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दुनिया की टॉप 100 में शामिल भारत की 3 हथियार बनाने वाली कंपनियां कौन सी?

चीन की हथियार बनाने वाली कंपनियों का रेवेन्यू जहां गिर रहा तो वहीं भारत की कंपनियों को बड़ी उछाल देखने को मिल रही है। टॉप 100 में शामिल चीन की आठ में से छह कंपनियों के रेवेन्यू में बड़ी गिरावट आई है। इसके पीछे भ्रष्टाचार को बड़ी वजह माना जा रहा है।

Indian arms companies

सांकेतिक फोटो। (AI-generated image)

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दुनियाभर में हथियार बनाने वाली 100 बड़ी कंपनियों में भारत की तीन कंपनियों को जगह मिली है। ऐसा पहली बार हुआ जब तुर्की की पांच और इंडोनेशिया की एक कंपनी को टॉप 100 में जगह मिली है। सबसे अधिक 39 कंपनियां अमेरिका की हैं। इसका खुलासा हाल ही में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट में हुआ है। सभी 100 कंपनियों का संयुक्त राजस्व 679 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

 

टॉप 100 में शामिल भारत की तीन कंपनियों में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (BE) और मझगांव डॉक शामिल है। साल 2024 में तीनों कंपनी के रेवेन्यू में 8.2 फीसद का इजाफा हुआ और यह अब 7.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। रिपोर्ट बताती है कि हथियारों से होने वाले रेवेन्यू में सबसे अधिक बढ़ोतरी भारतीय कंपनियों ने देखी है। उनका इनका रेवन्यू 24 फीसद बढ़कर 2.5 बिलियन डॉलर हो गया है।

 

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हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स: सिपरी की रिपोर्ट में हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स को टॉप 100 कंपनियों में 44 स्थान मिला है। 2023 में कंपनी का हथियारों से होने वाला रेवेन्यू 3,820 मिलियन डॉलर रहा है। 2024 में यह 0.3 फीसद की गिरावट के साथ 3,810 मिलियन डॉलर रहा। कंपनी का कुल रेवन्यू 4,010 मिलियन डॉलर हा। इसमें 95 फीसद हिस्सेदारी आर्म्स रेवेन्यू की रही। हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड देश की सबसे बड़ी हथियार बनाने वाली कंपनी है। 

 

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स: भारत की इस कंपनी को ग्लोबल स्तर पर 58वां स्थान मिला है। कंपनी के आर्म्स रेवन्यू में 23.5% का उछाल देखने को मिला है। 2023 में कंपनी ने 2,000 मिलियन डॉलर का रेवेन्यू हासिल किया। 2024 में यह बढ़कर 2,470 मिलियन डॉलर हो गया। कंपनी के कुल 2,750 मिलियन डॉलर के राजस्व में 89.8% हिस्सेदारी आर्म्स रेवेन्यू की है। 

 

मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स: यह कंपनी भारतीय नौसेना की पनडुब्बी, युद्धपोत और वाणिज्यिक जहाजों का निर्माण करती है। मझगांव देश का सबसे बड़ा शिपयार्ड है। 1974 में यह कंपनी बनी। इसका नियंत्रण रक्षा मंत्रालय के हाथों में है। एक साल में कंपनी के आर्म्स रेवेन्यू में 9.8% की बढ़ोतरी हुई। 2023 में 1,120 मिलियन डॉलर का रेवेन्यू 2024 में बढ़कर 1,230 मिलियन डॉलर हो गया। कंपनी का कुल रेवेन्यू 1,370 मिलियन डॉलर है। इसमें 89.8% हिस्सेदारी आर्म्स रेवेन्यू की है। 

क्यों बढ़ रहा भारतीय कंपनियों का राजस्व?

दुनिया की टॉप 100 हथियार बनाने वाली कंपनियों में शामिल भारत की तीनों ही कंपनियां सरकारी हैं। एचएएल, हेलीकॉप्टर, लड़ाकू जहाज, एवियोनिक्स, मिसाइल उपकरण और आधुनिक ड्रोन के अलावा अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़े उपकरणों का निर्माण करती है। देश की सशस्त्र सेनाएं एचएएल की सबसे बड़ी खरीदार हैं। तेजस और सुखोई 30 जैसे लड़ाकू विमान एचएएल ही बनाती है।

 

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड आधुनिक और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम बनाती है। सैन्य रडार, कम्युनिकेशन सिस्टम, एवियोनिक्स, आर्म्स सिस्टम और एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम का निर्माण करती है। यह कंपनी साइबर सुरक्षा, सौर ऊर्जा, मेट्रो, रेलवे और ई-गवर्नेंस जैसे क्षेत्रों में भी अपनी सेवा प्रदान करती है। 

 

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10 नवंबर 2025 को कंपनी को 871 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले। इसके तहत कंपनी थर्मल इमेजर, स्पेयर्स, रडार, अग्नि कंट्रोल सिस्टम और ग्राउंड सपोर्ट उपकरण उपलब्ध कराएगी। सिपरी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि घरेलू ऑर्डरों की वजह से भारत की तीनों कंपनियों के संयुक्त राजस्व में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 7.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।

चीनी कंपनियों का रेवेन्यू क्यों घट रहा?

दुनियाभर की हथियार बनाने वाले कंपनियों के रेवेन्यू में जहां भारी इजाफा हुआ है तो वहीं चीनी कंपनियों के रेवेन्यू में गिरावट देखने को मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन में मौजूद टॉप 100 में शामिल आठ कंपनियों का कुल हथियारों से होने वाला रेवेन्यू 2024 में 10 फीसद घटकर 88.3 बिलियन डॉलर हो गया। चीन की आठ में से छह कंपनियों ने 2024 में हथियारों से होने वाले रेवेन्यू में गिरावट दर्ज की। सिपरी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि खरीद प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के कई आरोप और मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट के रिव्यू में देरी का असर भी पड़ा।

 

चीनी कंपनी AVIC का रेवेन्यू 1.3 फीसद से घटकर 20.3 बिलियन डॉलर हो गया है। हालांकि AVIC सबसे बड़ी हथियार बनाने वाली चीनी कंपनी बनी है। सबसे अधिक गिरावट चीन की NORINCO को कंपनी को देखने को मिली। इसका हथियारों से होने वाला रेवेन्यू 31 फीसद गिरकर 14.0 बिलियन डॉलर रह गया है। 

 

यह चीन की सबसे बड़ी लैंड सिस्टम बनाने वाली कंपनी है। रेवेन्यू में गिरावट की एक वजह यह है कि सरकार ने अधिकांश कॉन्ट्रैक्ट की समीक्षा की या उन्हें स्थगित कर दिया। करप्शन के आरोपों में घिरी चीन की प्रमुख एयरोस्पेस और मिसाइल बनाने वाली कंपनी CASC के रेवेन्यू में 16 फीसद की गिरावट आई है। यह कंपनी मिलिट्री सैटेलाइट बनाती है।

 

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