राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की संगरिया विधानसभा क्षेत्र की रहने वाली पूर्वा चौधरी इन दिनों विवादों में घिर गई है। पूर्वा ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024 में 535वीं रैंक हासिल की थी। उन्होंने ओबीसी (नॉन-क्रीमी लेयर) कैटेगरी के तहत यह परीक्षा पास की। हालांकि, उनकी इस उपलब्धि पर सोशल मीडिया पर विवाद शुरू हो गया।, जिसमें कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि उन्होंने ओबीसी सर्टिफिकेट का गलत इस्तेमाल किया। यह विवाद उनके रिता के पेशे और आर्थिक स्थिति को लेकर है।
दरअसल, पूर्वा ने UPSC 2024 में 535वीं रैंक हासिल की, जिसमें लिखित परीक्षा में 771 अंक और इंटरव्यू में 165 अंक हासिल हुए। वह ओबीसी-नॉन क्रीमी लेयर कैटगरी के तहत चुनी गईं। पूर्वा के पिता ओमप्रकाश सहरण प्रशासनिक सेनवा (RAS) के अधिकारी हैं और वर्तमान में कोटपूतली में अतिरिक्त जिला कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। अब सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने दावा किया कि उनके पिता की सरकारी नौकरी और उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए, वह ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर के लिए एलिजिबल नहीं हो सकतीं। आरोप है कि उनकी परिवार की आय 8 लाख रुपये प्रति वर्ष की सीमा से अधिक है, जो ओबीसी-नॉन क्रीमी लेयर के लिए तय है।
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4.5 लाख रुपये का हैंडबैग वाली तस्वीर वायरल
कुछ एक्स पोस्ट्स में पूर्वा की तस्वीरों को शेयर कर सवाल उठाए गए कि क्या वह वाकई नॉन-क्रीमी लेयर की श्रेणी में आती हैं। इन तस्वीरों में पूर्वा 4.5 लाख रुपये का हैंडबैग लिए नजर आ रही है। इन पोस्ट्स में यह भी कहा गया कि ओबीसी आरक्षण का दुरुपयोग हो रहा है। हालांकि, पूर्वा के पिता ने इसपर सफाई दी है। ओमप्रकाश सहरण ने इन आरोपों को गलत और आधारहीन बताया और नियमों का हवाला देते हुए अपनी स्थिति स्पष्ट की।
पूर्वा के पिता की सफाई
पूर्वा के पिता, ओमप्रकाश सहारण, ने इन आरोपों को गलत और आधारहीन बताया और नियमों का हवाला देते हुए अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि उनकी आय और परिवार की आर्थिक स्थिति नॉन-क्रीमी लेयर की शर्तों के अनुरूप है। उन्होंने आगे कहा कि 'लोग इस बात से अनजान हैं कि पात्रता मानदंड कैसे काम करते हैं। 40 वर्ष की आयु से पहले सीधी आरएएस भर्ती के मामलों में, ओबीसी एनसीएल लाभ लागू नहीं होता है लेकिन मुझे 44 वर्ष की आयु में आरएएस अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था, इसलिए, यह दावा कि मेरी बेटी ने ओबीसी प्रमाण पत्र का दुरुपयोग किया है, पूरी तरह से झूठ है।'दूसरी ओर, पूर्वा के समर्थकों का कहना है कि उनकी मेहनत और रैंक को नजरअंदाज कर बेवजह विवाद खड़ा किया जा रहा है। पूर्वा का ओबीसी सर्टिफिकेट नियमों के तहत जारी किया गया था और इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई।
फिलहाल अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक शिकायत या जांच शुरू नहीं हुई है। बता दें कि UPSC में सर्टिफिकेट की जांच कठोर होती है और ओबीसी सर्टिफिकेट को सत्यापित करने के लिए उम्मीदवार को जिला प्रशासन से वैध दस्तावेज जमा करने होते हैं। पूर्वा का चयन इस प्रक्रिया से गुजरा है।
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नॉन-क्रीमी लेयर नियम
ओबीसी-नॉन क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट के लिए परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए, जिसमें माता-पिता की आय शामिल होती है। हालांकि, केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार, अगर माता-पिता में से कोई ग्रुप A या ग्रुप B (जैसे RAS अधिकारी) में है, तो भी उम्मीदवार नॉन-क्रीमी लेयर के लिए पात्र हो सकता है, बशर्ते उनकी आय तय सीमा से कम हो।