दिल्ली से देश की महिलाओं को साधने की कोशिश, क्या है BJP का प्लान?
रेखा गुप्ता मौजूदा समय में ममता बनर्जी के बाद दूसरी महिला सीएम होंगी। BJP की जितनी भी राज्यों में सरकार है, अब तक एक भी राज्य में महिला सीएम नहीं थीं।

बीजेपी की रैली में जुटीं महिलाएं, File Photo Credit: PTI
दिल्ली में चुनाव के नतीजे आने के 11 दिन के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दिल्ली की नई मुख्यमंत्री का नाम तय किया। रणनीतिक रूप से सोच-समझकर फैसले लेने के लिए मशहूर बीजेपी ने रेखा गुप्ता को चुनने के पीछे कई समीकरणों का ध्यान रखा है। भले ही अब तक वह बहुत चर्चित नेताओं में न रही हों लेकिन वह संगठन में एक दशक से ज्यादा सक्रिय हैं। रेखा गुप्ता को चुनने के पीछे यह भी समझा जा रहा है कि बीजेपी अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को भी दिल्ली में कमजोर करना चाहती है। AAP को कमजोर करना बीजेपी के लिए जरूरी है क्योंकि सिर्फ 22 सीटें जीतने के बावजूद AAP को अच्छे-खासे वोट मिले और बीजेपी और उसके वोट प्रतिशत में मामूली अंतर ही था। ऐसे में BJP अपने मंत्रिमंडल में भी सभी वर्गों को शामिल कर रही है ताकि AAP किसी भी वर्ग को सीधे-सीधे न साध पाए। साथ ही, राष्ट्रीय स्तर भी बीजेपी के महिलावादी एजेंडे को और मजबूत मिल सकती है।
8 तारीख को नतीजे आने के बाद से ही दिल्ली में कई समीकरणों की चर्चा हुई। एक चर्चा यह थी कि दिल्ली के 'मूल निवासी' यानी दिल्ली में पैसा हुए किसी शख्स को सीएम बनाया जाए। इसमें प्रवेश वर्मा जैसे नेताओं का नाम था जो जाट समुदाय से आते हैं। फिर पंजाबी/सिख चेहरे की भी चर्चा हुई। पूर्वांचली या बनिया चेहरे पर भी खूब चर्चाएं हुईं। हालांकि, बीजेपी ने महिला+बनिया फॉर्मूले को अपनाया। साथ ही, बीजेपी अपने काडर में भी मैसेज देने में कामयाब हुई है कि वह एक ऐसे नेता को चुन रही है जिसने लंबे समय तक संगठन के लिए काम किया है।
यह भी पढ़ें- क्या केजरीवाल को काउंटर करने के लिए BJP ने रेखा गुप्ता को बनाया CM?
दूसरी बात यह है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे और गुजरात में आनंदीबेन पटेल के बाद बीजेपी के पास एक भी महिला मुख्यमंत्री नहीं हैं। यहां तक कि पूरे देश में सिर्फ ममता बनर्जी ही इकलौती मुख्यमंत्री थीं। महिला आरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर आगे चलने वाली बीजेपी इस मुद्दे पर बार-बार फंसती भी थी कि उसके पास महिला मुख्यमंत्री नहीं है। अब रेखा गुप्ता को चुनकर उसने न सिर्फ दिल्ली में बल्कि देश में भी इस गैप को भरने की कोशिश की है। यह दांव आने वाले समय में उसके लिए बिहार, पंजाब और केरल जैसे राज्यों में भी फायदेमंद हो सकता है जहां वह अपने दम पर सत्ता में आने की कोशिशों में लगी हुई है।
महिलावादी एजेंडे पर आगे बढ़ेगी BJP
बीजेपी सरकार पहले ही महिला आरक्षण बिल पास कर चुकी है और 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने की ओर आगे बढ़ रही है। भले ही उसके पास मौजूदा समय में कोई महिला सीएम न रही हो लेकिन बीजेपी ने केंद्र सरकार में कई महिलाओं को अहम मंत्रालय दिए हैं। लंबे समय तक स्मृति ईरानी मंत्री रहीं। मौजूदा समय में निर्मला सीतारमण देश की वित्त मंत्री हैं। हालांकि, केंद्र की सरकार में कुल 30 कैबिनेट मंत्रियों में सिर्फ दो ही महिलाएं शामिल हैं। राज्यमंत्रियों में भी लगभग आधा दर्जन महिला मुख्यमंत्री ही हैं, ऐसे में बीजेपी ने एक महिला को मुख्यमंत्री बनाकर बड़ा संदेश देने की कोशिश की है।
