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‘जीरो-फॉर-जीरो टैरिफ’, क्या अमेरिका के साथ बनेगी भारत की बात?

भारत और अमेरिका टैरिफ को लेकर बात कर सकते हैं। हालांकि, इस बात को लेकर संदेह है कि क्या जीरो-फॉर-जीरो टैरिफ पर बात हो सकती है।

Donald Trump and narendra modi । Photo Credit: PTI

डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी । Photo Credit: PTI

अमेरिका द्वारा शुरु किए गए और पूरी दुनिया में चल रहे टैरिफ वॉर के बीच भारत और अमेरिका बातचीत कर सकते हैं। हालांकि, दोनों के बीच जीरो-फॉर-जीरो एग्रीमेंट पर बात होने की संभावना कम ही है। इस बात की भी संभावना है कि दोनों पक्ष एक एक सेक्टर को लेकर हर एक आइटम पर बातचीत नहीं करेंगे। हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका फर्स्ट नीति के तहत वह दोनों देशों के टैरिफ को नीचे लाने पर दबाव बना सकते हैं। 

 

नई दिल्ली और वॉशिंगटन आने वाले हफ्तों में कई सेक्टर्स को लेकर बातचीत करेंगे और अमेरिका व भारत के बीच व्यापार सौदे का पहला चरण 90 दिनों की टैरिफ पर रोक लगाने की अवधि के भीतर समाप्त हो सकता है।

 

खबरों के मुताबिक, समझौते की शर्तों को अंतिम रूप दे दिया गया है, और आगे की बातचीत मुख्य रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए होगी, हालांकि, दोनों तरफ से लोग बातचीत के लिए व्यक्तिगत रूप से भी मुलाकात कर सकते हैं। टैरिफ को एक समान स्तर तक लाने के लिए व्यापार के हर पहलू पर बात किए जाने की संभावना है।

 

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'जीरो-फॉर-जीरो' टैरिफ की संभावना नहीं

एक्सपर्ट्स की मानें तो इस सौदे में जीरो-फॉर-जीरो टैरिफ पर भी समझौता होने की संभावना नहीं है क्योंकि दोनों देश आर्थिक विकास के अलग-अलग स्तरों पर हैं। कुछ ट्रेड एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत अमेरिका को 'ज़ीरो फॉर ज़ीरो टैरिफ' की रणनीति का ऑफर दे सकता है, ताकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ (आयात शुल्क) बढ़ाने के फैसले के असर को कम किया जा सके।

 

हालांकि, पीटीआई के मुताबिक एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि अमेरिका और यूरोपीय यूनियन (EU) जैसे विकसित देशों के बीच इस तरह की रणनीति संभव हो सकती है, क्योंकि दोनों ही अमीर और तकनीकी रूप से उन्नत देश हैं। लेकिन भारत और अमेरिका के बीच यह रणनीति उतनी असरदार नहीं होगी क्योंकि भारत की प्रति व्यक्ति आय काफी कम है और उसे अभी भी बहुत सारे प्रोडक्ट्स पर उचित सीमा तक टैरिफ बनाए रखने की जरूरत है।

 

अधिकारी ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच समझौता एक 'पैकेज डील' की तरह होगा, जिसमें वस्तुओं के साथ-साथ गैर-टैरिफ मुद्दे भी शामिल होंगे। उन्होंने यह भी कहा, 'ऐसा नहीं होता कि अगर अमेरिका इलेक्ट्रॉनिक चीजों पर टैक्स हटाएगा तो हम भी वही करेंगे। व्यापार समझौते ऐसे नहीं होते। यह सोच गलत है।'

 

क्या कर सकता है भारत

इस साल फरवरी में दिल्ली की एक थिंक टैंक GTRI (ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव) ने सुझाव दिया था कि भारत अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने के जवाब में ‘ज़ीरो फॉर ज़ीरो’ रणनीति को अपनाए। इस रणनीति के तहत भारत कुछ ऐसे उत्पादों की पहचान कर सकता है जिन पर वह अमेरिका से आयात करते समय टैरिफ हटा सकता है, और इसके बदले अमेरिका को भी उतनी ही संख्या में भारतीय उत्पादों पर टैरिफ हटाना चाहिए।

 

जहां अमेरिका कुछ खास इंडस्ट्रियल गुड्स, इलेक्ट्रिक वाहन, वाइन, पेट्रोकेमिकल उत्पाद, डेयरी और कृषि उत्पाद (जैसे सेब, बादाम और घास आदि) पर टैरिफ छूट चाहता है, वहीं भारत लेबर-इंटेंसिव उद्योगों जैसे कपड़ा, गहने, चमड़ा, प्लास्टिक, केमिकल, तेल बीज, झींगा और बागवानी के प्रोडक्ट्स पर टैरिफ में कटौती की मांग कर सकता है।

 

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व्यापार 500 अरब डॉलर करने का टारगेट

मार्च 2025 से भारत और अमेरिका के बीच एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement - BTA) को लेकर बातचीत चल रही है। दोनों देश इस साल सितंबर-अक्टूबर तक पहले चरण का समझौता पूरा करना चाहते हैं। लक्ष्य यह है कि 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को मौजूदा करीब 191 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर किया जाए। एक अधिकारी ने कहा, 'समझौते पर काम शुरू हो गया है। व्यापार समझौते की बातचीत में भारत बाकी देशों से कहीं आगे है।'

 

रहा है सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार

वित्त वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है। भारत के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 18% है, जबकि आयात में 6.22% और कुल द्विपक्षीय व्यापार में लगभग 10.73% हिस्सा है।

 

साल 2023-24 में भारत को अमेरिका के साथ व्यापार में 35.32 अरब अमेरिकी डॉलर का लाभ (Trade Surplus) हुआ, यानी भारत ने अमेरिका को जितना बेचा, उससे काफी कम सामान अमेरिका से खरीदा।

 

क्या है ज़ीरो फॉर ज़ीरो टैरिफ

"ज़ीरो फॉर ज़ीरो टैरिफ" एक तरह की ट्रेड पॉलिसी है जिसमें दो या अधिक देश कुछ खास प्रोडक्ट्स पर आयात शुल्क (टैरिफ) पूरी तरह खत्म करने के लिए आपसी सहमति बनाते हैं। इस समझौते के तहत तय किए गए उत्पादों पर किसी भी पक्ष द्वारा कोई टैरिफ नहीं लगाया जाता, जिससे निष्पक्ष और बिना रुकावट व्यापार को बढ़ावा मिलता है। 

 

यह नीति विश्व व्यापार संगठन (WTO) के अंतर्गत विशेष रूप से इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एग्रीमेंट (ITA) जैसे समझौतों में प्रमुख रूप से अपनाई गई है, जिसमें कंप्यूटर, सेमीकंडक्टर और टेलीकम्युनिकेशन उपकरणों जैसे प्रोडक्ट्स पर टैरिफ हटाए गए थे।

 

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इसका मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना, उपभोक्ताओं और ट्रेड के लिए लागत कम करना, और आपसी आर्थिक सहयोग को मजबूत बनाना है। उदाहरण के लिए, अगर भारत और यूरोपीय संघ के बीच सोलर उपकरणों पर ज़ीरो फॉर ज़ीरो समझौता हो, तो दोनों पक्ष उन पर कोई आयात शुल्क नहीं लगाएंगे, जिससे स्वच्छ ऊर्जा व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

 

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