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वैष्णो देवी में रोपवे का ऐलान होते ही क्यों शुरू हो गई हड़ताल? समझिए

हाल ही में ऐलान किया गया था कि वैष्णो देवी मंदिर तक जाने के लिए अब कटरा से ही रोपवे बना दिया जाएगा। अब इस प्रोजेक्ट का विरोध शुरू हो गया है।

Vaishno Devi mandir

वैष्णो देवी मंदिर, Image Source: Vaishno Devi Shrine Board

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वैष्णो देवी मंदिर का जिक्र होता है तो लंबी चढ़ाई, कठिन रास्ता और भीड़भाड़ याद आती है। हाल ही में एक ऐलान किया गया कि अब कटरा से ही रोपवे बनाया जाएगा जिससे श्रद्धालु आसानी से माता वैष्णो के दर्शन कर सकेंगे। अब यही ऐलान स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शन की वजह बन गया है। इस प्रोजेक्ट के बारे में कहा गया है कि इससे माता के भवन तक जाने वाले रास्ते का सफर 6-7 घंटे से घटकर सिर्फ एक घंटे का हो जाएगा। अब इसी रोपवे के विरोध में स्थानीय खच्चर संचालक, पिट्ठू पर ले जाने वाले और पालकी वाले लोग आंदोलन करने पर उतर आए हैं।

 

मौजूदा समय में इस यात्रा के चार अहम पड़ाव हैं। पहला कटरा- जहां से यह यात्रा शुरू होती है। दूसरा- अर्धुकुंवारी जहां एक मंदिर है और यहीं से दो रास्ते मुख्य मंदिर की ओर जाते हैं। तीसरा- वैष्णो देवी का मुख्य मंदिर और चौथा- भैरो मंदिर। अभी के लिए कटरा से ऊपर की ओर पैदल, खच्चर-घोड़े से, पिट्ठू पर, पालकी पर या फिर कटरा से हेलिकॉप्टर के जरिए सांझीछत तक जा सकते हैं। सांझीछत से मुख्य मंदिर तक 2.5 किलोमीटर की दूरी है जो पैदल तय करनी होती है। वैष्णो देवी मंदिर से भैरो मंदिर तक केबल कार अभी भी चल रही है क्योंकि वहां की चढ़ाई बहुत कठिन और दुर्गम है।

नया प्रोजेक्ट क्या है?

 

पैदल यात्रा को और आसान बनाने के लिए कटरा से सीधे मुख्य भवन तक जाने के लिए एक रोपवे बनाने का प्रस्ताव आया है। 300 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले यह रोपवे कटरा से सांझीछत को जोड़ेगा। यानी हेलिकॉप्टर से पहुंचने वाले लोग और रोपवे से पहुंचने वाले लोग एक ही जगह पहुंचेंगे और वहां से पैदल सिर्फ 2.5 किलोमीटर की यात्रा करके मंदिर तक पहुंच जाएंगे। कहा जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट को 2026 तक चालू कर लिया जाएगा और हर दिन लगभग 1000 हजार लोग इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। यह भी कहा जा रहा है कि इसे दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए रखा जाएगा। आपको बता दें कि पिछले साल 86 लाख लोगों ने वैष्णो देवी के दर्शन किए थे और हर साल यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है।


विरोध क्यों हो रहा है?

 

दरअसल, इस रास्ते में सैकड़ों की संख्या में ऐसे लोग हैं जो पिट्ठू या पालकी चलाते हैं। यानी ये लोग पिट्ठू पर बिठाकर लोगों को ले जाते हैं। कुछ लोग पालकी, गधे या खच्चर से भी जाते हैं। इन लोगों को आशंका है कि अगर रोपवे बन जाएगा तो लोग पैदल जाना ही नहीं चाहेंगे और पिट्ठू और पालकी संचालक बेरोजगार हो जाएंगे। यही वजह है कि शुक्रवार से ही इन लोगों ने हड़ताल शुरू कर दी है। स्थानीय दुकानदार भी इस हड़ताल का हिस्सा भी बन रहे हैं क्योंकि उनकी आशंका भी कमोबेश वही है।

 

बता दें कि पहले भी रोपवे का विरोध हो चुका है और ऐसे ही एक प्रोजेक्ट को स्थगित किया जा चुका है। प्रदर्शन करने वाले लोगों का कहना है कि वे किसी भी कीमत पर रोपवे नहीं बनने देंगे। प्रदर्शन पर उतरे लोगों ने कहा कि उनका हाल कोई पूछने भी नहीं आया। लोगों ने यह भी कहा कि वे तीन साल से इसके खिलाफ लड़ते रहे हैं और लड़ते रहेंगे।

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