लगातार दो महीने तक तक कर्फ्यू लगा रहा।