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BJP-NCP के पास मनचाहे विभाग, शिवसेना नाराज! दिल्ली नहीं आए शिंदे

महायुति सरकार बन गई है। देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री हैं, एकनाथ शिंदे और अजित पवार मुख्यमंत्री हैं। कैबिनेट बंटवारे को लेकर एक बार फिर महायुति में अनबन की खबरें सामने आ रही हैं।

Eknath Shinde

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे। (तस्वीर- शिवसेना, फेसबुक)

महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन तो हो गया है लेकिन विभागों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई है। शिवसेना, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की संयुक्त सरकार में किस मंत्री को क्या पोर्टफोलियो मिलेगा, यह सरकार गठन के 7 दिन बाद भी तय नहीं हो पाया है।

सूत्रों के मुताबिक कुछ विभागों को लेकर अभी तक महायुति के बीच आम सहमति नहीं बन पाई है। यही वजह है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस को दिल्ली तलब किया है। दो दिवसीय दौरे से एकनाथ शिंदे बच रहे हैं। वे दिल्ली नहीं जा रहे हैं। 

क्यों खफा हैं एकनाथ शिंदे?
सूत्रों की मानें तो बीते कुछ दिनों से महाराष्ट्र में विभागों को लेकर लंबा मंथन चला है। महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें 43 अधिकतम मंत्री हो सकते हैं। अजित पवार इस बात से सहमत हैं कि 22 विभाग बीजेपी को जाएं, 11 शिवसेना को मिलें और 10 एनसीपी को। एकनाथ शिंदे इस पर तैयार नजर नहीं आ रहे हैं।

गृह मंत्रालय है नाराजगी की वजह 
एकनाथ शिंदे गृह विभाग चाहते थे। यह बीजेपी के पास है। रेवेन्यू विभाग भी बीजेपी के पास है। एकनाथ शिंदे को शहरी विकास विभाग मिलता नजर आ रहा है, वहीं एनसीपी के पास वित्त विभाग जाएगा। सूत्रों का कहना है कि एकनाथ शिंदे इस बंटवारे से पहले दिन से ही खुश नहीं हैं।

कैसे निकलेगी राह?
देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार दिल्ली पहुंचने वाले हैं। बुधवार रात में ही वे गृह मंत्री से मुलाकात करने वाले थे लेकिन अब गुरुवार को मुलाकात होगी। एकनाथ शिंदे ने इस बैठक से दूरी बना ली है। शहरी विकास मंत्रालय के अलावा उन्हें अन्य कोई अहम विभाग नहीं मिले हैं। एकनाथ शिंदे सार्वजनिक विभाग, हाउसिंग एंड एनर्डी, चाहते हैं। जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, बीजेपी का दबाव है कि उन्हें मंत्रिमंडल न दिया जाए।

किस बात से ज्यादा खफा हैं शिंदे?
शिवसेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से बीजेपी एकनाथ शिंदे के साथ बर्ताव कर रहा है, उससे वे काफी दुखी हैं। उन्हें हर मंत्रालय के लिए मोलभाव करना पड़ा है। महायुति की जीत में उनका अहम योगदान है लेकिन उन्हें गठबंधन में सही हिस्सेदारी नहीं मिल रही है।

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