logo

ट्रेंडिंग:

कांग्रेस को सत्ता दिलाएंगे दलित-OBC? राज्यों में अपना रही फॉर्मूला

देश एक बार फिर से 'मंडल और कमंडल' की सियासत की ओर बढ़ चला है। वर्तमान में बीजेपी जो देश में मजबूत जनाधार बना चुकी है उसका मुकाबला करने के लिए कांग्रेस सहित सोशलिस्ट पार्टियां 'सामाजिक न्याय' की राजनीति कर रही हैं।

congress social justice politics

मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी। Photo Credit- PTI

देश एक बार फिर से 'मंडल और कमंडल' की सियासत की ओर बढ़ चला हैवर्तमान में बीजेपी जो देश में मजबूत जनाधार बना चुकी है उसका मुकाबला करने के लिए कांग्रेस सहित सोशलिस्ट पार्टियां 'सामाजिक न्याय' की राजनीति कर रही हैंइसमें कांग्रेस अपने 'सेक्युलर' कलेवर के साथ में सामाजिक न्याय की बात कर रही हैकांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी सांसद राहुल गांधी समेत पार्टी के बड़े नेता इस समय ओबीसी और दलित पॉलिटिक्स की पिच पर एक्टिव हैंपार्टी की राजनीति को देखते हुए आज कांग्रेस आलाकमान से लेकर कांग्रेस का पब्लिक डोमेन में मौजूद हर नेता संसद से सड़क तक जातिगत जनगणना की मांग कर रहा है

 

यहां तक की जब केंद्र की मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का ऐलान किया तो कांग्रेस ने बिना देर किए इसका क्रेडिट लेने की भरसक कोशिश कीयही नहीं गुजरात में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में राहुल गांधी ने ओबीसी समुदाय को पार्टी से जोड़ने की जरूरत पर बल दिया थायही वजह है कि राहुल गांधी राज्यों में जिला अध्यक्षों से लेकर प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में विधायक दल का नेता भी ओबीसी और दलित-आदिवासी वर्ग से चुन रहे हैं

 

कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव ऐसे ही नहीं किया है बल्कि यह देश की बदलती सियासत की वजह से हुआ हैदरअसल, बीजेपी के पूरे देश में उभार की वजह ही ओबीसी-दलित का वोट मिलना हैआंकड़ें कहते हैं कि इस वर्ग का एक बड़ा हिस्सा साल 2014 से ही नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को पसंद कर रहा हैकांग्रेस से यह तबका खिसक गया है, जिसे राहुल गांधी सामाजिक न्याय की सियासत से वापस पाना चाहते हैं

 

यह भी पढ़ें: 'आप सरकार चलाएं, निशांत को सौंपे दें JDU' कुशवाहा का CM नीतीश से आग्रह

राजस्थान में जाट-दलित पर भरोसा

कांग्रेस सामाजिक न्याय की राजनीति साल 2020 से ही कर रही हैइसकी शुरुआत राहुल गांधी ने राजस्थान से की थी। 2020 में राजस्थान में जब अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तनातनी शुरू हुई थी, तो पार्टी हितों को ध्यान में रखते हुए राहुल गांधी ने गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी थीइसी महीने 15 जुलाई को डोटासरा ने अपने कार्यकाल के 5 साल पूरे कर लिएइन पांच सालों में चुनावी संघर्षों का सामना करते हुए गुटबाजी, आरोप, विवाद और सियासी उठापटक के बीच डोटासरा कई मोर्चे पर मजबूती साबित कर चुके हैं

 

डोटासरा ने राजस्थान कांग्रेस की कमान ऐसे समय में संभाली थी जब पार्टी गहरे सियासी संकट से गुजर रही थीपायलट की बगावत के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार खतरे मेंगई थीऐसे संवेदनशील समय में जाट वर्ग से आने वाले गोविंद सिंह डोटासरा ने पार्टी को संभाला और पार्टी को खड़ा किया। 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा गया है

 

