लद्दाख के लिए अनुच्छेद 371 की कवायद क्यों, इससे क्या हो सकता है?
लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस, केंद्र के प्रस्तावों को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। वे पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग पर अड़े हैं।

लद्दाख। (Photo Credit: PTI)
लद्दाख में एक बार फिर सरकार और वहां के स्थानीय लोगों के बीच बातचीत शुरू हुई है। पूर्ण राज्य के दर्जे को लेकर हुए हंगामे और हिंसा के बाद एक बार फिर बुधवार को लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) के अधिकारियों के साथ बातचीत फिर शुरू की। यह बैठक 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसा के बाद हुई है, जिसमें पुलिस ऐक्शन में 4 लोगों की मौत हो गई थी।
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने यह इशारा किया है कि लद्दाख के लिए संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत विशेष प्रावधान दिए जा सकते हैं। ये विशेष प्रावधान 12 राज्यों में लागू हैं। इनके तहत कुछ विशेषाधिकार राज्यों को मिले हैं। लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस की मांग है कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए।
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किन राज्यों को मिले हैं अनुच्छेद 371 के तहत अधिकार?
देश के 12 राज्य ऐसे हैं, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत विशेष शक्तियां दी गईं हैं। इन राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, नगालैंड, असम, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, सिक्किम, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा और कर्नाटक शामिल हैं।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371 क्या है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371 से 371J तक 'अस्थायी, संक्रमणकालीन और कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान' दिए गए हैं। मूल संविधान में अनुच्छेद 371 को 26 जनवरी 1950 को शामिल किया गया था, लेकिन इसके बाद अलग-अलग संशोधनों के लिए इसे विस्तार दिया गया। यह अनुच्छेद अलग-अलग राज्यों को उनकी स्थानीय आवश्यकताओं, सांस्कृतिक, आर्थिक और प्रशासनिक चुनौतियों के आधार पर विशेष दर्जा प्रदान करता है।
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अनुच्छेद 371 का मकसद क्या है?
- पिछड़े क्षेत्रों की आकांक्षाओं को पूरा करना
- आदिवासी हितों की रक्षा करना
- कानून-व्यवस्था बनाए रखना
- स्थानीय लोगों के हितों को सुरक्षित रखना है
जिन राज्यों को इसके तहत मिले अधिकार, उनमें क्या है?
- अनुच्छेद 371 (A), नागालैंड
नागा धर्म, सामाजिक प्रथाओं, रीति-रिवाजों, भूमि अधिकारों और न्याय व्यवस्था पर संसद की ओर से तब तक कानून नहीं बनाए जा सकते, जब तक राज्य विधानसभा की सहमति न हो। राज्यपाल को कानून-व्यवस्था की विशेष जिम्मेदारी दी जाती है। - अनुच्छेद 371 (B), असम
विधानसभा में जनजातीय क्षेत्रों से चुने गए सदस्यों की एक समिति गठित करना। - अनुच्छेद 371 (C), मणिपुर
पहाड़ी क्षेत्रों से चुने गए विधायकों की समिति बनाई जा सकती है, राज्यपाल को इन क्षेत्रों की प्रशासनिक जिम्मेदारी मिली है। - अनुच्छेद 371 (D), आंध्र प्रदेश और तेलंगाना
सार्वजनिक रोजगार और शिक्षा में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण, बैकवर्ड क्लासेस कमीशन। - अनुच्छेद 371 (E), आंध्र प्रदेश
केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना - अनुच्छेद 371 (F), सिक्किम
राज्यपाल को विशेष जिम्मेदारी, स्थानीय हितों की रक्षा के लिए प्रावधान बनाना। - अनुच्छेद 371 (G), मिजोरम
संसद के वे कानून नहीं लागू होंगे जो आदिवासी रीति-रिवाजों से टकराएंगे। - अनुच्छेद 371 (H), अरुणाचल प्रदेश
राज्यपाल को कानून-व्यवस्था की विशेष जिम्मेदारी। - अनुच्छेद 371(I), गोवा
गोवा विधानसभा में पंचायत प्रणाली की समीक्षा के लिए समिति। - 371 (J), कर्नाटक
हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के लिए विकास बोर्ड और विशेष प्रावधान।
अगर लद्दाख में लागू हुआ तो क्या हो सकता है?
संविधान विशेषज्ञ, एडवोकेट स्निग्धा त्रिपाठी ने कहा, 'अगर लद्दाख में अनुच्छेद 371 लागू हुआ तो स्थानीय बौद्ध और मुस्लिम समुदायों को विशेष सुरक्षा मिल सकती है। भूमि स्वामित्व और संसाधनों पर बाहरी लोगों के अधिकार खत्म होंगे। सरकारी नौकरियों में स्थानीय आरक्षण की सीमा बढ़ाई जा सकती है। संस्कृति, धार्मिक प्रथाओं और परंपराओं को संरक्षण मिल सकता है। केंद्र सरकार का हस्तक्षेप कम हो सकती है।'
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क्यों केंद्र के प्रस्ताव पर लद्दाख को एतराज है?
लद्दाख के दोनों संगठनों की मांग है कि इसे जनजातीय क्षेत्र घोषित किया जाए, स्वायत्तता मिले और आत्मशासन का अधिकार दिया जाए। लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक की यह भी मांग है कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, सोनम वांगचुक और अन्य 20 प्रदर्शनकारियों को रिहा किया जाए और हिंसा में जान गंवाने वाले लोगों को मुआवजा मिले।
सोनम वांगचुक का क्या हुआ?
सोनम वांगचुक क्लाइमेट एक्टिविस्ट रहे हैं। 10 सितंबर से वह लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के लिए धरने पर बैठे थे। उनेक साथ 15 अन्य लोग भी थे जो भूख हड़ताल कर रहे थे। 24 सितंबर को लेह में जब हिंसा भड़की तो सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया। उन्हें जोधपुर जेल में रखा गया है।
क्या चाहते हैं लद्दाख के आदोलनकारी?
- छठी अनुसूची में राज्य को शामिल किया जाए
- पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल हो
- लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें
- सरकारी नौकरियों में खाली रिक्तियां भरीं जाएं
अब आगे क्या होगा?
लद्दाख की मांग पर विचार करने के लिए अगले 10 दिनों में उप समितियों की बैठक होगी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में उच्च-स्तरीय समिति की बैठक बुलाई गई है। 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। LAB और KDA लद्दाख के लिए राज्य और जनजातीय क्षेत्र का दर्जा मांग रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों को जमीन और बुनियादी ढांचे से जुड़े फैसलों में ज्यादा अधिकार मिले।
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