यह भी पढ़ेंः पहली बार विधायक, फिर भी हैवीवेट्स को पछाड़ क्यों रेखा गुप्ता बनीं CM
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में महिलाओं के लिए शुरू की गई लाडली बहन योजना के चलते बीजेपी को दोनों राज्यों में अभूतपूर्व सफलता मिली है। दिल्ली में भी बीजेपी ने महिलाओं के लिए सम्मान राशि का ऐलान किया था और उसे कामयाबी मिली। उम्मीद जताई जा रही है कि बिहार में भी बीजेपी ऐसे ही मुद्दों को लेकर आगे बढ़ सकती है। साथ ही, आने वाले समय में रेखा गुप्ता कई राज्यों में प्रचार करती भी दिख सकती हैं।
दिल्ली में मजबूती की कोशिश
AAP सीधे तौर पर जातियों के जरिए राजनीति की कोशिश कम ही करती है। हालांकि, दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल ने जाट आरक्षण का मुद्दा छेड़ दिया था। कई इंटरव्यू में अरविंद केजरीवाल खुद को बनिया बताकर यह कहते थे कि वह पैसों का जुगाड़ कर लेंगे। वह कई बार बीजेपी को महिलाओं के मुद्दे पर घेरने की कोशिश भी करते रहे हैं लेकिन अब बीजेपी ने उल्टा दांव चल दिया है। इस प्रयास से बीजेपी दिल्ली में ज्यादा महिलाओं को खुद से जोड़ने की कोशिश करने वाली है। मध्यम वर्ग की महिलाएं तो बीजेपी को वोट देती रही हैं लेकिन अगर रेखा गुप्ता भी शीला दीक्षित की तरह निम्न मध्यम वर्ग को साध पाती हैं तो BJP दिल्ली में AAP के परंपरागत वोटर कहे जाने वाले गरीब तबके में सेंध लगाने में कामयाब हो जाएगी।
यह भी पढ़ेंः नेटवर्थ, राजनीतिक सफर, दिल्ली की अगली CM रेखा गुप्ता के बारे में सबकुछ
तमाम प्रयासों के बावजूद बीजेपी दिल्ली में AAP के वोट प्रतिशत को 40 पर्सेंट से नीचे पहुंचा नहीं पाई है। इसकी बड़ी वजह दिल्ली की झुग्गी-बस्तियों के वोटर, मुस्लिम मतदाता और एक बड़ा महिला वर्ग है। झुग्गी-बस्तियों के लिए बीजेपी ने इस बार खूब पसीना बहाया और थोड़ी-बहुत उसकी कोशिश कामयाब भी हुई। महिलाओं के बीच उसकी पकड़ है लेकिन उसे गरीब तबके की महिलाओं के बीच पहुंचना है। अगर BJP वहां पहुंच पाती है तो AAP के लिए दोबारा उठ पाना मुश्किल हो जाएगा।
AAP की राजनीति की काट
अरविंद केजरीवाल लंबे समय से महिला मतदाताओं को रिझाने में कामयाब हुए थे। 2025 के विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं ने AAP को खूब वोट दिए हैं। 2020 में अरविंद केजरीवाल ने महिलाओं के लिए बस यात्रा फ्री करने का ऐलान किया था और उन्हें चुनाव में इसका फायदा भी मिला था। इस वादे को अरविंद केजरीवाल ने पूरा भी किया और अभी भी दिल्ली में महिलाओं के लिए बस यात्रा फ्री है। महिला मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए ही अरविंद केजरीवाल ने जब सीएम पद छोड़ा तो उन्होंने आतिशी को सीएम बनाया। चुनाव में वह महिला सम्मान योजना जैसी कई योजनाएं लेकर चुनाव में गए ताकि वह महिला मतदाताओं को जोड़कर रख सकें।
यह भी पढ़ेंः सिख-दलित-जाट-पूर्वांचली, मंत्री बनाकर BJP ने कैसे साधे सभी वर्ग
हालांकि, बीजेपी ने महिलाओं को 2500 रुपये देने और पहले से जारी योजनाओं को जारी रखने का ऐलान करके अरविंद केजरीवाल की दावेदारी को चुनौती दी। इसके बावजूद, बीजेपी यह समझती है कि अगर उसे स्थायी तौर पर महिला मतदाताओं को अपने पाले में करना है तो उसे निरंतर ऐसे प्रयास करने होंगे कि महिलाएं उसके पाले से छिटकने न पाएं। इसी क्रम में बीजेपी ने महिला को मुख्यमंत्री बनाया है।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap