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चंडीगढ़ में फिर BJP का मेयर, बहुमत के बाद भी कैसे हारी AAP-कांग्रेस?

चंडीगढ़ में बीजेपी ने मेयर का चुनाव जीत लिया है। बीजेपी उम्मीदवार हरप्रीत कौर बबला 19 वोट पाकर मेयर बन गईं हैं। AAP और कांग्रेस बहुमत के बावजूद चुनाव हार गए।

harpreet kaur babla

चंडीगढ़ की नई मेयर हरप्रीत कौर बबला। (Photo Credit: X@BJP4Chandigarh)

चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में इस बार भी खेला हो गया। इस बार भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर बीजेपी को नहीं रोक पाई। मेयर चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार हरप्रीत कौर बबला जीत गई हैं। उन्हें 19 वोट मिले। वहीं, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की उम्मीदवार प्रेम लता 17 वोट ही हासिल कर सकीं।

बहुमत के बावजूद हारी AAP-कांग्रेस

चंडीगढ़ नगर निगम में बहुमत होने के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की उम्मीदवार प्रेम लता हार गईं। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के 13 और कांग्रेस के 6 पार्षद थे। इनके अलावा चंडीगढ़ से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी का एक वोट भी शामिल था। कुल मिलाकर 20 वोट थे। 


इसके उलट बीजेपी के पास 16 पार्षदों का ही समर्थन था। नतीजों से साफ है कि AAP-कांग्रेस के 3 पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की। 3 पार्षदों के वोट बीजेपी उम्मीदवार हरप्रीत कौर को मिले। इसके चलते बहुमत होने के बावजूद AAP-कांग्रेस की उम्मीदवार हार गईं। 

 

मेयर चुनाव का क्या है गणित

चंडीगढ़ में मेयर चुनाव जीतने के लिए 19 पार्षदों के वोट की जरूरत थी। मेयर चुनाव में पार्षदों के अलावा चंडीगढ़ के सांसद भी वोट डालते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मनीष तिवारी चंडीगढ़ से सांसद चुने गए थे। 16 पार्षदों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है। वहीं, आम आदमी पार्टी के 13 और कांग्रेस के 6 पार्षद हैं। AAP-कांग्रेस के पास 20 वोट होने के कारण प्रेम लता की जीत तय मानी जा रही थी।

पिछली बार SC तक पहुंचा था मामला

चंडीगढ़ में हर साल नया मेयर चुना जाता है। यहां के मेयर की कुर्सी दो बार महिला, एक बार आरक्षित वर्ग और दो बार सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है। पार्षदों का कार्यकाल 5 साल का ही होता है लेकिन मेयर का कार्यकाल 1 साल ही होता है।


पिछले साल जब चंडीगढ़ के मेयर के लिए चुनाव हुआ था तो मनोनीत पार्षद अनिल मसीह थे। तब भी AAP और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था। AAP-कांग्रेस के पास 21 वोट थे जबकि बीजेपी के 14 पार्षदों का समर्थन था। तब अनिल मसीह ने AAP-कांग्रेस के 8 वोटों को अवैध करार दिया था। इस तरह से 14 वोट पाकर बीजेपी के मनोज सोनकर मेयर बन गए थे।


इसके खिलाफ AAP और कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंची। CCTV फुटेज में अनिल मसीह AAP-कांग्रेस पार्षदों के वोटों में निशान लगाते दिख रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि अनिल मसीह ने जानबूझकर निशान लगाकर इन वोटों को अवैध करार दिया। इसके बाद आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार मेयर बने थे।

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