दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दे दिया है। मामला 2011 के कथित चीनी वीजा घोटाले से जुड़ा है। मंगलवार को अदालत ने कार्ति चिदंबरम समेत 7 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है। इस मामले में एक आरोपी चेतन श्रीवास्तव को बरी कर दिया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी।
कोर्ट के आदेश के बाद बाहर कार्ति चिदंबरम ने कहा कि 'कानून मुझे कई विकल्प देता है और मैं उन सभी विकल्पों का इस्तेमाल करूंगा।'
सीबीआई कोर्ट के स्पेशल जज जस्टिस दिग विनय सिंह इस मामले में सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने मंगलवार को एक आदेश जारी कर कार्ति चिदंबरम और एस. भास्कररमन समेत 7 लोगों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दे दिया।
कार्ति चिदंबरम कथित चीनी वीजा घोटाले में फंसे हैं, वह 2011 का है। उस वक्त कार्ति चिदंबरम के पिता पी. चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे। इस मामले में CBI के अलावा ED भी जांच कर रही है।
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क्या है यह कथित घोटाला?
यह पूरा मामला 2011 का है। अक्टूबर 2023 में CBI ने कार्ति चिदंबरम समेत कई लोगों के खिलाफ एक पावर कंपनी के लिए चीनी नागरिकों को वीजा दिलाने में कथित रिश्वतखोरी के मामले में चार्जशीट दायर की थी।
CBI ने अपनी चार्जशीट में कार्ति चिदंबरम, उनके कथित करीबी सहयोगी एस. भास्कररमन, वेदांता की सहायक कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (TSPL) और मुंबई की बेल टूल्स का नाम लिया था। बेल टूल्स के जरिए ही कथित तौर पर रिश्वत दी गई थी।
CBI ने इंडियन पीनल कोड (IPC) के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया था। इस मामले में विरल मेहता, अनूप अग्रवाल, मंसूर सिद्दीकी और चेतन श्रीवास्तव को भी आरोपी बनाया गया था। अब कोर्ट ने चेतन श्रीवास्तव को बरी कर दिया है।
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263 चीनी नागरिकों को मिला था वीजा
CBI के मुताबिक, पंजाब की TSPL 1,980 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट लगा रही थी। यह काम चीन की कंपनी शेडोंग इलेक्ट्रिक पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्प (SEPCO) को आउटसोर्सिंग के जरिए दिया गया था।
यह प्रोजेक्ट अपने तय समय से पीछे चल रहा था और कंपनी को कथित तौर पर जुर्माने का सामना करना पड़ रहा था। आरोप लगा कि TSPL ने भास्कररमन के जरिए कार्ति चिदंबरम से संपर्क किया था। CBI ने जांच के बाद आरोप लगाया था कि चीनी नागरिकों के लिए प्रोजेक्ट वीजा को दोबारा इस्तेमाल करने के लिए बैकडोर तरीका निकाला। 263 चीनी नागरिकों को वीजा को दोबारा इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी।
प्रोजेक्ट वीजा असल में एक खास तरह का वीजा था जिसे 2010 में पावर और स्टील सेक्टर के लिए शुरू किया गया था, जिसके लिए पी. चिदंबरम के गृह मंत्री रहते हुए गाइडलाइंस जारी की गई थीं लेकिन इसमें प्रोजेक्ट वीजा को दोबारा जारी करने का कोई प्रावधान नहीं था।
FIR में आरोप लगाया गया था कि TSPL के एक अधिकारी ने कथित तौर पर 30 जुलाई 2011 को गृह मंत्रालय को एक लेटर सौंपा था, जिसमें प्रोजेक्ट वीजा को दोबारा इस्तेमाल करने की मंजूरी मांगी गई थी, जिसे एक महीने के अंदर मंजूरी भी मिल गई और परमिशन दे दी गई।
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50 लाख की रिश्वत दी गई थी!
आरोप है कि प्रोजेक्ट वीजा को दोबारा इस्तेमाल करने के लिए 50 लाख रुपये की रिश्वत दी गई थी। FIR में आरोप लगाया गया था कि 17 अगस्त 2011 को भास्कररमन के कहने पर TSPL के एक एग्जीक्यूटिव ने 30 जुलाई 2011 को लिखे लेटर की एक कॉपी उन्हें ईमेल से भेजी थी, जिसे कार्ति चिदंबरम को फॉरवर्ड किया गया था।
आरोप है कि भास्कररमन ने तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम से बात करने के बाद मंजूरी दिलाने के लिए 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी।
FIR में आरोप लगाया गया था कि रिश्वत की पेमेंट TSPL से कार्ति चिदंबरम और भास्कररम तक मुंबई की बेल टूल्स लिमिटेड के जरिए की गई थी। इस पेमेंट को दो अलग-अलग इनवॉइस के जरिए छिपाया गया था। इतना ही नहीं, बाद में TSPL के एग्जीक्यूटिव ने कथित तौर पर ईमेल पर कार्ति चिदंबरम और भास्कररमन का शुक्रिया अदा भी किया था।
आरोप था कि इनवॉइस के बदले TSPL ने बेल टूल्स लिमिटेड को चेक से पेमेंट की थी। फिर यह रकम कैश में भास्कररमन को दी गई थी।