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क्या है एडवोकेट ऐक्ट जिसको विरोध के बाद सरकार ने लिया वापस?

सरकार ने  एडवोकेट्स (अमेंडमेंट) बिल 2025 के मसौदे को वापस ले लिया क्योंकि इसके कई प्रावधानों का विरोध किया गया था। जानें कि क्या थे वे प्रावधान जिसकी वजह से इसे वापस लेना पड़ा।

Representational Image। Photo Credit: PTI

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: PTI

वकीलों की हड़ताल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया की आपत्तियों के बाद, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने शनिवार को 13 फरवरी को पब्लिश किए गए अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 यानी कि एडवोकेट्स (अमेंडमेंट) बिल 2025 के मसौदे को वापस ले लिया और कहा कि इसे 'परामर्श के बाद नए सिरे से लाया जाएगा'।

 

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मसौदा विधेयक 13 फरवरी को लीगल अफेयर्स विभाग की वेबसाइट पर पब्लिश किया गया था, जो 'सरकार की पारदर्शिता को दर्शाता है। हालांकि, प्राप्त सुझावों और चिंताओं की संख्या को देखते हुए, परामर्श प्रक्रिया को अब खत्म करने का फैसला किया गया है। प्राप्त फीडबैक के आधार पर मसौदा विधेयक पर नए सिरे से विचार किया जाएगा।'

 

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क्या है मामला

अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन करने के लिए मसौदा विधेयक को 28 फरवरी तक सार्वजनिक सुझाव के लिए खुला रखा गया था, लेकिन बार काउंसिल ऑफ इंडिया और वकीलों की ओर से कड़ी आलोचना का सामना करने के बाद बुधवार को  इसे वापस लिया गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखे पत्र में बीसीआई के अध्यक्ष और भाजपा सांसद मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि मसौदा विधेयक बीसीआई की स्वायत्तता को खतरे में डालता है।

 

मसौदा विधेयक में ऐसे प्रावधान थे जो सरकार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया में तीन सदस्यों को नामित करने, बीसीआई को निर्देश जारी करने और विदेशी वकीलों और फर्मों के लिए नियम बनाने की अनुमति देते।

 

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परिभाषा में बदलाव

मसौदा विधेयक ने विदेशी कानूनी फर्मों और कॉर्पोरेट संस्थाओं के साथ काम करने वाले वकीलों को शामिल करने के लिए 'लीगल प्रेक्टिशनर' की परिभाषा में भी बदलाव किया है।

 

मसौदा संशोधन में अदालतों के काम से बहिष्कार करने या दूरी बनाने पर रोक लगाने वाली एक नई धारा पेश की गई थी। इसमें कहा गया था: 'वकीलों का कोई भी संघ या संघ का कोई भी सदस्य या कोई भी अधिवक्ता, व्यक्तिगत रूप से या सामूहिक रूप से, अदालतों के काम से बहिष्कार या परहेज़ करने या अदालतों के काम से बहिष्कार या परहेज़ करने या अदालत के कामकाज या अदालत परिसर में किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न करने के लिए लोगों का आह्वान नहीं करेगा।' 

 

नोटिस में क्या कहा

मंत्रालय ने अपने 13 फरवरी के नोटिस में कहा था, 'लीगल अफेयर्स डिपार्टमेंट मौजूदा चुनौतियों का सामना करने और देश की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन करने का प्रस्ताव कर रहा है। इन संशोधनों का उद्देश्य लीगल एजुकेशन और लीगल प्रोफेशन को वैश्विक स्तर पर लाना है।'

 

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