विधानसभा चुनाव 2023 में सियासी संकट के बावजूद कांग्रेस को 69 सीटें जातने में कामयाबी मिली थीवहीं, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस महत्वपूर्ण 8 सीटें जीत गईअगर 2024 लोकसभा चुनाव की तुलना 2019 के चुनाव से करें तो 2019 में राजस्थान में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 34.24 फीसदी था और पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थीवहीं, गोविंद सिंह डोटासरा के अध्यक्ष रहते कांग्रेस इस बार के लोकसभा चुनाव में 38 फीसदी वोट मिलेजो कांग्रेस 2019 में शून्य थी वह 2024 में जिंदा हो गई और 8 सीटें जीतने में कामयाब रही

 

दरअसल, 2023 में अशोक गहलोत की सरकार जाने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने एक और दांव खेला थापार्टी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट को तरजीह ना देकर कांग्रेस ने दलित जाति से आने वाले टीकाराम जूली को विधानसभा में विधायक दल का नेता बनायाटीकाराम जूली को विधायक दल का नेता बनाने का फैसला कांग्रेस के लिए वरदान साबित हुआलोकसभा चुनाव में दलितों और जाटों ने कांग्रेस पर विश्वास किया जिससे राज्य में पार्टी का वोट प्रतिशत 2019 के मुकाबले 4 फीसदी बढ़ गया। 

 

यह भी पढ़ें: सम्राट अशोक को चाणक्य से बड़ा बता गई RJD, इस बयान की वजह समझ लीजिए

बिहार में दलित प्रदेश अध्यक्ष

बिहार में इसी साल सितंबर-अक्टूबर में विधासभा चुनाव होने हैंचुनाव को देखते हुए ऐन वक्त पर कांग्रेस आलाकमान ने बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह की छुट्टी करते हुए उनकी जगह दलित वर्ग से आने वाले राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बना हैबता दें कि बिहार में एक ऐसा राज्य है जहां सामाजिक न्याय और जातिगतियासत की सबसे ज्यादा चर्चा होती हैऐसे में राजेश कुमार राज्य की राजनीति में एकदम फिट बैठते हैं

 

18 मार्च 2025 को बिहार कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुने जाने के बाद राजेश कुमार ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि राहुल गांधी ने उन्हें चुनकर बिहार में सामाजिक न्याय की विचारधारा शुरू कर दी हैउन्होंने, 'हम लोग बिहार में 23 फीसदी की राजनीति करने जा रहे हैंहमारा लक्ष्य दलित, अल्पसंख्यक और सवर्ण को साधना है, लेकिन इसके लिए जुनून के साथ काम करने की जरूरत है, जो हम करेंगें'

 

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इससे पहले इसी साल जनवरी में राजधानी पटना में आयोजित संविधान सुरक्षा सम्मेलन किया थाइसके बाद उन्होंने फरवरी में दलित नेता जगलाल चौधरी की जयंती में शिरकत करके दलित वोटों की गोलबंदी का अपना इरादा जाहिर कर दिया था

 

बता दें कि 1990 तक बिहार में सत्तासीन रही कांग्रेस का वोट बैंक सवर्ण, मुस्लिम और दलित थेकांग्रेस 35 सालों से राज्य की सत्ता से बाहर हैवर्तमान में पार्टी से सवर्ण वोट छिंटकर बीजेपी खेमें में जा चुका है, जबकि मुस्लिम और दलित वोटों में भी बंटवारा हुआ हैऐसे में राजेश कुमार को अध्यक्ष बनाकर राहुल गांधी सामाजिक न्याय की सियासत करते हुए अपना खोया हुआ वोट बैंक वापस पाना चाहते हैं

गुजरात में ओबीसी-अनुसुचित जनजाति पर भरोसा

कांग्रेस को गुजरात की सत्ता में वापस आने का 30 सालों से इंतजार हैपार्टी साल 1995 से ही राज्य की सत्ता में आने की जगत में लगी हुई है, लेकिन उसे अभी तक कामयाबी नहीं मिल पाई हैहालांकि, ग्रैंड ओल्ड पार्टी का आलाकमान गुजरात में सरकार बनाने के लिए अभी से सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला अपना रही हैपार्टी ने पिछले दिनों गुजरात का प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी समुदाय और विधानसभा में पार्टी का नेता अनुसुचित जनजाति समुदाय से चुना

