देरी से तेजस के इंजन देनी वाली GE से HAL ने क्यों किया नया समझौता?
करीब एक साल देरी से इंजन की आपूर्ति करने वाली अमेरिका कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के साथ हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने नया समझौता किया है। आइये समझते हैं इस डील की अहमियत।

तेजस फाइटर जेट। (Photo Credit: PTI)
भारत का महत्वाकांक्षी तेजस विमान प्रोजेक्ट समय से काफी पीछे चल रहा है। इसमें देरी एक वजह अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) है। विमान के इंजनों की डिलीवरी में देरी का असर भारतीय वायुसेना पर पड़ रहा है। कुछ समय पहले ही वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने प्रोजेक्ट में हो रही देरी पर अपनी नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था भारत के पास अपने 40 तेजस विमान नहीं है, जबकि चीन छठवीं पीढ़ी का विमान बना रहा है।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने देरी के पीछे जीई को वजह बताया था। उसका कहना था कि विमानों की डिलीवरी में देरी इंजन न मिलने के कारण हो रही है। अब एचएएल ने इसी जीई के साथ एक अरब डॉलर का नया समझौता किया है। आखिर समझते हैं कि भारत ने देरी के बावजूद जीई के साथ समझौता क्यों किया?
क्या है एचएएल और जीई का नया समझौता?
जीई एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बीच 7 नवंबर को नया समझौता हुआ। इसके तहत अमेरिकी कंपनी 113 जेट इंजन देगी। बदले में भारत एक बिलियन डॉलर (8,870 करोड़ रुपये) का भुगतान करेगा। जीई के F404-GE-IN20 इंजन का इस्तेमाल तेजस विमानों में होगा। समझौते के मुताबिक इंजन की डिलीवरी 2027 से शुरू होगी और आखिरी इंजन 2032 में मिलेगा।
क्यों किया समझौता?
एचएएल ने जीई के साथ जो नया समझौता किया है, वह 97 तेजस MK-1A के ऑर्डर से जुड़ा है। समझौते के तहत जीई एचएएल को F404-GE-IN20 इंजन और उससे जुड़े सहायक पैकेज की आपूर्ति करेगा। भारत अपने तेजस प्रोजेक्ट के शुरुआत से ही जीई के इंजन का इस्तेमाल कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जीई के इंजन तेजस के डिजाइन में फिट बैठते हैं। उसे जितनी शक्ति की जरूरत है, उतनी ताकत यह इंजन प्रदान करते हैं। वहीं दूसरा पहलू यह है कि इंजन बदलना महंगा, जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया है। इससे पूरा प्रोजेक्ट और भी लेट हो सकता है।
अभी एचएएल और जीई के बीच F-414 इंजन की डील पर बातचीत चल रही है। इसका इस्तेमाल तेजस MK-2 में किया जाएगा। 2023 में पीएम मोदी ने अमेरिका के साथ एक बड़ी डील की थी। इसके तहत जीई और एचएएल ने भारत में ही F-414 विमान के संयुक्त प्रोडक्शन पर सहमति जताई थी। समझौते के तहत भारत को 80 फीसदी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी करना है। अगर भारत तेजस Mk-1A इंजनों की डील किसी अन्य देश से करता है तो शायद जीई F-414 इंजन के संयुक्त प्रोडक्शन से पीछे हट सकती है।
| वैरिएंट | इंजन का प्रकार | कितने इंजन |
| तेजस Mk-1 | F-404 | 65 |
| तेजस Mk-1A | F404-IN20 | 212 |
| तेजस Mk-2 | F-414 | संख्या अभी तय नहीं |
कितनी देरी से चल रहा तेजस प्रोजेक्ट?
- भारतीय वायुसेना ने साल 2006 में तेजस विमान का पहला और 2010 में दूसरा ऑर्डर दिया था। यह करीब 8,802 करोड़ रुपये का सौदा था। अभी तक भारतीय सेना को सिर्फ 38 विमान मिले हैं। मतलब पहले और दूसरे ऑर्डर के ही 2 विमान बाकी हैं। यह सभी विमान तेजस के MK-1 संस्करण के हैं।
- 2021 के फरवरी महीने में रक्षा मंत्रालय ने 83 तेजस एमके-1ए विमान का ऑर्डर दिया था। यह सौदा 48,000 करोड़ रुपये का है। इसी साल एचएल ने जनरल इलेक्ट्रिक से 99 इंजनों का समझौता किया। इसके तहत जीई को 5,375 करोड़ रुपये में 99 F-404 टर्बोफैन इंजनों की आपूर्ति करनी थी। कंपनी ने करीब दो साल की देरी के बाद मार्च में पहला इंजन भारत को सौंपा, जबकि जीई ने पहले साल 12 और इसके बाद हर साल 20 इंजन डिलीवर करने का वादा किया था।
- भारत का तेजस Mk-1A कार्यक्रम करीब एक साल पीछे चल रहा है। समझौते के मुताबिक एचएएल को 31 मार्च 2024 तक पहला तेजस MK-1A विमान वायुसेना को सौंपना था। मगर अक्टूबर 2025 में तेजस Mk-1A ने पहली बार महाराष्ट्र के नासिक में उड़ान भरी और वायुसेना को मिलने वाला यह पहला विमान है। ऑर्डर के लिहाज से अभी 82 विमान मिलना बाकी है। जीई एयरोस्पेस से F404 इंजन न मिलने के कारण देरी आ रही है।
- रक्षा मंत्रालय ने इसी साल अगस्त महीने में एचएएल को 97 और तेजस MK-1A विमानों का ऑर्डर दिया है। लगभग 62,370 करोड़ रुपये की यह परियोजना अभी पाइपलाइन में है।
- केंद्र सरकार पिछले पांच साल में कुल 180 तेजस MK-1A विमानों का ऑर्डर दे चुकी है। इनमें से सिर्फ एक विमान ही वायुसेना को मिला है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि तेजस कार्यक्रम कितना पीछे चल रहा है?
प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए एचएएल ने क्या किया?
ऐसा नहीं है कि एचएएल ने अपने स्तर पर विमान का प्रोडक्शन बढ़ाने की कोशिश नहीं की। बेंगलुरु में दो प्रोडक्शन लाइन से अलावा उसने महाराष्ट्र के नासिक में एक नई प्रोडक्शन लाइन की स्थापना की। एचएल का लक्ष्य था कि वह जून के आखिरी तक में अपने नासिक प्लांट से पहला तेजस MK-1A विमान डिलीवर कर देगा। मगर इंजन मिलने में हुई देरी के कारण विमान ने अक्टूबर में पहली उड़ान भरी। एचएएल अपनी तीनों प्रोडक्शन लाइन में सालाना कुल 24 तेजस विमानों को निर्माण कर सकती है।
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