उत्तराखंड और हिमाचल में क्यों हो रही आफत की बारिश, अब तक कितना नुकसान?
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• NEW DELHI 17 Sept 2025, (अपडेटेड 17 Sept 2025, 8:07 PM IST)
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में इस मानसून सीजन में भारी तबाही देखने को मिली। सड़क, पुल, घर और दुकान की तबाही से लेकर सैकड़ों लोगों की जान तक जा चुकी है।

देहरादून में बारिश से भारी तबाही। ( Photo Credit: PTI)
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में मौसम रह-रहकर आफत बरसा रहा है। देहरादून में बादल फटने से 15 लोगों की जान चली गई और 16 लोग अब भी लापता हैं। हिमाचल प्रदेश के मंडी में बादल फटने से धर्मपुर बस अड्डा तबाह हो चुका है। अलग-अलग स्थानों पर चार लोगों की जान गई है और 6 लोग लापता हैं। पूरे हिमाचल प्रदेश में लगभग 652 सड़कें बंद हैं। उत्तराखंड में अब तक 1343.2 मिमी बारिश हो चुकी है। यह सामान्य से 22 फीसद अधिक है।
इसी तरह हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 46 फीसदी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। यहां अब तक 1010,9 मिमी बारिश हो चुकी है। दोनों प्रदेशों में जितनी बारिश हुई, उससे ज्यादा तबाही देखने को मिली है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मंगलवार को हुई आफत की बरसात के पीछे की मुख्य वजह का खुलासा मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने कर दिया है।
हिमाचल और उत्तराखंड में बारिश ने क्यों मचाई तबाही?
शुष्क पछुआ हवा और पूर्वी हवाओं के टकराने से उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश देखने को मिली है। देहरादून में भारत मौसम विज्ञान विभाग का क्षेत्रीय केंद्र है। इसके प्रमुख सीएस तोमर ने उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हुई मूसलाधार बारिश के पीछे की वजह बताई। उनका कहना है कि दोनों प्रदेशों में लगातार हो रही बारिश शुष्क पश्चिमी हवाओं और नम पूर्वी हवाओं के मिलने से हो रही है।
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IMD ने पहले ही जारी किया था अलर्ट
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून अपने निर्धारित समय से तीन दिन पहले यानी 14 सितंबर से उत्तर-पश्चिम भारत से वापस लौटने लगा था। हरियाणा-पंजाब और राजस्थान के अधिकांश हिस्सों से लौट चुका है। आईएमडी ने अपने एक अनुमान में सितंबर महीने में उत्तर भारत में बाढ़ और भूस्खलन के अलावा सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना जताई थी। भारी बारिश के कारण उत्तराखंड में फ्लैश फ्लड और भूस्खलन का अलर्ट जारी किया था।
आईएमडी महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के मुताबिक बंगाल की खाड़ी से आने वाली निम्न-दाब प्रणालियां ओडिशा के रास्ते अपने सामान्य मार्ग पर चलती हैं। लेकिन इस बार इन्होंने अपना मार्ग बदल दिया। यह प्रणालियां पश्चिम बंगाल के गंगा के मैदान, झारखंड और यूपी व उत्तरी आंध्र प्रदेश, दक्षिणी ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना से निकलीं। अगस्त महीने में उत्तर-पश्चिम भारत में भी ऐसी तीन सक्रिय अंतर्क्रियाएं देखने को मिली। इस वजह से उत्तराखंड के धराली, जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़, कटरा और हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन ने तबाही मचाई।
उत्तराखंड में बादल फटने से कितना नुकसान?
मंगलवार की रात उत्तराखंड की राजधानी देहरादून और अन्य स्थानों पर मौसम ने आफत के तौर पर दस्तक दी। भारी बारिश और बादल फटने से भरी तबाही मची। उफनाती नदियों ने सड़क, पुल, दुकान और घरों को अपने में समेट लिया। अब तक 15 लोगों की जान जा चुकी है। 16 लोग लापता हैं। लगभग 900 लोग फंसे हैं। सबसे अधिक 13 लोगों की जान देहरादून में गई है।
नैनीताल और पिथौरागढ़ एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। मृतकों में आठ लोग उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाले थे। उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के मुताबिक 10 से अधिक सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं। इनमें से पांच बुरी तरह से डमैज हैं। पूरा हिस्सा ही बह गया है। सबसे अधिक नुकसान सहस्त्रधारा, प्रेमनगर, मसूरी, नरेंद्र नगर, पौड़ी, पिथौरागढ़ और नैनीताल में हुआ है।
देहरादून में बाढ़ से कितना नुकसान?
- देहरादून में आई बाढ़ से 10 करोड़ का नुकसान।
- 13 पुल बाढ़ में हो चुके क्षतिग्रस्त।
- 12 खेत भी तबाह।
- 21 सड़कों को 1.2 करोड़ का नुकसान।
- 1.7 करोड़ रुपये के तटबंध भी टूटे।
- 8 होटल, तीन रेस्टोरेंट और 13 दुकान क्षतिग्रस्त।
- घर, आंगनबाड़ी केंद्र और पंचायत भवन को नुकसान।
- सहस्त्रधारा-कार्लिगाड सड़क 9 जगह टूटी।
8 साल में उत्तराखंड ने कितनी बर्बादी झेली?
5 अगस्त को उत्तरकाशी जिले का धराली गांव भूस्खलन में तबाह हो चुका है। इसमें कई लोगों की जान गई थी। पिछले 10 वर्षों में उत्तराखंड करीब 18,464 प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर चुका है। सिर्फ आठ साल में आपदाओं में 3,554 लोगों की मौत हुई। लगभग 5,948 लोग घायल हुए। सरकार को हजारों करोड़ रुपये के नुकसान का सामना करना पड़ा।
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उत्तराखंड की बड़ी प्राकृतिक आपदाएं
- 1991 के उत्तराकाशी भूकंप में 768 लोगों की जान गई।
- 1998 के मालपा लैंडस्लाइट में 225 लोगों की मौत।
- 1999 के चमोली भूकंप में 100 लोग मारे गए।
- 2013 की केदारनाथ त्रासदी में 5,700 से अधिक की मौत।
- 2021 में हुई रैनी आपदा में 206 लोगों की मौत।
हिमाचल प्रदेश में कितनी बड़ी तबाही?
हिमाचल प्रदेश को इस मानसून सीजन में भारी तबाही का सामना करना पड़ा है। 20 जून से अब तक लगभग 1500 से अधिक लोग बेघर हो चुके हैं। बादल फटने की कुल 46 घटनाएं सामने आई हैं। बाढ़ के 98 और लैंडस्लाइड के 145 मामले सामने आ चुके हैं। कुल 417 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। 45 लोग अब भी लापता हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में कुल 1,502 घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। 6,503 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। इससे अब तक 4582 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक लोक निर्माण विभाग को 2803 और जल शक्ति विभाग को 1,405 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
जम्मू-कश्मीर में भी आफत की बारिश
26 अगस्त को वैष्णो देवी मार्ग पर भूस्खलन और बारिश ने भारी तबाही मचाई थी। 34 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। 20 लोग घायल हुए थे। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में बाढ़ और बारिश का कहर देखने को मिला था। 15 अगस्त को किश्तवाड़ के चिसौती गांव में बादल फटने से 60 लोगों की मौत हुई थी।
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