संजय सिंह, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले राजनीतिक दलों ने जातीय गोलबंदी को मजबूत करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। आरजेडी का सबसे ज्यादा जोर सात प्रतिशत आबादी वाले कुशवाहा वोटर को अपने पाले में करना है। अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार कुशवाहा वोटर फिलहाल बटे हुए हैं। इनको एक साथ लाना आसान नहीं है।
प्रदेश के कुछ कुशवाहा वोटरों का समर्थन भोजपुर इलाके में माले को है। उधर इसी बिरादरी के नेता उपेंद्र कुशवाहा भी इसी वोट पर अपना हक जताते आए हैं। बीजेपी ने भी बहुत सोच समझकर कुशवाहा वोटरों को अपने पक्ष में बांधे रखने के लिए उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को राजनीति में आगे बढ़ाया है। चौधरी ने कम समय में अपनी मजबूत पकड़ पूर्वी बिहार, कोशी और सीमांचल में अपने स्वजातीय वोटरों पर बनाई है। जेडीयू की भी नजर कुशवाहा वोटरों पर है। यही कारण है कि जेडीयू ने उमेश कुशवाहा को अपना प्रदेश अध्यक्ष बना रखा है, लेकिन उमेश कुशवाहा अपने स्वजातीय वोटरों पर कितना मजबूत पकड़ बना पाते हैं यह तो चुनाव के समय पता चलेगा।
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कांग्रेस के कुशवाहा
कांग्रेस भी कुशवाहा वोटरों को अपनी ओर खिंचने के लिए प्रवीण सिंह कुशवाहा को आगे बढ़ाया है। दो दशकों से कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय प्रवीण कुशवाहा सुलझे हुए नेता माने जाते हैं। अपने दम पर स्वजातीय को कांग्रेस के पक्ष में करने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। पर पार्टी का जितना समर्थन मिलना चाहिए उतना इन्हें मिलता नहीं दिख रहा है।
नीतीश कुमार के लिए बड़ी चुनौती
विरोधियों का मानना है कि कुशवाहा का कोई बड़ा चेहरा नीतीश मंत्रीमंडल में शामिल नहीं है। आरजेडी के कुशवाहा नेता अपने स्वजातीय को समझा रहे हैं कि आज भी नीतीश सरकार में विजय चौधरी, अशोक चौधरी और ललन सिंह जैसे नेताओं की ही चलती है। आबादी के हिसाब से कुशवाहा को राजनीति में हिस्सेदारी नहीं मिल पा रही है। जातीय एकता में कमी के कारण ही सीट शेयरिंग में भी कुशवाहा पिछड़ा हुआ है। लालू प्रसाद ने ही सम्राट चौधरी को राजनीति में आने का पहला अवसर दिया। जातीय एकता को मजबूत किए बिना कुशवाहा समाज के लोग राजनीति में सशक्त नहीं हो सकते। इस स्थिति में कुशवाहा को जोड़े रखना नीतीश कुमार के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।
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यादव कुशवाहा भाई-भाई का नारा
अब आरजेडी ने जातीय एकता के लिए एक नया नारा यादव कुशवाहा भाई भाई दिया है। आरजेडी के कुशवाहा नेताओं की बैठक पूर्व मंत्री आलोक मेहता के आवास पर हुई। इस बैठक में आरजेडी की राष्ट्रीय महासचिव रेणु कुशवाहा भी मौजूद थीं। बैठक में यह संकल्प लिया गया कि आगामी विधानसभा चुनाव में कुशवाहा समाज चट्टानी एकता के साथ आरजेडी और महागठबंधन के साथ खड़ा रहेगा। चुनाव से पहले हर जिले में कुशवाहा समाज की ओर से भाई चारा सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। बहरहाल इस कुशवाहा एकता के स्लोगन से किस दल को कितना नफा नुकसान होगा यह चुनाव के वक्त पता चलेगा।