 

राहुल गांधी की सामाजिक न्याय की राजनीति को ध्यान में रखते हुए ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अमित चावड़ा (OBC) को गुजरात का प्रदेश अध्यक्ष और तुषार चौधरी (ST) को विधायक दल का नेता नियुक्त किया हैअमित चावड़ा ने शक्ति सिंह गोहिल की जगह ली हैअमित चावड़ा इससे पहले साल 2018 से 2021 तक गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैंउनके नेतृत्व में कांग्रेस की 2022 के चुनाव में शर्मनाक हार हुई थी और उसे महज 17 सीटों पर संतोष करना पड़ा था

 

दरअसल, इन दोनों नेताओं पर बाजी लगाकर राहुल गांधी 2027 के आगामी गुजरात विधानसभा के लिए तैयारी कर रहे हैंपार्टी ने कहा भी है कि गुजरात के अगले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी को तैयार किया जा रहा हैइसी कड़ी में पार्टी ने अमित चावड़ा और तुषार चौधरी की भी नियुक्ति की गई हैअमित चावड़ा गुजरात में पार्टी के बड़े ओबीसी चेहरा हैं, उनके पास अनुभव है और वह ओबीसी समुदाय से आने के कारण इस सियासत में फिट बैठते हैं

 

सामाजिक राजनीति को धार देते हुए राहुल गांधी ने पिछले महीने प्रदेश के 40 जिला एवं शहर इकाइयों के अध्यक्ष बनाए थेजिला अध्यक्षों की नियुक्ति में पार्टी ने ओबीसी, एससी और एसटी के नेताओं को जगह दी हैकांग्रेस ने इसेसंगठन सृजनअभियान का नाम दिया हैसाथ ही कांग्रेस ने चुनावों में जिला अध्यक्षों टिकट बंटवारे में भी पावर देने की बात कही है

 

कांग्रेस ने इस समय जुझारू और तेज तर्रार ओबीसी नेता जीतू पटवारी को मध्य प्रदेश की कमान सौंपी हुई है कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की शागिर्दगी से हटकर इस बार पार्टी अध्यक्ष और राहुल गांधी ने युवा जीतू पटवारी पर भरोसा जताया हैहालांकि, अभी मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2028 में होंगे लेकिन जीतू पटवारी प्रदेश में जनता के मुद्दे उठाकर अपने छिंटके हुए वोटरों को साथ रहे हैं। 

अखिलेश-कांग्रेस का अलायंस

राजनीति के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश में सबसे बड़ा राज्य हैकांग्रेस और राहुल गांधी ने प्रदेश में अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से 2017 से ही हाथ मिलाकर चल रहे हैंइस समय देश में अखिलेश यादव सामाजिक न्याय के सबसे बड़े पुरोधा हैंयह उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीतकर साबित भी कर दिया हैपूरे चुनाव में अखिलेश PDA (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) की बात करते रहेउनका पीडीए का फॉर्मूला हिट रहा, जिसकी बदौलत कांग्रेस ने भी यूपी से 6 सांसद की सीटें जीतीं

 

अखिलेश यादव से हाथ मिलाने का कांग्रेस का ऐसा फायदा मिला कि यूपी में हाशिए पर जा चुकी पार्टी एक बार फिर से जिंदा हो उठीऐसे में अपने सामाजिक न्याय को धार देने के लिए कांग्रेस, समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाए रखना चाहती है, जिससे आगामी उत्तर प्रदेश के 2027 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को अधिक से अधिक सीटें मिल सकें

 

इस रास्ते से यूपी में कांग्रेस एक बार फिर से अपने पुराने वोटबैंक को साधने की कोशिश कर रही हैपार्टी और उसके बड़े नेता लगातार हाशिए के लोगों और बेरोजगारी-महंगाई के मुद्दे उठा रही है

 

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap